प्रदर्शन: बस्ती बचाओ संघर्ष समिति बनभूलपुरा के सदस्यों पर लगे फर्जी मुक़दमें वापस लो!

मुकदमे सरासर फर्जी हैं। यह सरकार के फासीवादी कदमों की बानगी है। यहां पुलिस पूरी तरह मामले से अवगत होने के बावजूद समिति सदस्यों-कार्यकर्ताओं को परेशान कर रही है।
हल्द्वानी (उत्तराखंड)। बस्ती बचाओ संघर्ष समिति बनभूलपुरा के 4 सदस्यों पर लगे फर्जी मुकदमों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर 15 मार्च को बुद्ध पार्क में सभा कर मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी/सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से भेजा गया। साथ ही ज्ञापन में उत्तराखंड सरकार से उच्चतम न्यायालय में बनभूलपुरा के पक्ष में मजबूती से पैरवी करने की मांग भी की गई।
ज्ञात हो कि विगत 2 जुलाई 2022 को बस्ती बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले उत्तराखंड उच्च न्यायालय में अपीलकर्ता रविशंकर जोशी के घर पर जाकर बस्ती के बच्चे और महिलाओं का याचिका वापस लेने की अपील का कार्यक्रम ‘बाल आग्रह’ तय किया गया था। तब मामला उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल में विचाराधीन था। इसी मामले में बाद में प्रतिशोधवश पुलिस द्वारा फर्जी मामला बनाया गए।
14 फरवरी, 2023 को संघर्ष समिति के एक कार्यकर्ता के घर में 17 फरवरी को न्यायालय में प्रस्तुत होने का सम्मन प्राप्त हुआ। उसके बाद तीन और कार्यकर्ताओं के नाम सम्मन पहुंचे। इनमें परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, तीन संगठनों के कार्यकर्ता थे। इसमें समिति के सदस्यों पर आईपीसी की जमानती-गैर जमानती धाराओं में फर्जी मुक़दमें लगाए गए।


सभा में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रजनी ने पूरे घटना क्रम को स्पष्ट तौर पर रखते हुए बताया कि मुकदमे पूरी तरह से फर्जी हैं। बल्कि मामले में समिति के कार्यकर्ताओं को सम्मन भी समय पर नहीं सौंपे गए, इससे कार्यकर्ता समय पर अपनी पैरवी न कर सके।
इंक़लाबी मजदूर केंद्र के सुरेन्द्र ने कहा कि यह सरकार के फासीवादी कदमों की बानगी है। यहां पुलिस पूरी तरह मामले से अवगत होने के बावजूद समिति सदस्यों-कार्यकर्ताओं को परेशान कर रही है। आज देश में दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों, महिलाओं, मजदूरों-किसानों पर राजकीय दमन हो रहा है। बल्कि इनके पक्ष में उठने वाले हर व्यक्ति, संगठन को भी दमन का शिकार बनाया जा रहा है।

समिति के संयोजक टीका राम पाण्डे ने बताया कि लंबे समय से गफूर बस्ती को उजाड़ दिया गया और सही से नहीं बसाया गया। इसके बाद पुनः लोग बस गए। इस तरह सरकार बनभूलपुरा की बस्तियों के प्रति सरकार हमेशा बेरुखी अपनाये रही।
परिवर्तनकामी छात्र संगठन के महेश ने कहा कि सरकार के फासीवादी कदमों के तहत हो रहे दमन की हर कार्यवाही का विरोध किया जाए। न्याय के लिए मजबूती से आवाज उठाते हुए ही अपने नागरिक अधिकारों को सुरक्षित किया जा सकता है।
सभा में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र से बिंदु गुप्ता, भगवती देवी, पूनम, पुष्पा, कमला, गीता कश्यप, रजनी, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के नसीम, रईस, रियासत, मुकेश भंडारी परिवर्तनकामी छात्र संगठन से महेश, चंदन, मजदूर सहयोग केंद्र के कार्यकारी अध्यक्ष दीपक सनवाल, इंक़लाबी मज़दूर केंद्र से सुरेन्द्र, दिनेश शामिल रहे।