गजब: दो शहीदों खुदीराम बोस व प्रफुल्ल चाकी को ही भेज दिया गया बिजली बकाया का नोटिस

यह भारत है, जहाँ गोरे हुक्मरानों ने महज 18 साल की उम्र में खुदीराम बोस को फांसी पर चढ़ाया और देशी हुकूमकत में उन्हें 1,36,943 रुपये बिजली बकाया वसूली का नोटिस भेजा गया है।

मुज़फ्फरपुर। हमारे देश में शहीदों का अपमान कितने रूपों में हो सकता है, यह कहना मुश्किल है। कहीं शहीदों की मूर्तियाँ खंडित की जाति हैं तो कहीं स्मारक नष्ट हो रहे हैं। यहाँ तक कि पाठ्यक्रमों से शहीदों को गायब किया जा रहा है या गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है। इसका मुजफ्फरपुर से सामने आया है।

ताजा मामला बिहार के मुज़फ्फरपुर जिले का है, जहां बिजली विभाग ने दो शहीद क्रांतिकारियों शहीद खुदीराम बोस और शहीद प्रफुल चंद्र चाकी को नोटिस भेज कर उनसे यह कहा है की एक सप्ताह के अंदर आप बिजली बिल जमा करें अन्यथा आपकी बिजली काट दी जायेगी। यह नोटिस शहीद खुदीराम बोस मार्ग स्थल पर चिपकाया गया है।

115 साल पहले हुए थे शहीद

अंग्रेज हुकूमत के ज़ुल्म व बंगाल विभाजन से आक्रोशित आज़ादी के युवा दीवानों में शहीद खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी का नाम आता है। जिन्होंने एक मिशन के तहत साल 1908 में ज़ालिम किंग्सफोर्ड की बग्गी पर बम विस्फोट कर अंग्रेजों को अपना इंकलाबी जज्बा दिखलाया था।

दरअसल कलकत्ता का चीफ प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट कुख्यात डगलस किंग्सफोर्ड ने क्रांतिकारियों के पक्ष में बोलने वाले 15 वर्षीय किशोर सुशील सेन को 15 कोडे़ लगाने की सजा सुनाई थी। जिससे युवाओं में बेहद आक्रोश था।

ब्रिटानिया हुकूमत ने 11 अगस्त 1908 को खुदीराम बोस को मुजफ्फरपुर की जेल में फांसी पर चढ़ा दिया था। जबकि ब्रिटिश पुलिस की पकड़ में आने से पूर्व प्रफुल्ल चाकी ने अपने आप को गोली मार ली और शहीद हो गए थे।

अठारह साल के नौजवान खुदीराम बोस द्वारा हंसते हुए फांसी के फंदे पर झूल जाने की घटना ने कविता और गीतों की रचना को प्रेरित किया और जनमानस में आजादी की चाहत को तेज किया। कई दिन तक बंगाल के स्कूल, कॉलेज, बाजार सभी बन्द रहे और नौजवान ऐसी धोती पहनने लगे, जिनकी किनारी पर ‘खुदीराम’ लिखा होता था।

मुजफ्फरपुर में है शहीद स्मारक

देश के इन दो वीर शहीदों के सम्मान में मुजफ्फरपुर के कंपनी बाग में एक शहीद स्मारक बना हुआ है। हर साल इस स्मारक स्थल पर तमाम कार्यक्रम होते हैं। यहाँ तक कि जिलाधिकारी, कमिश्नर सहित जनप्रतिनिधि शहीदों के प्रतिमा पर माल्यार्पण करने आते हैं। आज उन्ही शहीदों के नाम पर नोटिस जारी हुआ है।

बिजली विभाग ने शहीदों को ही जारी कर दिया नोटिस

नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के असिस्टेंट इंजीनियर ने दस्तावेज के आधार पर शहीद स्मारक के नाम 1,36,943 रूपये विपत्र का बकाया वसूली का नोटिस भेजा है। इसमें सीधे शहीद खुदीराम बोस व शहीद प्रफुल्ल चाकी को ही चेतावनी दी गई है।

शहीदों के नाम जारी नोटिस में लिखा है कि ‘अगर आप एक सप्ताह के अंदर समय से विपत्र का भुगतान नहीं करते हैं तो स्मारक स्थल की बिजली काट दी जाएगी। जब आप बकाया विपत्र का भुगतान करेंगे तो नए कनेक्शन की राशि भी चुकता करनी होगी।’

बिजली विभाग का कहना है कि स्मारक की देखभाल करने वाली एजेंसी काफी दिनों से बिजली बिल नहीं जमा कर रही थी। नतीजा बिल बढ़कर 1 लाख 36 हजार 943 रुपए हो गया। बिजली विभाग की नींद खुली तो तो शहीद खुदीराम बोस को नोटिस भेज दिया।

निर्लज्ज नोटिस का विरोध शुरू

इस निर्लज्ज घटना के बाद लोगों में आक्रोश बढ़ाने लगा और विरोध शुरू हो गया। स्थानीय जनता का कहना है की अगर विद्युत विभाग ने स्मारक स्थल का लाइन काटने का दु:साहस किया तो आम जनता का सड़क पर उतरेगी।

मामला गरमाने पर एसडीओ पूर्वी ज्ञान प्रकाश ने कहा कि दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

लेकिन सवाल यह है कि क्या महकमें ने ये पता किया कि अगर बिजली बिल बकाया है तो नोटिस किसके नाम जाए? क्या शहीदों के स्मारक संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार की नहीं है?

शहीदों के ऐसे अपमान और सरकारी निठल्लेपन के लिए निश्चित ही पूरा तंत्र जिम्मेदार है।

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