प्रोटेरिअल (हिताची) में 30 बर्ख़ास्त ठेका मज़दूरों की पुनःबहाली

मानेसर स्थित कंपनी प्रोटेरिअल में कल 12 मई की रात को ठेका मज़दूरों और प्रबंधन के बीच औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 12 (3) के अंतर्गत हुए त्रिपक्षीय समझौते से हाल में निकाले गए 30 मज़दूरों को पुनः बहाल किया गया।

ठेका मज़दूरो व प्रबंधन के बीच त्रिपक्षीय समझौते के बाद कंपनी के अन्दर बाहर चल रहा धरना हुआ संपन्न

13 मई, मानेसर | मानेसर स्थित कंपनी प्रोटेरिअल में कल 12 मई की रात को ठेका मज़दूरों और प्रबंधन के बीच औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 12 (3) के अंतर्गत हुए त्रिपक्षीय समझौते से हाल में निकाले गए 30 मज़दूरों को पुनः बहाल किया गया। कंपनी ने 11 मई की शाम को बी-शिफ्ट के समय दो ठेका मज़दूरों को काम से निकाला था। कंपनी की इस कार्यवाही के ख़िलाफ़ जब बाकी मज़दूरों ने प्रतिरोध किया तो अन्य 28 लोगों को भी काम से निकाल दिया गया। शुरुआत में निकाले गए दो श्रमिक कंपनी में करीब एक साल से चल रहे ठेका मज़दूरों के संघर्ष के प्रतिनिधियों में से थे।

11 तारिख को दो मज़दूरों को निकालने के पीछे कंपनी का कहना था कि मज़दूर पिछले कुछ दिनों से स्लो डाउन करके मात्र 80% प्रोडक्शन दे रहे थे। इसके पहले 3 मई को कंपनी ने आंदोलनकारी मज़दूरों के एक और प्रतिनिधि को काम से निकाला था, जिसके बाद से तथाकथित प्रोडक्शन में कमी देखने को मिल रही थी। इसके पहले कंपनी प्रबंधन 25 अन्य ठेका मज़दूरों को काम से निकाल चुकी थी।

पहली बार देखने को मिल रहा है ठेका मज़दूरों के साथ त्रिपक्षीय समझौता

प्रोटेरिअल ठेका मज़दूरों ने एक संगठित और दीर्घकालीन रूप से अपने आंदोलन को 10 महीने से अधिक चला कर क्षेत्र में सभी ठेका मज़दूरों का हौसला बढ़ाया है। संगठित रूप से काम करने से मज़दूरों को ज़मीनी और कानूनी दोनों क्षेत्रों में अपनी मांगे उठाने, स्थायीकरण, सामान काम पर समान वेतन की मांगों को प्रबंधन के सामने स्थापित करने व क्षेत्र के अन्य यूनियनों और मज़दूर संगठनों के साथ तालमेल विकसित करने में भी सफलता मिली है। इसका एक परिचय इस बात से मिलता है कि 11-12 मई को हुई हड़ताल व धरने में लेबर डिपार्टमेंट को मज़दूरों और प्रबंधन के बीच मध्यस्तता करने की ज़िम्मेदारी लेनी पड़ी व बाकायदा औद्योगिक विवाद अधिनियम की धरा के हिसाब से त्रिपक्षीय समझौता कराना पड़ा।

मारूति व अन्य यूनियनों से मिला समर्थन

मारूति सुजुकी पॉवरट्रेन की यूनियन प्रोटेरिअल ठेका मज़दूरों के धरने को संबोधित करते हुए

बी शिफ्ट के मज़दूरों द्वारा कंपनी के अन्दर बैठ जाने व सी और ए शिफ्ट द्वारा बाहर धरना लगाने के बाद क्षेत्र के अन्य मज़दूर यूनियन और मज़दूर संगठन भी प्रोटेरिअल मज़दूरों के समर्थें में कंपनी गेट पर पहुंचे। इनमें मारूति मानेसर कार प्लांट, मारूति पॉवरट्रेन व बेलसोनिका की यूनियनें शामिल थीं। मारूति कार प्लांट व पॉवर ट्रेन की यूनियनों ने धरने पर बैठे मज़दूरों के लिए एक-एक वक्त के खाने का इंतज़ाम करवा कर अपना समर्थन दर्ज कराया साथ ही श्रम विभाग से भी मामले में हस्तक्षेप की अपील की और आगे भी आंदोलन में ज़रुरत पड़ने पर पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। बेल्सोनिका कंपनी के मज़दूर स्वयं छंटनी के ख़िलाफ़ पास ही में अपनी कंपनी के गेट पर धरने पर बैठ हैं जिनमें से साथी दिन भर प्रोटेरिअल मज़दूरों के समर्थन में भी आते जाते रहे। इसके साथ ही एआईयुटीयूसी से साथी राम कुमार, मारूति के बर्ख़ास्त मज़दूर, इंकलाबी मज़दूर केंद्र और मज़दूर सहयोग केंद्र के साथी भी प्रोटेरिअल मज़दूरों के समर्थन में खड़े पाए गए।

मूलभूत मांगों को ले कर जारी रहेगा आंदोलन

प्रोटेरिअल के मज़दूर 10 महीने से अधिक समय से सभी ठेका मज़दूरों के स्थायीकरण, समान काम पर समान वेतन व पर्याप्त छुट्टियाँ और उचित काम की शर्तों के लिए संघर्षरत हैं। 3 मई व 11 मई को मज़दूरों को निकालना इस आंदोलन को दबाने की कोशिश में प्रबंधन द्वारा लिया गया कदम था जिसे मज़दूरों ने अपनी एकता से निरस्त किया। प्रबंधन की इस चाल को मात देना आन्दोलन के लिए एक आंशिक जीत होने के साथ उनके हौसले और हिम्मत को बढ़ाने का साधन बना है। मज़दूरों का कहना है कि प्रबंधन के हर एक वार का सामना करते हुए उनके अन्दर से डर और भी ख़तम होता जा रहा है। इस उर्जा के साथ वे अपनी सभी मूलभूत मांगों के लिए संघर्ष को और भी दृढ़ता से आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।

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