यूपी बिजलीकर्मियों की हड़ताल: योगी सरकार का दमन तेज, 650 संविदाकर्मी बर्खास्त, नेताओं को नोटिस

हाईकोर्ट के नोटिस और सरकार के दमनात्मक रुख व रासुका की चेतावनी के बावजूद बिजली कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं और अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है।

उत्तर प्रदेश में विद्युतकर्मियों की हड़ताल पर योगी सरकार का डंडा चल पड़ा है। माँगों का न्यायोचित समाधान की जगह दमन का पाटा चल रहा है। हाईकोर्ट के कर्मचारी विरोधी रुख के साथ यूपी सरकार ने मनमाने रूप से 650 आउटसोर्सिंग संविदाकर्मियों की सेवा समाप्त कर दी।

उधर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यूनियन नेताओं के खिलाफ शुक्रवार को अवमानना की कार्रवाई शुरू की और नेताओं को जमानती वारंट जारी किया। इस बीच, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने उच्‍च न्‍यायालय के आदेशों का हवाला देकर विभिन्न संगठनों के कुल 18 पदाधिकारियों को नोटिस जारी कर तत्काल हड़ताल वापस लेने को कहा है।

जबकि कर्मचारी उपस्थित नहीं करा पाने पर 7 एजेंसियों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं। वहीं काम नहीं करने वालों पर तत्काल एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। जिन एजेंसियों पर एफआईआर हुई है उन्हें प्रतिबंधित भी किया गया है। अब भविष्य में निगम में ये एजेंसिया काम नहीं कर सकेंगी।

हाईकोर्ट के नोटिस और सरकार के दमनात्मक कार्रवाइयों के बावजूद बिजली कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं और अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दे रहे हैं।

माँगों को लेकर बिजली कर्मियों की 72 घंटे की हड़ताल

गौरतलब है कि विभिन्न माँगों को लेकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर उत्तर प्रदेश के विद्युत कर्मी बृहस्पतिवार रात 10 बजे से तीन दिन की हड़ताल पर चले गए। राज्य सरकार ने हड़ताल पर दमनात्मक रुख अपनाते हुए काम पर नहीं आने वाले संविदा विद्युत कर्मियों को बर्खास्त करने और प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी।

इधर बिजली कर्मचारियों की तीन दिन की हड़ताल से प्रदेश की बिजली व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, कई जनपदों में घंटों बिजली कटौती की जा रही है। सरकार के तमाम दावे फेल हो गए हैं और बिजली आपूर्ति चरमरा गई है। हड़ताल में संविदा कर्मियों के शामिल होने से संकट और बढ़ गया है।

हड़ताल से लखनऊ, कानपुर, वाराणसी व मेरठ समेत कई शहरों में हड़ताल के पहले दिन ही जबरदस्त संकट पैदा हो गया। गोरखपुर और कानपुर में फैक्टरियों में औद्योगिक उत्पादन ठप हो गया। राजधानी लखनऊ का भारी हिस्सा बिजली संकट की चपेट में रहा। बिल जमा होने का काम भी ठप हो गया।

हाईकोर्ट का कडा रुख

बिजली आपूर्ति बाधित नहीं करने के पूर्व के आदेश के बावजूद प्रदेश के बिजली विभाग के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विभाग के कर्मचारी यूनियन नेताओं के खिलाफ शुक्रवार को अवमानना की कार्रवाई शुरू की। अदालत ने इन नेताओं को जमानती वारंट जारी किया और उन्हें 20 मार्च 2023 को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा।

एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने निर्देश दिया कि इस मामले में आपात स्थिति को देखते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ द्वारा जमानती वारंट जारी किया जाता है और उन्हें इस अदालत में 20 मार्च 2023 को सुबह 10 बजे पेश होना आवश्यक है।

अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि संबंधित अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई की जाए ताकि इस अदालत द्वारा राज्य में बिजली आपूर्ति बाधित नहीं करने संबंधी छह दिसंबर 2022 को पारित आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके।

इस मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च तय करते हुए अदालत ने राज्य सरकार को तब तक इस मामले में की गई कार्रवाई की जानकारी देने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा, “संबंधित विभाग के अपर मुख्य सचिव तब तक एक हलफनामा प्रस्तुत करेंगे।” अदालत ने कहा, “जो कुछ भी हमारे समक्ष प्रस्तुत किया गया है, उसे देखकर लगता है कि एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई है जिस पर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत है। भले ही इन कर्मचारियों की मांग में दम है, तब भी पूरे राज्य को बाधा में नहीं डाला जा सकता।”

