रामनगर : रोक के आदेश के बावजूद वनग्रामवासियों को बेदखल करने फिर पहुंची टीम का हुआ विरोध

वन प्रशासन द्वारा जेसीबी से खाई खोदकर डेरों में तोड़-फोड़। विरोध के बाद काम रोका। इसके खिलाफ 30 मई को तिलाड़ी के शहीदी दिवस पर वन परिसर रामनगर में प्रतिरोध सभा होगा।

रामनगर, नैनीताल। तराई पश्चिमी वन प्रभाग के अधिकारियों ने आज 26 मई को जेसीबी व फोर्स ले जाकर कुमगडार खत्ते में खाई खोदकर वनगूजरों के डेरों में तोड़-फोड़ शुरु कर दी। मौके पर वनग्रामवासियों व सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ताओं की बढ़ती संख्या के बाद कार्य कर रही वन विभाग की टीम ने काम रोक दिया।

यह मनमानी कार्यवाही अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी मुख्य वन संरक्षक डा पराग मधुकर द्वारा वन भूमि पर बसे गोट खत्ते, वन ग्राम एवं टोंगिया ग्राम आदि से अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाए जाने के अगले दिन ही शुरू हुई।

मौके पर पहुंचे समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने सरकार से अतिक्रमण हटाने को लेकर स्थिति साफ करने की मांग करते हुए कहा कि एक दिन पहले भाजपा के नेता प्रेस में फोटो खिंचाकर कह रहे थे कि अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही रोक दी गयी है।

परंतु अगले दिन ही आदेश के उलट कार्यवाही शुरु कर दी गयी। यहां तक की कार्यवाही से पूर्व वन गूजरों को प्रभागीय वन अधिकारी द्वारा मुख्य वन संरक्षक के आदेशानुसार वन अधिनियम की धारा 61 क व ख के तहत नोटिस भी नहीं दिया गया।

उन्होंने बताया कि वन गूजर वनाधिकार कानून, 2006 के दायरे में आते हैं और सुप्रीम कोर्ट ने वनाश्रित समुदाय को जंगलों से हटाए जाने पर रोक लगायी हुयी है। तराई पश्चिमी वन विभाग के अधिकारी न तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश मान रहे हें और न ही मुख्य वन संरक्षक डा. पराग मधुकर धकाते का।

वन अधिकारियों के खिलाफ दायर होगा अवमानना का मामला

इससे पूर्व कल रामनगर, नत्थावली खत्ते में वन ग्राम वासियों ने बैठक कर अर्जुननाला व बन्नाखेड़ा क्षेत्र में वन गूजरों के घरों के बाहर जेसीबी से खाई खोदे जाने को माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन बताया था।

मोहम्मद साहब ने कहा था कि इस मामले को लेकर वन अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मामला दायर किया जा रहा है।

बैठक में वन गूजर ट्राइबल संगठन के नेता मीर हमजा ने कहा था कि वन गूजर सदियों से जंगलों में रहकर अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं। वन गूजरों ने भारत की संसद द्वारा बनाए गए वनाधिकार कानून 2006 के तहत निजी एवं सामुदायिक दावे समाज कल्याण विभाग के समक्ष प्रस्तुत किए हुए हैं।

वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने वनाश्रित समाज के उन लोगों को जंगलों से बेदखल करने पर रोक लगाई हुई है जिन्होंने वनाधिकार कानून के तहत समाज कल्याण विभाग के समक्ष दावे प्रस्तुत किए हुए हैं।

उन्होंने बताया था कि इस मामले की सूचना लिखित रूप में मुख्य सचिव उत्तराखंड को दे दी गई है। के बावजूद भी बना अधिकारी माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं।

30 मई को तिलाड़ी के शहीदी दिवस पर होगा प्रतिरोध सभा

ललित उप्रेती ने कहा कि वन प्रशासन की इस तानाशाही के खिलाफ 30 मई को तिलाड़ी के शहीदी दिवस पर वन परिसर, रामनगर में प्रतिरोध सभा आयोजित की जा जाएगी जिसमें अतिक्रमण के नाम पर बेदखल किए जा रहे लोग बड़ी संख्या में भागीदारी करेगे।

सामाजिक कार्यकर्ता संजय, सरस्वती जोशी सूरज मेहरा, मानु, गामा समेत बड़ी संख्या में लोगों ने वन गूजरों के बीच पहुंचकर सरकार की नीति को लेकर आक्रोश व्यक्त किया। किसान नेता महेश जोशी भी वन गुर्जरों के बीच पहुंचे थे।

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