दिल्ली: रामलीला मैदान में विशाल किसान महापंचायत; वायदाखिलाफी पर सरकार को चेतावनी

कृषि मंत्री को दिया ज्ञापन। एसकेएम ने चेताया कि अगर मांगें पूरी नहीं होती है, तो आंदोलन पार्ट-2 के लिए सरकार तैयार रहे! 30 अप्रैल को दिल्ली में होगी बैठक, बनेगी नई रणनीति।

दिल्ली। 20 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल किसान महापंचायत आयोजित हुई, जिसमें देश के कई राज्यों से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली पहुंचे। एसकेएम ने भारत के किसानों से खेती पर कॉर्पोरेट नियंत्रण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया।

किसानों और किसान नेताओं में गुस्से और रोष के बीच जहां एक ओर रामलीला मैदान पर किसान महापंचायत चल रही थी, तो दूसरी ओर 15 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से कृषि भवन में मुलाकात कर ज्ञापन दिया।

एसकेएम ने कृषि मंत्री को सूचित किया कि यदि जल्द से जल्द उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जायेगा तो, इसके विरोध में प्रदर्शन और आंदोलन किये जायेंगे।

कहा कि देश भर में बड़े पैमाने पर कॉरपोरेट शोषण के खिलाफ राज्य सम्मेलन का आयोजन जिया जायेगा, अखिल भारतीय यात्राएं निकाली जाएँगी और किसानों की मांगों पर लोगों को लामबंद किया जायेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने महापंचायत में किसान, आदिवासी किसान, महिला किसान, खेत मजदूर और प्रवासी मजदूर, ग्रामीण श्रमिक, बेरोजगारी, और बढ़ती निर्वाह व्यय और घटती क्रय शक्ति जैसे मुद्दों पर विस्तार से बात रखी।

मांगें नहीं मानी तो पिछले से बड़ा आंदोलन होगा

किसान नेताओं ने अपने सख्त तेवर दिखाए, और दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर हुए 12 महीने के आंदोलन को याद दिलाया। केंद्र सरकार से 9 दिसंबर, 2021 को दिए गए लिखित आश्वासनों को पूरा करने और लगातार बढ़ते संकट के समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की।

किसान नेताओं ने कहा कि जब हम पिछली बार सड़कों पर उतरे थे, तब सरकार को तीनों काले कानून वापस लेने पड़े थे। लेकिन कई अहम मांगों पर सरकार ने वादाख़िलाफी कर दी। उसी के खिलाफ हम किसानों ने महापंचायत बुलाई है। और अगर अब सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी तो पिछले आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन होगा।

किसान महापंचायत में वक्ताओं ने कर्ज में डूबी मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र, कृषि भूमि, वन और प्राकृतिक संसाधनों को कारपोरेट मुनाफाखोरों को बेचने की कड़ी निंदा की।

35 महापंचायत में 50 से अधिक वक्ताओं ने कृषि पर कॉर्पोरेट नियंत्रण और केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध जारी रखने का आह्वान किया।

आंदोलन पार्ट-2 की तैयारी; 30 अप्रैल को होगी बैठक

किसान नेताओं ने सरकार को चेताया कि अगर मांगें पूरी नहीं होती है, तो आंदोलन पार्ट-2 के लिए सरकार को तैयार रहना चाहिए। इसके लिए 30 अप्रैल को दिल्ली में बैठक बुलाई गई है, और यहीं पर सारी रणनीति तय होगी।

कहा कि कई अनसुलझे मुद्दे हैं और इनके समाधान के लिए और ‘आंदोलन’ की जरूरत है। हम 30 अप्रैल को दिल्ली में एक और बैठक बुलाएंगे। हम रोजाना आंदोलन नहीं करना चाहते, लेकिन हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं। अगर सरकार ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो हम एक और आंदोलन शुरू करेंगे, जो कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन से बड़ा होगा।

साथ ही किसान संघों से अपने-अपने राज्यों में रैलियां निकालने और बैठक के लिए पंचायत आयोजित करने का अनुरोध किया गया।

13 माह दिल्ली बार्डरों पर डटे रहे थे किसान

ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने सितंबर 2020 में संसद में तीन कृषि कानून पास किए थे। इन कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत देश के तमाम राज्यों के किसानों ने दिल्ली में कूच किया था, करीब डेढ़ साल तक किसान दिल्ली के बार्डरों पर डटे रहे थे।

इसके बाद किसानों से कई स्तर की बातचीत के बाद सरकार ने तीनों कानूनों को वापस लिया था। साथ ही किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों की लंबित मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था।