अदालत ने कहा, “कर्मचारियों का इस तरह का कृत्य बिजली आपूर्ति बाधित नहीं करने के इस अदालत के निर्देश का उल्लंघन है। राज्य की अलग-अलग बिजली उत्पादन इकाइयों में बिजली उत्पादन घटने से राष्ट्रीय हित से समझौता होता है। इसलिए प्रथम दृष्टया यह छह दिसंबर 2022 के इस अदालत के आदेश की अवज्ञा है।”

योगी सरकार की दमनात्मक कार्रवाई

हड़ताली बिजली कर्मियों पर सख्ती दिखाते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में कहा कि अराजकता फैलाने वालों को सूचीबद्ध किया जाएगा। बिजली फीडर बंद करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इस बीच, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने उच्‍च न्‍यायालय के आदेशों का हवाला देकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे समेत विभिन्न संगठनों के कुल 18 पदाधिकारियों को नोटिस जारी कर तत्काल हड़ताल वापस लेने को कहा है।

उधर, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बातचीत के रास्ते खुले हैं। नेशनल ग्रिड से जुड़े कार्यालय में बृहस्पतिवार रात 11 बजे के बाद सिस्टम ठप करने का प्रयास करने वाले कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई होगी।

दमन तेज करते हुए योगी सरकार ने 650 आउटसोर्सिंग संविदाकर्मियों के सेवा समाप्त कर दी है। उनमें पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के 242 कर्मी, मध्यांचल वितरण निगम 110 कर्मी, पश्चिमांचल में 60 और दक्षिणांचल 38 कर्मी शामिल हैं।

हड़ताल शांतिपूर्ण; तोडफोड का आरोप निराधार

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि हड़ताल के चलते उत्पादन निगम की 1030 मेगावाट क्षमता की 5 इकाइयां ठप हो गई हैं। प्रदेश में कुल 1850 मेगावाट उत्पादन प्रभावित हुआ है। समिति ने बिजलीकर्मियों पर तोड़फोड़ के आरोपों का कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा कि बिजली कर्मी विद्युत संयंत्रों को अपनी मां की तरह मानते हैं और शांतिपूर्ण ढंग से हड़ताल कर रहे हैं।

संघर्ष समिति ने ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन को हड़ताल के लिए उत्तरदाई ठहराते हुए कहा है कि बिजलीकर्मी ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते के सम्मान के लिए लड़ रहे हैं। समिति का दावा है कि 16 मार्च की रात 10 बजे हड़ताल शुरू होने के बाद उत्पादन गृहों, एसएलडीसी और पारेषण विद्युत उपकेंद्रों की रात्रि पाली में कार्य करने के लिए एक भी बिजलीकर्मी ड्यूटी पर नहीं गया। हड़ताल शत-प्रतिशत सफल रही है।

बिजली कर्मचारियों की माँगें-

  • बिजली कर्मचारियों ने अपने कार्यकाल के तीन पड़ाव यानी नौ, 14 और 19वें साल की सेवा के बाद तीन प्रमोशन के तहत वेतनमान देने की मांग की है यानी पदोन्नत पदों के समयबद्ध वेतनमान के आदेश को लागू करने की मांग की है। 
  • उनकी मांग है कि निर्धारित प्रक्रिया के तहत यानी कि समिति के जरिए ऊर्जा निगमों के चेयरमैन और प्रबंधन निदेशक का चयन हो।
  • कर्मचारियों ने सुरक्षा के लिहाज से पावर सेक्टर एम्पलॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की भी मांग की है।
  • कर्मचारियों ने स्वास्थ्य सेवा के संबंध में भी अपनी मांग रखी है. उनका कहना है कि उन्हें कैशलेश इलाज की सुविधा मिले।
  • नए बिजली सब-स्टेशन का निर्माण ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन से कराए जाने की मांग की गई है।
  • कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह मांग की गई है कि सभी निगमों में एक समान मानदेय हों और वेतन की विसंगतियां दूर की जाएं।
  • हड़ताली कर्मचारियों ने पुनरीक्षण और वेतन विसंगतियों के निराकरण की भी मांग की है।
  • इन कर्मचारियों की मांग है कि ट्रांसफॉर्मर वर्कशॉप के निजीकरण के जो आदेश दिए गए हैं, उसे वापस लिया जाए।
  • इसके अलावा पावर सब-स्टेशन में आउटसोर्स के जरिए संचालन करने के लिए गए फैसले को रद्द किया जाए।
  • दिल्ली, ओडिशा, पंजाब और तेलंगाना की ऊर्जा निगमों में जिस तरह कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को नियमित किया गया है यूपी में भी ठीक वैसे ही नियमित किया जाए।
  • हड़ताली कर्मचारियों ने लंबे समय से अटके बोनस के भुगतान की भी मांग की है।

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