वाराणसी: विभिन्न माँगों पर बीएचयू के नर्सिंग छात्रों का धरना जारी, प्रशासन मौन

हॉस्टल, इंटर्नशिप स्टाईपेंड आदि मांगें। बीएचयू प्रशासन का छात्रों से संवाद न करना भी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिसे लेकर छात्रों में ज्यादा आक्रोश और भविष्य की चिंता भी नज़र आती है।

वाराणसी (उत्तरप्रदेश)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में एक बार फिर छात्र और प्रशासन आमने-सामने हैं। हॉस्टल, इंटर्नशिप स्टाईपेंड सहित विभिन्न मांगों को लेकर विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस) के नर्सिंग छात्र 20 फरवरी से धरने पर बैठे हैं।

बीते दिन एक प्रदर्शनकारी छात्र की हालात गंभीर होने के बावजूद बीएचयू प्रशासन पठन-पाठन और अस्पताल का कामकाज छोड़ अपने हक़ की आवाज़ बुलंद कर रहे इन छात्रों की कोई सुध नहीं ले रहा।

प्रदर्शन कर रहे नर्सिंग के छात्रों का कहना है कि कई आश्वासनों के बाद भी अभी तक न तो उनकी छात्रावास की मांग पूरी हुई है और न ही प्रशासन समय से परीक्षा ही करवा पा रहा है। इन छात्रों की कई और मांगें भी हैं जैसे छात्र चाहते हैं कि उन्हें उनके इंटर्नशिप के तहत नियमानुसार छह महीने करीब 13,000 का मानदेय दिया जाए, साथ ही इस प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में 25 प्रतिशत आरक्षण कोटा के साथ पोस्ट ग्रेजुएट एमएससी नर्सिंग शुरू की जाए।

प्रदर्शन के ख़िलाफ़ छात्रों को नोटिस जारी

न्यूज़क्लिक से बातचीत में कई छात्रों ने बताया कि नर्सिंग कॉलेज के प्रोफेसर इंचार्ज की ओर से धरने को गलत बताते हुए प्रदर्शनकारी छात्रों को नोटिस जारी किया गया है। हालांकि छात्र इसके बावजूद पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और अपनी मांगें पूरी न होने पर अनशन की चेतावनी दे रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि प्रशासन उन पर दबाव बनाकर, नोटिस जारी कर, कार्रवाई की धमकी देकर इस प्रदर्शन को खत्म करवाना चाहता है, जैसा की हर बार किया जाता रहा है।

बता दें कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि ये साल 2020 से ही समय-समय पर प्रदर्शन और प्रशासन से गुहार लगाते रहे हैं लेकिन हर बार इन्हें प्रशासन ने अनदेखी किया है। बीते साल भी इन छात्रों ने हॉस्टल और अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन किया था। तब प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही प्राथमिक आधार पर इन छात्रों को छात्रावास दिया जाएगा, लेकिन साल बीत जाने और कई कमरे खाली होने के बाद भी अब तक कोई भी इस दिशा में कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया है। अब ये छात्र बीते सोमवार, 20 फरवरी से एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

तकनीकी परेशानी का हवाला देकर ख़ाली कमरों में जड़े ताले

बीएससी थर्ड ईयर नर्सिंग के छात्र पीयूष न्यूज़क्लिक को बताते हैं कि छात्र यहां कई परेशानियों से जूझ रहे हैं। 2020 से हॉस्टल की मांग की जा रही है, लेकिन प्रशासन कभी कोई बहाना तो कभी कुछ नया बताकर टाल देता है। अब जब सीनियर पास आउट होकर चले गए हैं, उनके कमरे खाली हैं, तब भी प्रशासन कोई तकनीकी परेशानी का हवाला देकर उन कमरों में ताला जड़े है।

इसके अलावा नियम के मुताबिक मेडिकल स्टूडेंट्स को 6 महीने इंटर्नशिप के लिए 13 हज़ार के करीब का मानदेय हर महीने दिया जाना अनिवार्य है, लेकिन यहां का प्रशासन न पैसे देता है, न सर्टिफिकेट, ऐसे में छात्र अपना अनुभव आगे नौकरी के लिए कैसे दिखाएंगे।

एक अन्य छात्र राहुल कहते हैं कि यहां छात्र पढ़ाई के साथ अस्पताल में भी काम करते हैं। कई बार बहुत रात हो जाती है, आने-जाने का ठीक से कोई साधन नहीं मिलता, नियम के अनुसार भी प्रशासन को एक किलोमीटर के भीतर छात्रावास मुहैया करवाना चाहिए, लेकिन यहां छात्रों की किसी को नहीं पड़ी। बीएससी नर्सिंग के छात्रों से काम करवा लिया जाता है, लेकिन उन्हें बदले में न सर्टिफिकेट और न ही पैसे दिए जाते, जबकि ये सब नियम के खिलाफ है।

राहुल बताते हैं कि यहां प्रशासन परीक्षाएं भी समय से नहीं करवाता, जिसके चलते छात्रों का सिलेबस अटक जाता है, उनका समय खराब होता है।

ट्विटर पर #fightforhostel और # fightforstipend की आवाज़

प्रदर्शन पर बैठे छात्रों से फिलहाल प्रशासन की ओर से उनकी इंचार्ज मिलने आई हैं, जिन्होंने उनसे धरने को खत्म करने की बात कही, इसके अलावा कोई इन छात्रों से न मिलने आया और न ही इन्हें कोई आश्वासन मिला। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि ये लोग पहले पूरे प्रोपर चैनल से कई बार प्रशासन और कुलपति तक के सामने अपनी समस्याएं रख चुके हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई न होने के चलते उन्हें गेट रोक कर धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ा है। अब जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएगी, तब तक उनका धरना जारी रहेगा।

इन छात्रों का विरोध सोशल मीडिया पर भी #fightforhostel और # fightforstipend के जरिए मजबूती से नज़र आ रहा है। वहीं प्रशासन की ओर से इस पूरे मामले पर चुप्पी कई सवाल भी खड़े कर रही है। न्यूज़क्लिक ने इस संबंध में बीएचयू प्रशासन और जनसंचार अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की है। फिलहाल खबर लिखे जाने तक हमें कोई जवाब नहीं मिला।

गौरतलब है कि बीएचयू के छात्र समय-समय पर अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाते रहे हैं। कुछ ही दिन पहले कैंपस की छात्राओं ने यौन उत्पीड़न के खिलाफ चेतावनी मार्च निकाला था तो वहीं हॉस्टल में खाने और बदहाल व्यवस्था को लेकर भी छात्रों का गुस्सा कुछ दिनों पहले फूटा था। ऐसे में बीएचयू प्रशासन का छात्रों से संवाद न करना भी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिसे लेकर छात्रों में ज्यादा आक्रोश और भविष्य की चिंता भी नज़र आती है।

-सोनिया यादव की रिपोर्ट; साभार: न्यूजक्लिक

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