श्रीलंका: प्रदर्शनकारी छात्रों का दमन; टैक्स के खिलाफ ट्रेड यूनियनें द्वारा 15 को हड़ताल

श्रीलंका में आईएमएफ की शर्तों पर थोपी जा रही नीतियों का पहले से ही तबाह जनता का चौतरफा विरोध जारी है। उधर छात्र सड़क पर हैं तो कर्मचारी-शिक्षक 15 मार्च को आम हड़ताल करेंगे।

श्रीलंका में राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे द्वारा जारी जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन तेज होता जा रहा है। तो सत्ता का दमन भी तेज हो गया है। 7 मार्च को छात्रों के प्रदर्शन का पुलिस ने भारी दमन किया। छात्रों पर आँसू गैस के गोले छोड़े गये, उन्हें लोहे और लकड़ी की छड़ों से पीटा गया। वहीं देश के कर्मचारियों व शिक्षकों ने 15 मार्च को आम हड़ताल का एलान किया है।

दरअसल श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे द्वारा पहले से ही तबाह जनता पर टैक्स बढ़ोतरी का जन विरोधी कदम उठाया गया है। श्रीलंका सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की शर्तों को पूरा करने की कोशिश में इनकम टैक्स दरों भारी इजाफा किया है। शर्तों के मुताबिक उन्हें देश के अंदर कटौती कार्यक्रम लागू करना है। इसका चौतरफा विरोध जारी है।

श्रीलंका में हालात इस कदर खराब हैं कि लोग सड़कों पर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. बिजली की कटौती के चलते कारोबारियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। इसके चलते अभी भी सैकड़ों लोग भूखे रहते हैं।

छात्रों के प्रदर्शन का भारी दमन

7 मार्च को छात्रों का कोलम्बो फोर्ट रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन होना था। लेकिन मज़िस्ट्रेट ने वहां प्रदर्शन पर रोक लगा दी। साथ ही गाले फेस ग्रीन, राष्ट्रपति सचिवालय, राष्ट्रपति आवास और कोलम्बो में कई सड़कों को प्रदर्शन के लिए प्रतिबंधित कर दिया।

उसके बाद छात्रों ने फोर्ट रेलवे स्टेशन से तीन किलोमीटर दूर जाकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी छात्र हाथों में तख्तियाँ पकड़े नारे लगा रहे थे – लूटा हुआ धन वापिस दो, आतंकवादरोधी कानून वापिस लो, गिरफ्तार छात्रों को रिहा करो, छात्रों का शिकार करना बंद करो, समानों और टैक्स की दर कम करो, व्यवस्था परिवर्तन के लिए तैयार रहो, नया संविधान बनाओ।

छात्रों का कारवां कोलम्बो यूनिवर्सिटी की तरफ आगे बढ़ा तो पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों पर पानी की बौछार की और लकड़ी व लोहे की छड़ों से हमला किया।

छात्रों पर पुलिसिया हमले के विरोध में अगले दिन कोलम्बो और केलानिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने प्रदर्शन किया। तब भी पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स ने छात्रों का दमन किया। छात्र लगातार कर रहे थे कि जिस तरह से उन्होंने पिछले साल राजपक्षे को हटाया था वैसे ही वे इस राष्ट्रपति को भी हटाएंगे।

15 मार्च से कर्मचारियों-शिक्षकों की हड़ताल का ऐलान

दूसरी ओर श्रीलंका के के कर्मचारियों व शिक्षकों ने 15 मार्च को आम हड़ताल का एलान किया है। इस आंदोलन में शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और बंदरगाह के कर्मचारी भी शामिल हैं। ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा है कि टैक्स नीति के खिलाफ हाल में लगातार विरोध प्रदर्शन हुए हैं। लेकिन अब वक्त पूरा काम रोकने का आ गया है।

फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (एफयूटीए) की प्रवक्ता चारूदत्ता इलांगासिंघे ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अब निर्णायक संघर्ष का समय आ गया है। उन्होंने कहा- ‘अब अधिक इंतजार नहीं किया जा सकता। 15 मार्च के पहले सरकार को फैसला करना होगा, वरना 15 तारीख से देश में पानी, बिजली, जहाजरानी और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की सेवाएं बंद हो जाएंगी।’ सरकार अगर एक उचित टैक्स सिस्टम का प्रस्ताव सामने रखे, तो ट्रेड यूनियनें उस पर बातचीत करने को तैयार हैं।

इलांगासिंघे ने कहा- ‘हम रोज एक स्विच ऑफ कर रहे थे। लेकिन 15 मार्च को मेन स्विच को ऑफ कर दिया जाएगा।’ उन्होंने चेतावनी दी कि इससे लोगों को जो दिक्कत होगी, उसके लिए कर्मचारी जिम्मेदार नहीं होंगे। उन्होंने कहा- ‘हमारे डॉक्टरों, बैंककर्मियों और बंदरगाह कर्मचारियों तो दोषी मत ठहराइए। यह जिम्मेदारी सरकार को लेनी होगी।’

सिलोन बैंक एम्पलॉइज यूनियन के अध्यक्ष चन्ना दिसानायके ने एलान किया है कि बैंक कर्मचारी भी 15 मार्च की हड़ताल में शामिल होंगे। सिलोन बैंक एम्पलॉइज यूनियन में 18 अलग-अलग बैंकों की यूनियनें शामिल हैं। साथ ही सेंट्रल बैंक के कर्मचारियों की चार यूनियनें भी इसकी सदस्य हैं।

दिसानायके ने कहा- ‘कई प्राइवेट बैंकों के कर्मचारी भी हमारे आंदोलन में शामिल हुए हैं। हम बैंकिंग सिस्टम के हिस्से के रूप में एकजुट हुए हैं और ट्रेड यूनियन गतिविधियों को तेज करने का फैसला किया है। इसमें 15 मार्च से शुरू हो रहे सप्ताह में हड़ताल का निर्णय भी शामिल है। जब पेशेवरकर्मियों पर अनुचित टैक्स लगाया जाता है, तो उसका असर सिर्फ पेशेवरकर्मियों पर ही नहीं, बल्कि उनके नीचे के हर स्तर पर पड़ता है। इससे देश में आर्थिक मंदी की शुरुआत हो सकती है।’

श्रीलंका में सभी यूनियनें हाल में की गई टैक्स बढ़ोतरी का विरोध कर रही हैं। श्रीलंका में लागू नई टैक्स नीति के मुताबिक एक लाख रुपये प्रति महीने से अधिक कमाने  वाले हर व्यक्ति को टैक्स दायरे में ले आया गया है। साथ ही टैक्स की दर 36 फीसदी कर दी गई है।

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