हरियाणा: मनरेगा मज़दूर यूनियन का प्रांतीय सम्मेलन जोश के साथ सम्पन्न, नई कार्यकारिणी गठित

मनरेगा मज़दूरों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन भी किया और सम्मेलन में पारित मांग पत्र का ज्ञापन जिला उपायुक्त कैथल के मार्फत राष्ट्रपति भारत सरकार के नाम सौंपा।

कैथल (हरियाणा)। मनरेगा मजदूर यूनियन-1943 का 7 वां प्रांतीय सम्मेलन शनिवार को स्थानीय जवाहर पार्क में राज्य प्रधान नरेश कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। मंच संचालन महासचिव सोमनाथ ने किया। सम्मेलन के आरंभ में मजदूर वर्ग के हित में काम करते हुए शहीद होने वाले साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद यूनियन की कानूनी सलाहकार एवं जन संघर्ष मंच हरियाणा की महासचिव सुदेश कुमारी ने सम्मेलन का उदघाटन किया और मनरेगा मजदूरों को उनके सफल सम्मेलन पर क्रांतिकारी बधाई दी।

यूनियन के महासचिव सोमनाथ ने गत 2 वर्षों में यूनियन द्वारा की गई गतिविधियों पर रिपोर्ट तथा वित्त सचिव बलकार सिंह ने वित्तीय रिपोर्ट पेश की।

रिपोर्ट पेश करते हुए महासचिव सोमनाथ ने कहा कि मोदी व खट्टर सरकार की नीति पूरी तरह मजदूर विरोधी है। मनरेगा में इस समय 29 करोड़ मजदूर पंजीकृत हैं और यह संख्या और भी बढ़ती जा रही है। भयंकर बेरोजगारी है। परंतु सरकार मनरेगा बजट हर साल घटाती जा रही है।

आगामी साल के लिए जो मनरेगा बजट 60 हजार करोड़ रखा गया है उससे सभी पंजीकृत मनरेगा मजदूरों को 10 दिन भी काम नहीं दिया जा सकता है। इससे सरकार के मजदूर विरोधी रुख का साफ पता चलता है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने कोरा झूठ बोला है कि मनरेगा काम की मांग घट रही है।

असलियत यह है कि हरियाणा में जब मजदूर काम के लिए आवेदन करते हैं तब न तो उसी समय पोर्टल पर दर्ज किया जाता है और न मजदूर को पावती दी जाती है। किसी ग्राम पंचायत में मनरेगा रोजगार दिवस का आयोजन नहीं किया जाता है। काम देने में सरकार व अफसर सरपंच पूरी तरह मनमर्जी करते हैं। मजदूरी भुगतान में देरी की जाती है। मांग पर 15 दिन के अंदर काम न दिए जाने पर खट्टर सरकार मनरेगा बेरोजगारी भत्ता नहीं दे रही है।

उन्होंने यूनियन द्वारा किये गए कामों के बारे में विस्तार से बताते कहा कि मोदी सरकार की नीयत बिना घोषणा किए मनरेगा को बंद करने की है। इसलिए मजदूरों के सामने चुनौती है कि वे कैसे एकजुट होकर मनरेगा रोजगार को बचा सकें और कैसे मजदूर विरोधी सरकार के खिलाफ संघर्ष तेज करें। यही आज मनरेगा मजदूरों के इस सम्मेलन का प्रमुख मुद्दा है।

सम्मेलन में हि०प्र० से आए अतिथि मनरेगा व निर्माण एवं सर्व कामगार संगठन के महासचिव अजीत राठौर ने मनरेगा मजदूरों का समर्थन करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश के मनरेगा मजदूर पूरी तरह साथ हैं और यूनियन द्वारा किए जाने वाले हर संघर्ष में साथ खड़े हैं।

निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन के प्रधान करनैल सिंह ने कहा कि पहले हरियाणा में मनरेगा  मजदूरों को भी निर्माण कार्य मजदूरों की तरह बीओसीडब्ल्यू बोर्ड के सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलता था लेकिन खट्टर सरकार ने निर्माण मजदूरों के साथ-साथ मनरेगा मजदूरों को भी यह लाभ देने बंद कर दिए हैं। उन्होंने इसके लिए खट्टर सरकार की कड़े शब्दों में निंदा की।

