श्रीलंका में टैक्स दरों में बढ़ोतरी का विरोध, ट्रेड यूनियनों का देशव्यापी हड़ताल; जन-जीवन ठप

बैंकिंग, एयरपोर्ट, बंदरगाह जैसे प्रमुख सेक्टरों की सेवाएं भी बाधित। ट्रेड यूनियनों ने कहा कि कर संशोधन बेलआउट पैकेज पाने हेतु आईएमएफ को खुश करने के लिए है।

श्रीलंका की ट्रेड यूनियनों ने बुधवार को सरकार द्वारा टैक्स और उपयोगिता दरों में बढ़ोतरी के विरोध में देशव्यापी एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल की। जिसकी वजह से दैनिक जीवन को ठप हो गया। साथ ही बैंकिंग, एयरपोर्ट, बंदरगाह जैसे प्रमुख सेक्टरों की सेवाएं भी बाधित हो गईं।

विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित ट्रेड यूनियनों ने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की ओर से जारी आवश्यक सेवाओं के आदेश की अवहेलना करने के बाद हड़ताल का आह्वान किया। हड़ताल के दौरान सरकार से कर वृद्धि को वापस लेने की अपील की गई। हालांकि, राष्ट्रपति ने ट्रैक्स दरों में बढ़ोतरी के अपने आदेश को वापस नहीं लिया।

राष्ट्रपति विक्रमसिंघे जो देश के वित्त मंत्री भी हैं ने पिछले साल वैट (मूल्य वर्धित कर) को 15 प्रतिशत बढ़ाने के बाद जनवरी में कॉरपोरेट करों को 24 प्रतिशत से बढ़ाकर 13 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया था।  माना जा रहा है कि ऐसा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मांग पर किया गया।

24 घंटे रही हड़ताल

ट्रेड यूनियनों ने कहा कि हमने सुबह 7 बजे से लेकर कल सुबह सात बजे तक हड़ताल बुलाई है। बैंक कर्मचारी ट्रेड यूनियन के एक अधिकारी चन्ना दिसानायके ने बताया कि सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका सहित दो सरकारी बैंकों में बुधवार को काम बंद कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘हमने आज सुबह सात बजे से कल सुबह सात बजे तक हड़ताल शुरू की है। हम आवश्यक सेवाओं के आदेश को स्वीकार नहीं करेंगे। बंदरगाह ट्रेड यूनियन के नेता निरोशन गोराकानागे ने मीडिया से कहा, ”यह कर वृद्धि के साथ हमारी कठिनाइयों को बढ़ाने के लिए उठाया गया एक कदम है।

उन्होंने कहा कि बुधवार को पहुंचने वाले आठ जहाज और कोलंबो बंदरगाह से रवाना होने वाले जहाज हड़ताल से प्रभावित हुए। बैंक कर्मचारियों के ट्रेड यूनियन के एक अधिकारी चन्ना दिसानायके ने कहा कि सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका सहित दो सरकारी बैंकों में बुधवार को काम रोक दिया गया है। 

शिक्षकों नें बाँधी काली पट्टी

शिक्षक ट्रेड यूनियन के प्रवक्ता जोसेफ स्टालिन ने कहा कि शिक्षक सरकार के कदम का विरोध करने के लिए बांह पर काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं। विश्वविद्यालय शिक्षक महासंघ (यूनिवर्सिटी टीचर्स फेडरेशन) की चारुका इलांगसिन्हा ने कहा कि जब तक सरकार कर वृद्धि वापस नहीं लेती तब तक हड़ताल का सहारा लिया जाएगा।

आईएमएफ की माँग पर लगा टैक्स

श्रीलंका के राष्ट्रपति सह वित्त मंत्री विक्रमसिंघे ने कहा है कि मौजूदा आर्थिक संकट से उबरने के लिए कर बढ़ाना एक जरूरी कदम है। हालांकि, ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि कर संशोधन आईएमएफ को खुश करने के लिए किया गया था क्योंकि द्वीप को वैश्विक ऋण प्रदाता से 2.9 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी मिलने का इंतजार है।

2019 में विक्रमसिंघे के पूर्ववर्ती गोटबाया राजपक्षे ने आईएमएफ बेलआउट की मांग को नजरअंदाज करते हुए कर राजस्व में भारी कमी की थी। वर्तमान राष्ट्रपति ने कहा कि वह उच्च करों से लोगों पर पड़ने वाले बोझ से अवगत हैं, लेकिन उच्च कर श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था के बचाव अभियान का हिस्सा हैं। 

आईएमएफ ने पिछले साल सितंबर में श्रीलंका को 1.30 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दी थी, जो चार साल से अधिक समय से लंबित है।

हड़ताल से स्थानीय निकाय चुनाव होंगे प्रभावित

बुधवार की हड़ताल से आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर अनिश्चितता और बढ़ सकती है। चुनाव आयोग ने घोषणा की कि स्थानीय निकाय चुनाव योजना के अनुसार 24 मार्च को नहीं होंगे, और एक नई तारीख 15 मार्च को अधिसूचित की जाएगी।

About Post Author