तमिलनाडु: फैक्ट्री एक्ट में संशोधन, लागू होगा 12 घंटे का कार्य दिवस

तमिलनाडु विधानसभा ने शुक्रवार, 21 अप्रैल को कारखाना अधिनियम, 1948 में संशोधन करते हुए एक विधेयक पारित किया, जिसके अनुसार कारखाने के श्रमिकों के लिए दैनिक काम के घंटे को 8 से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया गया है।  फैक्ट्रीज (तमिलनाडु संशोधन) एक्ट, 2023 को 12 अप्रैल को पेश किया गया था । कई हलकों से कड़ी आलोचना और विभिन्न राजनीतिक दलों के भारी विरोध के बावजूद इसे पारित किया गया।

फैक्ट्री एक्ट 1948 में संशोधन करते हुए इसमें धारा 65 ए जोड़ी गई है, जिसके अनुसार राज्य सरकार, किसी भी कारखाने या कारखानों के समूह को फैक्ट्री एक्ट की धारा 51 (साप्ताहिक घंटे), 52 (साप्ताहिक अवकाश), धारा 54 (साप्ताहिक अवकाश), धारा 54 ( दैनिक घंटे), धारा 55 (आराम के लिए अंतराल), धारा 56 (व्यापक रूप से फैला हुआ), और धारा 59 (ओवरलैपिंग शिफ्ट का निषेध) की पालना से छूट दे सकती है।

इस संशोधन में चार-दिवसीय कार्य सप्ताह मतलब 12-घंटे की शिफ्ट का प्रावधान है, फिलहाल सरकार इसे ऐच्छिक बता रही है और राज्य सरकार, कारखानों को यह नियम लागू करने की छूट देती है और इसे लागू करना नियोक्ताओं की आवश्यकताओं पर निर्भर है।

तमिलनाडु के श्रम मंत्री के अनुसार, ” इस संशोधन लागू करने वाले उद्योग ही 12 घंटे की कार्य शिफ्ट को अपनाएंगे। मौजूदा समय में कर्मचारियों को हफ्ते में सिर्फ 48 घंटे काम करना होता है और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। केवल स्वेच्छा से काम करने वाले कर्मचारी ही 12 घंटे की शिफ्ट में काम कर सकते हैं। किसी को भी 12 घंटे की शिफ्ट करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। यह संशोधन काम में लचीलापन बढ़ाने और महिलाओं को कार्यबल में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए है।”

कर्नाटक पहला ऐसा राज्य था, जिसने विगत 24 फरवरी को फैक्ट्री एक्ट में संशोधन करते हुए प्लांट में 12 घंटे के कार्य दिवस और रात्रि पाली में प्लांट में महिलाओं से काम करवाने की छूट प्रदान की थी। जिसके बाद दुनिया के शीर्ष इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद निर्माता फॉक्सकॉन ने, जो एप्पल आईफोन आईपैड इत्यादि के प्रोडक्ट्स बनाने के लिए जानी जाती है, कर्नाटक में 8000 करोड़ के निवेश की घोषणा की थी।

गौरतलब है कि तमिलनाडु एकमात्र गैर-बीजेपी शासित राज्य है जिसने भारत में निवेश-केंद्रित राज्यों के बीच इस तरह के संशोधन का प्रस्ताव दिया है। जिसका मकसद सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स, गारमेंट सहित गैर चमड़ा फुट वियर निर्माताओं को लचीले श्रम कानून और सस्ते श्रम की सुविधा उपलब्ध कराते सुरक्षित मुनाफे वाले निवेश की सुविधा उपलब्ध कराना है। फॉक्सकॉन, मेगाट्रान और विस्ट्रोन जैसे बड़े वैश्विक पूंजी निवेशकों के दबाव में आकर कर्नाटक और तमिलनाडु ने श्रम कानून इस तरह का संशोधन किया है। तमिलनाडु में इसका बहुत बड़ा फायदा तिरपुर स्थित गारमेंट उद्योग को मिलेगा जो मांग आधारित उत्पादन के अनुसार लंबे समय से कार्य दिवस बढ़ाने की मांग कर रहा था।

मुनाफा आधारित निवेश और पूंजीपतियों के हितों की सुरक्षा को लेकर बीजेपी और कांग्रेस शासित राज्य की नीतियों में कोई फर्क नहीं है। राजस्थान, गुजरात से लेकर तमिलनाडु कर्नाटक तक की सरकारें मज़दूर विरोधी श्रम संशोधनों को लागू करने में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में है। दो साल पहले 2020 में किसान आंदोलन के दौरान मोदी सरकार द्वारा एकतरफा तरीके से बिना किसी विरोध के 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर चार श्रम संहिता में बदलने के बाद राज्य सरकारों द्वारा चरणबद्ध तरीके से इनको लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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