बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा पदाधिकारियों के निलंबन के ख़िलाफ़ मज़दूरों के परिजनों का ज़ोरदार प्रदर्शन

आज 22 मार्च 2023 को गुड़गांव डीसी कार्यालय के समक्ष बेलसोनिका मज़दूरों के परिजनों और प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा ज़ोरदार जुलुस और धरने का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अगुआई करते हुए मज़दूरों के परिवारों और प्रमएके की महिला सदस्याओं ने बेलसोनिका यूनियन के तीन निलंबित साथियों की कर्यबहाली और प्रबंधन द्वारा लगातार उठाये जा रहे मज़दूर-विरोधी हथकंडों पर रोक की मांग उठायी।

छटनी-बंदी के ख़िलाफ़ लगातार रहेंगी सड़कों पर मज़दूर परिवारों की महिलाएं

गुड़गांव | आज 22 मार्च 2023 को गुड़गांव डीसी कार्यालय के समक्ष बेलसोनिका मज़दूरों के परिजनों और प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा ज़ोरदार जुलुस और धरने का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अगुआई करते हुए मज़दूरों के परिवारों और प्रमएके की महिला सदस्याओं ने बेलसोनिका यूनियन के तीन निलंबित साथियों की कर्यबहाली और प्रबंधन द्वारा लगातार उठाये जा रहे मज़दूरविरोधी हथकंडों पर रोक की मांग उठायी। अनेकों मज़दूरों के परिवार, बच्चों के साथ धरना स्थल पर पहुंचे। कार्यक्रम में क्षेत्र के अन्य मज़दूर संगठन भी समर्थन में पहुंचे जिनमें इंकलाबी मज़दूर केंद्र, मज़दूर सहयोग केंद्र, श्रमिक संग्राम कमेटी, मारूति मानेसर के बर्ख़ास्त मज़दूर व 2000 के मारूति गुड़गांव के आन्दोलन में निकाले गए साथी राम कुमार शामिल रहे।

आयोजनकर्ताओं ने इस बात को रेखांकित किया कि किसी औद्योगिक क्षेत्र में नयी कंपनियां स्थापित करने पर मिले सरकारी रियायतों और सुविधाओं का फायदा उठा के और मज़दूरों के जीवन के सबसे उर्जावान सालों में उनसे काम ले कर छंटनी – बंदी करके नयी कंपनियां खड़ी कर देना पूँजीवादी मुनाफाखोरी का पुराना पैंतरा है। ऐसे में छंटनीबंदी का सवाल किसी एक फैक्ट्री की यूनियन का मुद्दा नहीं बल्कि एक व्यापक सामजिक मुद्दा है जो हज़ारों परिवारों और पूरे क्षेत्र के विकास को प्रभावित करता है। यह मज़दूरों से सम्बंधित उनके परिजन, और व्यापक मेहनतकश समाज के लिए भी इस चलन के विरोध में खड़ा होने का आधार बनाता है।

श्रमिकों की परिजन महिला साथियों ने बोला की प्रबंधन द्वारा किया जा रहा आक्रमण सीधे रूप से उनके परिवार के जीवन यापन पर वार है। वह अपने पतियों की नौकरियां खोने का इंतज़ार नहीं करेंगी और अभी से मैदान में उतर कर यूनियन के साथ कंधे से कंधा मिला कर संघर्ष करेंगी। अगर प्रबंधन का रुख नहीं बदला तो महिलाओं ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ जाने की चेतावनी भी दी।

बेलसोनिका यूनियन के साथियों ने सवाल उठाया कि मनेजमेंट द्वारा मज़दूरों को निकालने का कारण फर्जी कागज़ बताए जा रहे है तो इन मज़दूरों की भर्ती कैसे हुई? पिछले 10 सालों में प्रबंधन ने इस विषय पे कोई कदम क्यों नहीं उठाया? इन सवालों का प्रबंधन के पास कोई जवाब नहीं है, जिससे यह साफ़ हो जाता है की प्रबंधन की केवल यूनियन को तोड़ने और सभी पक्के मदूरों की छंटनी के लिए रास्ता खोलने की कोशिश में लगी है।

पिछले दो सालों से बेलसोनिका प्रबंधन लगातार अलग अलग हथकंडे अपना कर यूनियनों को तोड़ने की कोशिश कर रही है जिससे की यह मौजूदा पक्के मज़दूरों की छंटनी कर सके और उनकी जगह अस्थायी मज़दूरों से कम वेतन और अधिकार विहीन स्थितियों में काम करवा सकें। प्रबंधन के इन क़दमों के ख़िलाफ़ यूनियन लगातार संघर्षरत रही है। छंटनी-बंदी की तलवार केवल बेलसोनिका पर नहीं, बल्कि पूरे औद्योगिक क्षेत्र के अनेकों कम्पनियों के पक्के मज़दूरों के ऊपर लटक रही है। बेलसोनिका के मज़दूरों और उनके परिवार वालों द्वारा उठायी जा रही यह आवाज़ पूरे क्षेत्र में छंटनीबंदी के बरपे कहर के विरोध की एक महत्वपूर्ण आवाज़ है।

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