दो श्रमिकों की जबरन बर्खास्तगी के खिलाफ हिताची मानेसर के मज़दूर, प्लांट के अंदर कार्य ठप्प कर धरने पर

आईएमटी मानेसर में स्थित हिताची मेटल्स इण्डिया में मज़दूर अपने दो नेतृत्वकारी साथियों को बिना कोई कारण बताए नौकरी से बर्खास्त करने के विरोध में प्लांट के अंदर बैठे हुए हैं। बी शिफ्ट के मजदूर प्लांट के अंदर बैठे हुए हैं तथा ए शिफ्ट और सी शिफ्ट के मजदूर प्लांट के बाहर बैठे हुए हैं। प्लांट के अंदर पुलिस की मौजूदगी में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।

घटनाक्रम की शुरुआत टी ब्रेक के वक्त शाम 4:00 बजे हुई जब मजदूरों को यह पता चला कि उनकी दो और साथियों को मैनेजमेंट ने निकाल दिया है। उस वक्त से प्लांट में प्रबंधन ने पहले से बाउंसर और पुलिस बल को तैनात हैं।

मजदूरों का कहना है कि प्लांट के अंदर बैठे मजदूरों को पानी पीने और पेशाब करने के लिए टॉयलेट इस्तेमाल करने भी नहीं दिया जा रहा है। अंदर बैठे मजदूरों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रबंधन की तरफ से बातचीत करने के नाम पर मजदूरों को नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही है। श्रम विभाग की तरफ से कोई भी अधिकारी अभी तक प्लांट के अंदर नहीं पहुंचा है।

गौर तलब है कि प्लांट में कार्यरत ठेका मजदूरों ने प्रबंधन के साथ बातचीत करने के लिए पांच मजदूरों की समिति बनाई थी जिनमें से तीन को पहले नौकरी से निकाल दिया गया था और बाकी दो सदस्यों को को आज निकाल दिया गया।

कंपनी में कुल 46 पक्के मज़दूरों के बीच 270 करीब ठेका मज़दूर हैं। ज़ाहिर हैं की उत्पादन का ज़्यादा काम ठेका मज़दूर ही करते हैं। लेकिन जहाँ पक्के मज़दूर 80,000 रु. कमाते हैं वहीं ठेका मज़दूर 12 से 13,000 रु. ही पाते हैं।

जून 2022 में कंपनी का नाम बदल कर ‘प्रोटेरिअल’ रखा जा रहा था और मज़दूरों को नए कोड पर भर्ती करने की नीति प्रस्तावित की गयी। कमोबेश सभी मज़दूर 2-6 साल तक कंपनी में काम करते आएं थे। मज़दूरों ने नया कोड लेने से मना कर दिया। साथ ही उन्होंने अपना एक सामूहिक मांग पत्र भी प्रबंधन को दे दिया। इसमें स्थायी प्रकार का काम कर रहे सभी मज़दूरों के लिए स्थायी रोज़गार, वेतन में बढ़ोतरी, काम की शर्तों में सुधार इत्यादि मांगें शामिल थीं। सामूहिक मांग पत्र की एक प्रति हरियाणा श्रम विभाग में भी जमा कर दी गयी।

मज़दूरों की मांगों पर सुनवाई करने की जगह प्रबंधन ने उनके साथ दुर्व्यवहार और दमन बढ़ा दिया। मनेजमेंट की इस कार्यवाही में अब तक 25 मज़दूर बाहर हो चुके हैं। बर्ख़ास्त और कंपनी के अन्दर काम कर रहे मज़दूर संगठित हो कर मनेजमेंट की इस अन्यायपूर्ण और गैरकानूनी कार्यवाही के ख़िलाफ़ संघर्षरत हैं।

फिलहाल यह खबर लिखे जाने तक अभी तक प्लांट के अंदर श्रम विभाग का कोई भी अधिकारी मजदूरों से बातचीत करने के लिए नहीं पहुंचा था वहीं अंदर बैठे मजदूरों के अनुसार प्रबंधन और पुलिस प्लांट खाली करने के लिए मजदूरों पर दबाव बना रहे हैं। संघर्ष कर रहे मजदूरों ने सभी ट्रेड यूनियूनों और न्याय पसंद लोगों से उनके समर्थन में आवाज उठाने की अपील की है।

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