यूनियन के मुख्य सलाहकार एवं जन संघर्ष मंच हरियाणा के राज्य प्रधान ने आगामी दो वर्षों के लिए राज्य कमेटी का प्रस्ताव पेश किया जो सर्वसम्मति से पास किया गया।

राज्य कार्यकारिणी में- राज्य प्रधान: नरेश कुमार, उपप्रधान: फकीर चंद,  महासचिव: सोमनाथ, सचिव: सुनहरा सिंह, सह सचिव: परवेश, कैशियर: बलकार सिंह, प्रचार सचिवसचिव: कर्मजीत कौर, कार्यालय सचिव: चांदी राम तथा कार्यकारिणी सदस्य: बबली करनाल, दिलबाग सिंह जींद, रोशन लाल कुरुक्षेत्र को चुना गया।

सम्मेलन को पूर्व प्रधान पाल सिंह, जोगिंदर सिंह जिला प्रधान कैथल, कर्मजीत कौर प्रचार सचिव, मेवा राम जिला प्रधान कुरुक्षेत्र ने भी संबोधित किया।

राज्य प्रधान नरेश कुमार ने सम्मेलन के सफल आयोजन में सहयोग देने के लिए सभी साथियों का धन्यवाद किया। उन्होंने हिन्दू मुस्लिम व गाय के नाम पर मेहनतकश जनता को आपस में लड़वाने वाली काली ताकतों को परास्त करने का आह्वान किया और हरियाणा में पिछले दिनों अपराधी प्रवृत्ति के तथाकथित गो भक्तों द्वारा राजस्थान के दो मुस्लिम युवकों की बोलेरो गाड़ी में बेरहमी से जिंदा जलाकर मार डालने की घटना, 19 फरवरी को ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए लड़ रहे कर्मचारियों पर लाठीचार्ज व आंदोलनकारी सरपंचो पर लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की।

हरियाणा व मोदी सरकार को चेतावनी देत हुए उन्होंने कहा कि यूनियन आगामी समय में आज जो मांग पत्र दिया है, के आधार पर संघर्ष करेगी, गाँव गाँव जाकर मजदूर विरोधी मोदी व खट्टर सरकार की पोल खोली जाएगी और मुख्यमंत्री आवास करनाल व दिल्ली में भी प्रदर्शन किए जाएंगे।

अंत में मनरेगा मजदूरों ने शहर में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया और आज के सम्मेलन में पारित निम्नलिखित मांग पत्र जिला उपायुक्त कैथल के मार्फत राष्ट्रपति भारत सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन उपायुक्त कैथल के प्रतिनिधि के तौर पर मैडम सुदेश तहसीलदार ने लिया।