सरकार द्वारा 9 दिसंबर, 2021 को दिए गए लिखित आश्वासनों के धराशाई हो जाने के बाद किसान दिल्ली में इकट्ठा हुए और सरकार को चेतावनी दी।

एसकेएम ने कृषि मंत्री को दिए दो ज्ञापन

महापंचयत के दौरान एसकेएम के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री से मुलाकात की और उन्हें दो ज्ञापन सौंपे।

इस दौरान एसकेएम नेताओं और कृषि मंत्री के बीच चर्चा हुई और सरकार ने किसानों के लंबित और ज्वलंत मुद्दों को हल करने के लिए एसकेएम के साथ लगातार बातचीत करने पर सहमति जताई।

एसकेएम के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में आर. वेंकैया (अखिल भारतीय किसान सभा); डॉ. सुनीलम (किसान संघर्ष समिति); प्रेम सिंह गहलावत (अखिल भारतीय किसान महासभा); वी वेंकटरमैया (अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा); सुरेश कोठ (भारतीय किसान मजदूर यूनियन); युद्धवीर सिंह (भारतीय किसान यूनियन); हन्नान मोल्लाह, (अखिल भारतीय किसान सभा); बूटा सिंह बुर्जगिल (भारतीय किसान यूनियन (दकुंडा); जोगिंदर सिंह उगराहां (भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां); सत्यवान (अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन); अविक साहा (जय किसान आंदोलन); दर्शन पाल (क्रांतिकारी किसान यूनियन); मंजीत राय (भारतीय किसान यूनियन (दोआबा); हरिंदर लाखोवाल (भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल); सतनाम सिंह बहरू (इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन) शामिल हुए।

संयुक्त किसान मोर्चा की माँगें-

  • स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों पर सी2+50 प्रतिशत के फार्मूला के आधार पर एमएसपी पर खरीद की गारंटी के लिए कानून लाया और लागू किया जाए।
  • एसकेएम ने कई बार स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित समिति और इसका घोषित ऐजेंडा किसानों की मांगों के विपरीत है। इस समिति को रद्द कर, एसकेएम के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए किसानों के उचित प्रतिनिधित्व के साथ, सभी फसलों की कानूनी गारंटी के लिए एमएसपी पर एक नई समिति को गठित किया जाए, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा वादा किया गया था।
  • कृषि में बढ़ती लागत और फसल के लिए लाभकारी मूल्य न मिलने के कारण 80% से अधिक किसान कर्ज में डूब चुके हैं और आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं। ऐसी स्थिति में, संयुक्त किसान मोर्चा सभी किसानों के लिए कर्ज मुक्ति और उर्वरकों सहित लागत कीमतों में कमी की मांग करता है।
  • संयुक्त संसदीय समिति को विचारार्थ भेजे गए बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार ने एसकेएम को लिखित आश्वासन दिया था कि मोर्चा के साथ विमर्श के बाद ही विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद सरकार ने इसे बिना किसी चर्चा के संसद में पेश कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा कृषि के लिए मुफ्त बिजली और ग्रामीण परिवारों के लिए 300 यूनिट बिजली की मांग को फिर दोहराता है।
  • लखिमपुर खेरी जिले के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से बाहर किया जाए और गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए।
  • किसान आंदोलन के दौरान और लखिमपुर खेरी में शहीद और घायल हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करने के वादे को सरकार पूरा करे।
  • अप्रभावी और वस्तुतः परित्यक्त प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को रद्द कर, बाढ़, सुखा, ओलावृष्टि, असामयिक और/या अत्यधिक बारिश, फसल संबंधित बीमारियां, जंगली जानवर, आवारा पशु के कारण किसानों द्वारा लगातार सामना किए जा रहे नुकसान की भरपाई के लिए सरकार सभी फसलों के लिए सार्वभौमिक, व्यापक और प्रभावी फसल बीमा और मुआवजा पैकेज को लागू करे। नुकसान का आकलन व्यक्तिगत भूखंडों के आधार पर किया जाना चाहिए।
  • सभी किसानों और खेत-मजदूरों के लिए ₹5,000 प्रति माह की किसान पेंशन योजना को तुरंत लागू किया जाए।
  • किसान आंदोलन के दौरान भाजपा शासित राज्यों और अन्य राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए फर्जी मामले तुरंत वापस लिए जाए।
  • सिंघु मोर्चा पर शहीद किसानों के लिए एक स्मारक के निर्माण के लिए भूमि आवंटन किया जाए।

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