अंतर्राष्ट्रीय कामगार महिला दिवस के उपलक्ष में आयोजित हुए विभिन्न कार्यक्रम

8 मार्च : अंतर्राष्ट्रीय कामगार महिला दिवस मजदूर-मेहनतकश महिलाओं के संघर्षों का प्रतीक दिवस है। जबकि शासक पूंजीपति वर्ग इसको शॉपिंग डे, गिफ्ट डे बनने अथवा महिलाओं को कूपमंडुक बनाने में लगा है।
अंतर्राष्ट्रीय कामगार महिला दिवस (8 मार्च) मजदूर-मेहनतकश महिलाओं के संघर्षों का प्रतीक दिवस है जो कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में समाजवादी महिलाओं के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में इस दिन को मनाने का एलान किया गया था। तभी से पूंजीवादी शोषण-उत्पीड़न और पितृसत्ता से मुक्ति के आह्वान के साथ प्रगतिशील-क्रांतिकारी ताकतें प्रतिवर्ष इस दिन को मनाती हैं।
इस बार आठ मार्च को होली होने के कारण कुछ जगहों पर आठ के बजाय पांच मार्च को ही अंतर्राष्ट्रीय कामगार महिला दिवस मनाया गया।

कार्यक्रमों के दौरान वक्ताओं ने कहा कि 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस मज़दूर-मेहनतकश, समाजवादी महिलाओं ने लड़कर संघर्षों के बाद हासिल किया है। आज पूँजीवादी व्यवस्था भी महिला दिवस मना रही है। वह इस दिवस में महिलाओं को एक दिन गिफ्ट देना, होटलों में भोजन कराना जैसे आयोजन कर उनको उनके संघर्षों के इतिहास से काटकर आभासी मुक्ति की बात कर रहा हैं। ताकि महिलाएं अपने हक-अधिकारों के लिए आगे नहीं आ सकें। हम मेहनतकश लोगों को सचेत होकर पूंजीवादी व्यवस्था के इस चरित्र को खोल कर सामने रखना होगा।
वक्ताओं ने कहा कि पूरी दुनिया में महिला अधिकारों के संघर्षों व उनके सामाजिक संघर्षों का लंबा इतिहास है। भारत में भी आजादी के आंदोलन में दुर्गा भाभी, प्रीति लता सरीखी महिलाओं ने अपने संघर्षों से सामने रखा। उत्तराखंड में महिलाओं ने चिपको आंदोलन से लेकर, नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन, उत्तराखंड राज्य बनाने के आंदोलन में बढ़-चढ़कर भागीदारी की।
आज के समाज में महिलाओं के साथ में छेड़खानी, बलात्कार, महिला हिंसा जैसी चीजें बढ़ती जा रही हैं। इनके कारणों में समाज में मौजूद पितृसत्तात्मक मूल्य मान्यताएं एवं पतित उपभोक्तावादी अश्लील संस्कृति है। महिला हिंसा के इन कारणों को यह पूंजीवादी व्यवस्था अपने मुनाफे के चरित्र के कारण बना कर रखती है। ताकि इससे महिलाओं को दुहरे शोषण का शिकार बनाया जा सके।
आज ‘बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ’ जैसे खोखले नारे उछाले जा रहे हैं। समाज में मजदूर-मेहनतकश घरों से आने वाली छात्राओं को पढ़ने लिखने व अपनी आजादी से जीने का अधिकार नहीं है। महिला हिंसा, भ्रूण हत्या जैसी चीजों ने समय-समय पर ऐसे नारों के खोखलेपन को उजागर किया है। बढ़ती बेरोजगारी की भयावता को आज हर कोई समाज में महसूस कर रहा है। इसके विरुद्ध हमें संघर्ष कर आगे बढ़ने की जरूरत है।
आज समाज के सभी वर्ग महिलाएं, छात्र-नौजवान, मजदूर-मेहनतकश, किसान आदि परेशान है। ऐसे में हम सब को एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए आगे आना चाहिए।

विभिन्न कार्यक्रमों की झलकी-
रामनगर (नैनीताल):
रामनगर में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, परिवर्तनकामी छात्र संगठन एवं प्रगतिशील भोजन माता संगठन ने संयुक्त रुप से अंतर्राष्ट्रीय कामगार महिला दिवस का आयोजन किया और पहले विचार गोष्ठी तदुपरान्त नगर में जुलूस निकाला।

वक्ताओं ने आठ मार्च मनाये जाने की गौरवशाली विरासत पर प्रकाश डालते हुये आज देश-दुनिया में जारी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका पर बात रखी। कहा कि ईरान का हिजाब विरोधी आंदोलन हो या फिर भारत का किसान आंदोलन, बनभूलपूरा बस्ती को उजाडने के विरुद्ध उपजा जनाक्रोश हो या फिर उत्तराखंड में जगदीश हत्याकांड, अंकिता भंडारी हत्याकांड एवं बेरोजगारों पर लाठीचार्ज के विरुद्ध आंदोलन-प्रदर्शन सभी जगह मजदूर-मेहनतकश वर्ग की महिलाओं और कॉलेज की छात्राओं की भूमिका बेहद शानदार रही है। यह दिखाता है कि सामाजिक बदलाव की कोई भी महत्वपूर्ण लड़ाई आधी आबादी के बिना संभव नहीं है।
हल्द्वानी (नैनीताल)
हल्द्वानी में हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि पूंजीवाद अपनी मुनाफे की हवस में महिला मजदूरों को सस्ते श्रम के स्रोत के रुप में भी इस्तेमाल करता है अपना माल बेचने के लिये उनके शरीर को भी इस्तेमाल करता है। विज्ञापन उद्योग से लेकर फिल्म और ग्लैमर इंडस्ट्री एवं सौंदर्य प्रसाधन उद्योग तक सभी इसी पर टिके हैं। पूंजीपति वर्ग द्वारा प्रसारित पतित उपभोक्तावादी-अश्लील संस्कृति महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों का मुख्य कारण है।

हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में हुई इस सभा में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, परिवर्तनकमी छात्र संगठन एवं प्रगतिशील भोजन माता संगठन से जुड़े लोगों ने भागीदारी की।
लालकुआं (नैनीताल)
लालकुआं के गांधी पार्क में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस मनाया गया। प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र और परिवर्तनकामी छात्र संगठन तथा प्रगतिशील भोजनमाता संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में एक सभा की गई और लालकुआं मार्केट में जुलूस निकाला गया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित रही।

काशीपुर (ऊधम सिंह नगर)
काशीपुर के पंत पार्क में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र, सीटू, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन एवं प्रगतिशील भोजन माता यूनियन के प्रतिनिधि एकत्रित हुये और महिला दिवस के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया।

वक्ताओं ने कहा कि आज शासक पूंजीपति वर्ग अपना माल बेचने के लिये महिला दिवस को एक शॉपिंग डे में तब्दील करने की कोशिश कर रहा है अथवा महिलाओं को कूपमंडुक बनाने के लिये विभिन्न टेलीविज़न चैनलों पर मेहंदी प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। पूंजीपति वर्ग ने कामगार अथवा मजदूर-मेहनतकश शब्द को महिला दिवस से गायब कर असल में इस शोषणकारी पूंजीवादी व्यवस्था के विरुद्ध संघर्षों की धार को कुंद करना चाहता है।
पंतनगर (ऊधम सिंह नगर)
अंतर्राष्ट्रीय कामगार महिला दिवस के मौके पर पंतनगर में इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र एवं ठेका मजदूर कल्याण समिति ने एक सभा का आयोजन किया जिसमें मजदूर विरोधी लेबर कोड्स पर बात करते हुये वक्ताओं ने कहा कि ये लेबर कोड्स घोर मजदूर विरोधी हैं जिसमें महिला मजदूरों से रात की पाली में काम लेने का अधिकार भी पूंजीपतियों को सौंप दिया गया है।
हरिद्वार
हरिद्वार में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन एवं प्रगतिशील भोजन माता यूनियन द्वारा आयोजित सभा को स्थानीय पुलिस ने बाधित करने की कोशिश की। इसके बावजूद अंतर्राष्ट्रीय कामगार महिला दिवस को जोर-शोर से मनाया गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज हमारे देश की सत्ता पर काबिज हिंदू फासीवादी महिला मुक्ति के सबसे बड़े दुश्मन हैं।

बरेली
बरेली में आयोजित सभा एवं जुलूस्-प्रदर्शन में इंकलाबी मजदूर केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र एवं प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच ने भागीदारी की। इस दौरान छात्राओं द्वारा प्रस्तुत “बेखौफ आजादी” नृत्य नाटिका ने विशेष रुप से लोगों का ध्यान आकर्षित किया।

बदायूं
जबकि बदायूं में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन एवं राष्ट्रीय मध्यान्ह भोजन रसोइयाकर्मी वेल्फेयर एसोसिएशन ने एक सभा का आयोजन किया जिसमें विभिन्न स्कीम वर्कर्स-आशा, आँगनबाड़ी एवं भोजनमाताओं से सरकार द्वारा बेगारी कराये जाने का विरोध किया गया।
मऊ
मऊ में इंकलाबी मजदूर केंद्र और ग्रामीण मजदूर यूनियन ने सभा कर आठ मार्च के इतिहास से मजदूर-मेहनतकश स्त्री-पुरुषों को परिचित कराया।
दिल्ली-एन सी आर में कार्यक्रमों का आयोजन
दिल्ली के शाहबाद डेरी में इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन एवं परिवर्तनकामी छात्र संगठन ने सभा का आयोजन किया गया एवं जुलूस निकाला गया। सभा में वक्ताओं ने महिलाओं के विरुद्ध बढ़ती हिंसा पर चिंता प्रकट की और कहा कि आज सत्ताधारी पार्टियों से जुड़े लोग सीधे तौर पर महिलाओं के साथ यौन हिंसा में लिप्त हैं।

हाल ही में हाथरस काण्ड में लिप्त दलित युवती के चार में से तीन बलात्कारियों-हत्यारों को हिंदू फासीवादियों के दबाव के परिणामस्वरुप स्थानीय एससी-एसटी कोर्ट ने आरोप मुक्त कर दिया। और चौथे आरोपी को भी महज गैर इरादतन हत्या का ही दोषी ठहराया। इससे पूर्व बिल्किस बानो के बलात्कारियों और उसके परिवार के हत्यारों को भी 15 अगस्त के दिन रिहा कर दिया गया था।
फरीदाबाद में इंकलाबी मजदूर केंद्र ने एवं परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा सभा का आयोजन किया गया एवं जुलूस निकाला गया। इस दौरान इंकलाबी मजदूर केंद्र ने एक नाटक व परिवर्तनकामी छात्र संगठन ने एक नृत्य नाटिका भी प्रस्तुत की। सभा में वक्ताओं ने महिला मुक्ति का एकमात्र विकल्प मजदूर राज- समाजवाद को प्रस्तुत किया गया।

गुडगांव में इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र एवं बेलसोनिका यूनियन से जुड़े लोगों ने फर्रूखनगर में विचार गोष्ठी का आयोजन किया।