रुद्रपुर: डीएम कार्यालय पर मज़दूरों ने दिया धरना, श्रमिक समस्याओं की अनदेखी पर जताया आक्रोश

ज्ञापन देकर कहा यदि प्रशासन समाज आटोमोटिव, इंटरार्क, माइक्रोमैक्स आदि मज़दूरों की समस्याओं को शीघ्र हल नहीं करता है तो मज़दूर एक बड़े जन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। श्रमिक संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर आज जिलाधिकारी कार्यालय गेट पर औधोगिक मजदूरों की महत्वपूर्ण समस्याओं के अविलंब समाधान की मांग पर एक दिवसीय धरना देकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया।

धरने को संबोधित करते हुए श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश तिवारी ने कहा कि सिडकुल की तमाम कंपनियों में मजदूरों का शोषण चरम पर है। समाज आटोमोटिव कारखाना, इंटरार्क, भगवती-माइक्रोमैक्स जैसी कंपनियां इसकी ताजा उदाहरण है। इन कंपनियों में हुए औद्योगिक विवाद में श्रम विभाग व जिला प्रशासन के समक्ष पूरी तरह से स्पष्ट हो चुका है कि उक्त कंपनियों के मैनेजमेंट ने श्रम कानूनों का उल्लंघन किया है।

समाज ऑटोमोटिव प्रबंधन श्रम विभाग व जिला प्रशासन के समक्ष स्वीकार कर चुका है कि उसके पास कारखाना चलाने का लाइसेंस नहीं है और भारी मशीनों पर ठेके के अनट्रेंड श्रमिकों से काम कराया जा रहा है। सभी स्थाई 41 मजदूरों को काम से निकाल दिया गया है। लेकिन अभी तक जिला प्रशासन व श्रम विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की है। 41 मजदूर 36 दिनों से दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।

इंट्रार्क के मजदूर लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि मालिक-मजदूरों के बीच प्रशासन के समक्ष हुए समझौते का पालन कंपनी प्रबंधन द्वारा कराया जाए व 28 मजूदरों की कार्यबहाली कराई जाए, लेकिन जिला प्रशासन नहीं सुन रहा है। माइक्रोमैक्स के मजदूरों को हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद काम पर नहीं रखा जा रहा है।

ट्रेड यूनियन एक्टू के प्रदेश महामंत्री के के बोरा ने कहा कि प्रदेश की धामी सरकार मजदूर विरोधी काम कर रही है। मुख्यमंत्री के गृह जिला में उद्योगों में मजदूरों का खुलेआम शोषण हो रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री खुलेआम कह रहे हैं श्रम निरीक्षक उद्योगों में छापा मारने ही ना जाएं। प्रदेश में हजारों मजदूर रोजगार से हाथ धो रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री सांप्रदायिक मामलों में जनता को उलझा कर रखे हुए हैं। केंद्र की मोदी सरकार पहले ही मजदूरों को गुलाम बनाने वाले श्रम कोड़ों को लागू कराने में जुटी हुई है।

इंकलाबी मजदूर केंद्र के केंद्रीय कोष सचिव सुरेंद्र रावत ने कहा कि एक ओर सरकार मजदूरों के रोजगार को खत्म कर रही है दूसरी ओर मजदूर व गरीब बस्तियों पर हमलावर है। सरकार द्वारा थोपी गई महंगाई ने पहले ही मजदूरों की कमर तोड़ कर रखी हुई है। ऐसे में मजदूरों को अपने हक अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखना होगा।

भाकपा माले के जिला सचिव ललित मटियाली ने कहा कि जिला प्रशासन को श्रम विभाग को आदेश देना चाहिए कि मजदूरों के विवाद के साधारण मामलों को भी कोर्ट में ना भेजा जाए। पहले से ही आर्थिक दिक्कतें झेल रहे मजदूरों के मामले कोर्ट में जाने से मजदूरों को और आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। श्रम विभाग को रिफर सेंटर बनने के बजाय मजदूरों की समस्याओं को हल करना चाहिए।

मजदूर सहयोग केंद्र के दीपक सनवाल ने कहा कि जहां पर मजदूरों के पक्ष में हाई कोर्ट का फैसला आता है तो प्रशासन उसे लागू कराने में हीला हवाली करता है लेकिन अगर मजदूरों के खिलाफ फैसला आता है तो प्रशासन रातों-रात फैसले को लागू करने में जुट जाता है। ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन की भूमिका मजदूर विरोधी हो गई है।

संयुक्त श्रमिक मोर्चा के दलजीत सिंह ने कहा कि यदि प्रशासन शीघ्र ही मजदूरों की समस्याओं को हल नहीं करता है तो एक बड़ा जन आंदोलन किया जाएगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की होगी।

धरने के बाद जिलाधिकारी महोदय को उप जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया। एसडीएम ने आश्वासन दिया कि जो भी ज्वलंत समस्या है सबको जिला स्तरीय कमेटी के द्वारा बैठक कर निपटाया जाएगा।

धरने को इंटरार्क मजदूर संगठन के महामंत्री सौरभ कुमार, पीडीपीएल यूनियन के अध्यक्ष प्रकाश सिंह चिलवाल आदि ने भी संबोधित किया।

धरने में बड़वे यूनियन के साहेब सिंह, करन सिंह, चरण सिंह, गीता देवी, जयशंकर सिंह, धीरज कुमार, राकेश सिंह, बबलू ,शैलेंद्र सिंह, अरविंद सिंह, जयपाल सिंह, धर्मेंद्र पटेल, यशपाल, केशव प्रसाद, नवल किशोर सहित सैकड़ो मजदूर उपस्थित थे।

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