महिला दिवस आयोजन: महिलाओं की मुक्ति बिन श्रमिकों की मुक्ति और समाजवाद सम्भव नहीं

अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस पर देश दुनिया में विविध कार्यक्रमों द्वारा नारी मुक्ति का सवाल गहराई से उठा। रामनगर (उत्तराखंड), गोहाना (हरियाणा) व बिहार में भी हुए आयोजन।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के अवसर पर दुनिया के विभिन्न हिस्सों के साथ भारत में भी विविध कार्यक्रम आयोजित होने का सिलसिला लगातार जारी रहा। इस दौरान जनसभा, गोष्ठी, जुलूस, प्रदर्शन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। साथ ही देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले को उनके स्मृति दिवस पर श्रद्धांजलि दी गई।

इस दौरान वक्ताओं ने महिला संघर्षों की चर्चा की और बताया कि एक सदी पूर्व अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की नींव डेनमार्क में कम्युनिस्ट नेता क्लारा जेटकिन ने समाजवादी महिलाओं के सम्मेलन में रखी थी। इसके बाद से ही दुनिया भर में महिला दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

विविध कार्यक्रमों की झलक

उत्तराखंड:

महिला एकता मंच द्वारा सभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

रामनगर, नैनीताल। महिला एकता मंच द्वारा 10 मार्च को हिम्मतपुर डोटियाल में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के अवसर पर सभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया तथा देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले को उनके स्मृति दिवस पर श्रद्धांजलि दी।

कार्यक्रम में अनीता, विद्या, मोना, प्रीति, पूजा, तुलसी, देवा व सरस्वती आदि महिलाओं ने ‘मुंह सी के अब जी ना पाऊंगी, कोमल है कमजोर नहीं’, गीतों पर नृत्य प्रस्तुत कर महिलाओं को संगठित होकर  संघर्ष करने का संदेश दिया। तनुजा ने भूपेन हजारीका के गीत एक कली दो पत्तियां पर नृत्य प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम का संचालन कर रही मंच की संयोजिका ललिता रावत ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास बताया और कहा कि आज काफी संघर्षों के बाद हमें घर से बाहर निकलने तथा चुनाव में चुनने एवं चुने जाने का अधिकार मिला है।

विद्यावती ने कहा कि अमेरिका की मजदूर महिलाओं ने 1845 में कपड़ा उद्योग में हड़ताल की जिसमें 5000 महिलाएं शामिल हुई थीं। उन्होंने अपने काम के घंटे कम करने की मांग की। महिलाओं के संघर्षों के बाद सरकारों को महिलाओं को काम के घंटे कम करने के लिए बाध्य होना पड़ा था।

सभा में महिलाओं ने मांग की कि विधवा वृद्धा व परित्यक्ता पेंशन को बढ़ाकर ₹5 हजार मासिक किया जाए तथा रोजगार को मौलिक अधिकार घोषित कर सभी देशवासियों को सम्मान जनक रोजगार की गारंटी दी जाए।

समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार ने कहा की समाजवाद ही महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा और खुशहाल जीवन की गारंटी कर सकता है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में महिला और पुरुष शिक्षकों को बराबर का वेतन मिलता है परंतु निजी स्कूल में ऐसा नहीं है। आज सरकार स्वयं महिलाओं का शोषण कर के संविधान में दर्ज महिलाओं के लिए बराबरी के अधिकार को तार-तार कर रही है। आशा वर्कर, भोजन माता व आंगनबाड़ी कर्मियों को न्यूनतम वेतन भी सरकार नहीं दे रही है।

साइंस फॉर सोसायटी के मदन मेहता ने अंधविश्वास दूर करने के लिए कार्यक्रम में ढोंगी पाखंडी बाबाओं  द्वारा दिखाई जाने वाले चमत्कारों का पर्दाफाश किया।

कौशल्या ने ग्राम हिम्मतपुर के निवासियों सभी सहयोगियों व आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। सभा को किसान नेता ललित उप्रेती, महेश जोशी, किरन आर्या, मेघा आदि ने भी सम्बोधित किया।

कार्यक्रम में  कालू सिद्ध, चैनपुरी, सुंदरखाल,छोई, उदयपुरी बंदोबस्ती, देवीपुर बासीटीला, सावल्दे पश्चिम, हिम्मतपुर डोटियाल समेत दर्जनों गांव की महिलाओं द्वारा प्रतिभाग किया गया।

