उत्तर प्रदेश में युवाओं की श्रम बल भागीदारी दर में पिछले 3 वर्षों में बड़ी गिरावट: रिपोर्ट

घटती हुई श्रम बल भागीदारी (सक्रिय रूप से कार्यरत या काम तलाशते) दर बताती है कि लोग पूरी तरह से कार्यबल से बाहर हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपने लिए रोजगार के कोई अवसर दिखाई नहीं दे रहे हैं।

नई दिल्ली: सेंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से उत्तर प्रदेश में रोजगार की स्थिति के बारे में एक चिंताजनक विवरण सामने आया है. राज्य में युवा श्रम भागीदारी दर कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से लगातार गिर रही है.

उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी दर 4.2 फीसदी है, जो पूरे भारत के औसत 7.1 फीसदी से काफी कम है. एक बार रोजगार और श्रम बल भागीदारी – विशेष तौर पर 20-24 वर्ष आयु वर्ग के लिए – में समग्र गिरावट के सादृश्य देखते हैं तो परिदृश्य उजला नजर नहीं आता.

श्रम बल भागीदारी दर कामकाजी उम्र की आबादी में उन लोगों की संख्या को मापती है, जो सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं या काम की तलाश कर रहे हैं. घटती हुई श्रम बल भागीदारी दर बताती है कि लोग पूरी तरह से कार्यबल से बाहर हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपने लिए रोजगार के कोई अवसर दिखाई नहीं दे रहे हैं.

सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार, महामारी से पहले यूपी में युवाओं के लिए श्रम बल भागीदारी दर 41.2 फीसदी थी. कोविड-19 महामारी के कारण मई-अगस्त 2020 में यह गिरकर 31.3 फीसदी पर आ गई.

इसके बाद इसका गिरना जारी रहा. मई-अगस्त 2021 में यह 27 फीसदी, मई-अगस्त 2022 में 22.5 फीसदी और सितंबर-दिसंबर 2022 में 22.4 फीसदी रही. इसलिए नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि महामारी संबंधी प्रतिबंध कुछ समय पहले हटाए जाने के बावजूद गिरावट अभी भी जारी है.

सीएमआईई के महेश व्यास लिखते हैं, ‘उत्तर प्रदेश में 20-24 साल के युवाओं के बीच रोजगार दर में भी भारी गिरावट आई है. गिरती रोजगार दर, जो कि कार्यरत कामकाजी उम्र की आबादी का अनुपात है, राज्य में युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की कमी को दर्शाती है.’

व्यास ने आगे कहा, ‘20-24 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं के लिए रोजगार दर सितंबर-दिसंबर 2019 में 27 प्रतिशत से गिरकर सितंबर-दिसंबर 2022 में 17.4 प्रतिशत हो गई. यह इस आयु वर्ग में नियोजित युवाओं की संख्या में करीब 11 लाख की गिरावट दर्शाता है.’

आंकड़े बताते हैं कि यूपी में श्रम बल भागीदारी दर और रोजगार दर दोनों में महिलाओं की तुलना में युवा पुरुषों के लिए नाटकीय रूप से गिरावट आई है.सितंबर-दिसंबर 2019 में 20-24 वर्ष की आयु के पुरुषों के लिए रोजगार दर 47 फीसदी थी, लेकिन सितंबर-दिसंबर 2022 तक यह गिरकर 27.8 फीसदी हो गई थी.

वहीं, 20-24 आयु वर्ग की महिलाओं के लिए रोजगार दर सितंबर-दिसंबर 2019 में बहुत कम 1.6 फीसदी से शुरू हुई और सितंबर-दिसंबर 2022 तक गिरकर 1 फीसदी हो गई.पुरुषों में शहरी की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार दर में गिरावट अधिक थी.व्यास कहते हैं, ‘उत्तर प्रदेश में 20-24 वर्ष की आयु के युवाओं में श्रम भागीदारी दर और रोजगार दर में गिरावट एक गंभीर चुनौती है.’

वे कहते हैं, ‘इस आयु वर्ग में ज्यादातर वे शामिल हैं, जो शिक्षा के बाद श्रम बाजार में प्रवेश कर ही रहे होते हैं. इन युवाओं के बीच श्रम भागीदारी में गिरावट से पता चलता है कि वे राज्य में प्रचलित श्रम बाजार की स्थिति से निराश हैं, और इसके बजाय श्रम बल से बाहर रहने का विकल्प चुन रहे हैं.’

गौरतलब है कि हाल ही में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगले तीन-चार वर्षों में राज्य के युवाओं के लिए दो करोड़ से अधिक नौकरियों का वादा किया था.

आदित्यनाथ के दावे पर पलटवार करते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है, ‘चलिए ये मान भी लिया जाए कि मुख्यमंत्री जी अगले 4 साल में उत्तर प्रदेश के बेरोजगारों को 2 करोड़ रोजगार देंगे तो इसका मतलब होगा प्रतिदिन लगभग 13,700 या प्रति माह 4.17 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. भाजपा सरकार से आग्रह है कि इस झूठ को हर दिन या हर माह सच्चे आंकड़े प्रकाशित करके साबित करे.’

द वायर से साभार

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