महाराष्ट्र: सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल जारी- ‘केवल एक मिशन, पुरानी पेंशन बहाल करो’

राज्य सरकार के कर्मचारियों और शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करने वाली 35 यूनियनों की समिति के नेतृत्व में पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली को लेकर बीते 14 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है।

नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार के लाखों कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाल करने की मांग को लेकर बीते मंगलवार 14 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए, जिससे सरकारी अस्पतालों सहित विभिन्न सेवाएं प्रभावित हो रही हैं.

बुधवार को भी उनकी यह हड़ताल जारी है. हड़ताल के कारण सरकारी अस्पतालों और कार्यालयों में कामकाज प्रभावित रहा.मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा उनकी मांग पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की घोषणा के एक दिन बाद ही कर्मचारी हड़ताल पर चले गए.

एनडीटीवी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में कार्यरत पैरामेडिक्स, सफाई कर्मचारी और शिक्षक भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं. यह हड़ताल ऐसे समय हो रही है, राज्य में जब कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं.कर्मचारियों ने सरकारी कार्यालयों और अस्पतालों के बाहर ‘केवल एक मिशन, पुरानी पेंशन बहाल करो’ के नारे लगाए.

राज्य सरकार के कर्मचारियों, अर्ध-सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करने वाली लगभग 35 यूनियनों की एक समिति के संयोजक विश्वास काटकर ने कहा कि महाराष्ट्र के सभी 36 जिलों में उनके सदस्य हलचल में भाग ले रहे हैं.

काटकर ने दावा किया, ‘अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी प्रतिष्ठानों, कर कार्यालयों और यहां तक कि जिला कलेक्टर कार्यालयों में भी सेवाएं पूरी तरह बंद रहीं.’उन्होंने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा और मांग की कि पुरानी पेंशन योजना, जिसके तहत सरकार द्वारा पूरी पेंशन राशि दी गई थी, को बहाल किया जाना चाहिए.

महाराष्ट्र नर्सेज एसोसिएशन की सुमित्रा टोटे ने कहा कि 30 जिलों की 34 शाखाओं के सदस्यों ने पहले दिन हड़ताल में भाग लिया.2004 के बाद से सरकारी कर्मचारी (सशस्त्र बलों के कर्मचारियों को छोड़कर) राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत कवर किए गए हैं, एक अंशदायी योजना जहां भुगतान बाजार से जुड़ा हुआ है और रिटर्न आधारित है.

रिपोर्ट के मुताबिक, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) यूनियनों के सूत्रों ने कहा कि हालांकि उन्होंने हड़ताल का समर्थन किया है, लेकिन उन्होंने इसमें भाग नहीं लिया है.

म्युनिसिपल यूनियन के अध्यक्ष शशांक राव ने कहा कि उनके संगठन ने पुरानी पेंशन योजना में वापसी की मांग करते हुए मुख्यमंत्री शिंदे को के अलावा बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल को एक ज्ञापन दिया है.राव ने आगाह किया, ‘अगर सरकार राज्य सरकार के कर्मचारियों के आंदोलन को कुचलने की कोशिश करती है, तो नगरपालिका कर्मचारी भी उनके समर्थन में आंदोलन में कूद पड़ेंगे.’

पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे भी आंदोलनकारी कर्मचारियों के समर्थन में सामने आए और कहा कि सरकार को पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना चाहिए. आम आदमी पार्टी (आप) पहले ही योजना बहाली की मांग को समर्थन दे चुकी है.

इस दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बीते मंगलवार को कर्मचारियों से अपना आंदोलन वापस लेने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांग के प्रति सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण है. शिंदे ने पुरानी और नई पेंशन योजनाओं के अध्ययन के लिए एक समिति गठित करने की भी घोषणा की.

बुधवार को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘चर्चा से ही इस मुद्दे का समाधान हो सकता है. कल (मंगलवार) मुख्यमंत्री ने तीन सदस्यीय समिति को तीन महीने के भीतर सिफारिश रिपोर्ट प्रस्तुत करने की घोषणा की. यह हमें एक दीर्घकालिक समाधान देगा.’

उन्होंने कहा, ‘हम इस बात से भी सहमत हैं कि कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन और सामाजिक सुरक्षा मिलनी चाहिए. मैं यूनियनों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने अपनी हड़ताल वापस ले ली और हड़ताल में शामिल अन्य यूनियनों से ऐसा करने का अनुरोध करता हूं. सरकार इन कर्मचारियों के पीछे दृढ़ है और उनकी मांगों के लिए प्रतिबद्ध है.’

रिपोर्ट के मुताबिक, पुरानी पेंशन योजना की बहाली के अलावा आंदोलनकारी कर्मचारियों ने संविदा कर्मचारियों की सेवाओं के नियमितीकरण, रिक्त पदों को भरने और शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को सेवाकालीन उन्नति योजना के लाभों सहित कई अन्य मांगों को भी उठाया.

सोमवार को यूनियनों और राज्य सरकार के बीच वार्ता विफल होने के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल कर्मचारी हड़ताल पर चले गए.मालूम हो कि कई राज्यों में सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए आंदोलन कर रहे हैं, जिसे 2003 में बंद कर दिया गया था.

इसके तहत एक सरकारी कर्मचारी को उसके अंतिम वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर मासिक पेंशन मिलती है. इसमें कर्मचारियों द्वारा योगदान की कोई आवश्यकता नहीं होती है.

नई पेंशन योजना के तहत राज्य सरकार का एक कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत योगदान देता है, जिसमें राज्य भी उतना ही योगदान देता है. पैसा तब पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा अनुमोदित कई पेंशन फंडों में से एक में निवेश किया जाता है और रिटर्न बाजार से जुड़ा होता है.

द वायर से साभार

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