प्रगतिशील भोजनमाता संगठन के बैनर तले गोष्ठी आयोजित

रामनगर, नैनीताल। अंतर्राष्ट्रीय कामगार महिला दिवस  के उपलक्ष में 10 मार्च को मालधन (रामनगर) में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रगतिशील भोजनमाता संगठन के बैनर तले आयोजित इस गोष्ठी में प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र और परिवर्तनकामी छात्र संगठन के प्रतिनिधियों ने भी भागीदारी की।

हरियाणा:

गोहाना: समतामूलक महिला संगठन द्वारा प्रदर्शन व सभा

गोहाना (सोनीपत)। स्त्री-संघर्षों के प्रतीक आठ मार्च अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस को समतामूलक महिला संगठन ने गोहाना शहर में शहीद भगत सिंह की प्रतिमा से बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा तक प्रदर्शन और इसके समापन पर आमसभा कर मनाया।

जुलूस शहर की मुख्य सड़कों, शहीद भगत सिंह चौक, दीनबंधु छोटूराम चौक व महावीर चौक से होते हुए अम्बेडकर चौक पर समाप्त हुआ। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जुझारू महिला नेत्रियों क्लारा जेट्किन, सावित्री बाई फुले, राणी लक्ष्मीबाई और प्रीतिलता वादेदार सरीखी महिलाओं के संघर्षों का वर्णन किया गया।

संगठन ने जस्टिस वर्मा आयोग की सिफ़ारिशों को समग्रता में लागू करने, सिवानका गाँव के गैंग-रेप के अपराधियों की गिरफ़्तारी व पीड़िता को त्वरित पूर्ण न्याय दिलाने, यौन हिंसा, अश्लीलता के प्रचार व नशीले पदार्थों के प्रसार पर रोक लगाने, ब्लॉक स्तर पर ‘वन स्टॉप सेंटर’ स्थापित करने, प्रेम विवाह तथा अन्तर्जातीय विवाह को सामाजिक मान्यता देने, सभी स्त्रियों को स्थायी सम्मानजनक रोज़गार देने, समान काम के लिए समान वेतन और महिलाओं को उच्चतम स्तर तक मुफ़्त शिक्षा देने की माँगें रखी।

वक्ताओं ने कहा कि एन डी ए के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में जब सरकार की दमनकारी, जन विरोधी नीतियों व संवैधानिक अधिकारों को बुलडोज़ करने के प्रति अवाम में हताशा और किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति थी तब शाहीन बाग की औरतों ने मौजूदा सरकार के तानाशाही रवैये का डटकर मुक़ाबला किया और देशवासियों के सामने लड़ने की मिसाल क़ायम की।

कॉर्पोरेटों की पिट्ठू केन्द्र सरकार द्वारा संसदीय प्रक्रिया को धत्ता बताते हुए पारित किए गए तीन काले कृषि-क़ानूनों के ख़िलाफ़ आन्दोलनरत किसानों के संघर्ष में महिलाएं भी कन्धे से कन्धा मिला कर लड़ीं और सरकार को मजबूर किया कि वो काले क़ानूनों को वापिस लें।

सभा में संगठन की अध्यक्षा डॉ. सुनीता त्यागी ने महिला दिवस के इतिहास पर प्रकाश डाला व मौजूदा पूँजीवादी पुरुषप्रधान समाज में महिलाओं के प्रति तेज़ी से बढ़ रही हिंसा व शोषण के खिलाफ एकजुट होकर मोर्चा निकालने की अपील की। साथ ही बताया कि महिलाओं की मुक्ति बिन श्रमिकों की मुक्ति और समाजवाद सम्भव नहीं है। मनीषा ने बताया कि माताओं को अपनी बेटियों की शक्ति बन कर उन्हें हर ज़ुल्म की खिलाफत कर मज़बूत बनाना होगा।

कार्यक्रम में अनिता, रेखा, बीरमती, इन्द्रावती, गीता, डॉ. रितु, बबीता, सरोज, बिमला, स्नेहा, जया, सोनिया, निधी, रिया आदि अनेक महिलाएँ शामिल हुई।

बिहार:

ग्रामीण मजदूर यूनियन, बिहार द्वारा प्रदर्शन

8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ग्रामीण मजदूर यूनियन, बिहार के काराकाट इकाई ने विन्दा कुंवर और कन्हैया राम के नेतृत्व में प्रदर्शन किया।

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