मांग पत्र-

  1. दैनिक मनरेगा मजदूरी 800 रुपये तथा मंहगाई दर के अनुरूप हर वर्ष मजदूरी में वृद्धि की जाए। साल में 200 दिन प्रति व्यक्ति रोजगार गारंटी दी जाए।
  2. भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों की तरह मनरेगा मजदूरों को भी श्रम कल्याण बोर्ड की योजनाओं का लाभ दिया जाए।
  3. जॉब कार्ड व काम के लिए आवेदन की पावती दी जाए और काम की मांग के आवेदन को उसी दिन ही नरेगा पोर्टल पर दर्ज किया जाए। काम के इच्छुक सभी मजदूरों को मांग की तिथि के अनुसार काम दिया जाए अथवा 15 दिन के अंदर काम नहीं दिये जाने पर बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।
  4. मस्टर-रोल पूरा हो जाने के बाद एक सप्ताह के अंदर मजदूरी भुगतान हो। देरी होने पर मजदूरी भुगतान मुआवजे सहित किया जाए। बकाया मजदूरी और बेरोजगारी भत्ते का मुआवजे सहित तुरंत भुगतान किया जाए। 
  5. प्रत्येक कार्यदिवस पूरा हो जाने पर मजदूर के जॉब कार्ड में मेट/ रोजगार सहायक द्वारा हाजरी भरी जाए। NMMS एप के काम न करने या नेटवर्क न होने पर मजदूर की हाजरी लगाने की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
  6. जिन मजदूरों ने काम की मांग की हुई है उन्हें तुरंत काम या बेरोजगारी भत्ता दिलवाया जाए। तालाब में से जलखुंबी निकालने जैसे काम जिन्हें केवल सामूहिक रूप से ही किया जा सकता हो उन्हें समयानुसार मजदूरी के आधार पर करवाया जाए। गहरे तालाब जैसे खतरनाक कार्यस्थल पर सुरक्षा की उचित व्यवस्था हो। ग्राम पंचायत के काम करवाने के लिए टेंडरींग या ई-टेंडरींग बिलकुल बंद हों और सभी काम मनरेगा मजदूरों से करवाए जाएँ। 
  7. कार्यस्थल पर पीने के पानी, छाया, फर्स्ट एड बॉक्स आदि का प्रबंध हो।
  8. मनरेगा दिशा निर्देश – 2006 के अनुसार गाँव स्तर पर सप्ताह में एक दिन मनरेगा रोजगार दिवस मनाया जाना सुनिश्चित करवाया जाए जिसमें मजदूर अपने मनरेगा से संबंधित काम करवा सकें।
  9. प्रत्येक शिकायत का एक सप्ताह के भीतर निपटारा हो। मजदूरों के विवादों का शीघ्र निपटारा करने के लिए फास्ट ट्रेक श्रम अदालतें गठित की जाएँ।
  10. काम के औज़ार सरकारी खर्च पर उपलब्ध करवाए जाएँ अथवा बाजार दर के अनुसार औजारों की कीमत दी जाए।
  11. 50 वर्ष से अधिक आयु के मजदूरों को प्राथमिकता के आधार पर काम गाँव में ही दिया जाए। 2 किलोमीटर से अधिक दूरी पर काम दिये जाने पर सरकारी वाहन का प्रबंध हो।
  12. ईएसआई की तर्ज पर स्वास्थ्य स्मार्ट कार्ड जारी करके मजदूर परिवारों को मुफ्त इलाज की गारंटी दी जाए।
  13. मनरेगा में भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जाए। मनरेगा कानून का उलंघन करने वाले पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, अधिकारियों, कर्मचारियों व मेटों को कड़ी सजाएँ दिये जाने का प्रावधान लागू किया जाए।
  14. कार्यस्थल पर या काम पर आने जाने के दौरान मनरेगा मजदूर की मृत्यु या स्थाई अपंगता की स्थिति में न्यूनतम 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता पीड़ित परिवार को दी जाए। स्वाभाविक मृत्यु हो जाने पर भी 10 लाख रुपए की सहायता पीड़ित परिवार को दी जाए।
  15. बेघर मजदूरों को रिहायशी प्लाट व मकान बनवाकर दिए जाएँ। शौचालय, पशु बाड़ा निर्माण के लिए 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए।
  16. काम की योजना बनाने तथा किए गए काम का सोशल ऑडिट करवाए जाने के लिए सार्वजनिक स्थान पर ग्राम सभा की बैठकें हों और इन बैठकों की वीडियोग्राफी हो। सोशल ऑडिट के समय उस गाँव के पंजीकृत मनरेगा मजदूर यूनियनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
  17. मनरेगा मेट की नियुक्ति मनरेगा मजदूरों की सहमति से किए जाने का प्रावधान किया जाए।
  18. सरकार की जनविरोधी निजीकरण, ठेकाप्रथा व एफ़डीआई आदि नीति पर रोक लगाई जाए।
  19. केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई मजदूर विरोधी श्रम संहिताएँ रद्द की जाएँ और श्रम क़ानूनों में मजदूर पक्षीय सुधार किए जाएँ।
  20. मंहगाई पर रोक लगे। बस, रेल किराया, रसोई गैस, डीजल, पेट्रोल आदि सस्ता हो। अनाज सहित तमाम जीवनोपयोगी आवश्यक वस्तुओं का थोक और खुदरा व्यापार सरकार अपने हाथ में ले। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्विक किया जाए। सभी मनरेगा मजदूर परिवारों के बीपीएल राशनकार्ड बनाए जाएँ।

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