पंतनगर: प्रबंधन की शह पर लुकास टीवीएस के मज़दूर नेताओं पर कथित शांति भंग का मामला दर्ज

नोटिस को गौर किया जाए तो प्रबंधन की एकतरफा शिकायत, जिसमें खूनी संघर्ष जैसी खतरनाक बातें दर्ज हैं, थाना प्रभारी भी मान लेते हैं और परगना मजिस्ट्रेट नोटिस भी जारी कर देते हैं।

पंतनगर (उत्तराखंड)। मज़दूरों और मज़दूर नेताओं को किस प्रकार प्रबंधन, पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से बेवजह परेशान किया जाता है, इसकी ताजा बानगी औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल पंतनगर, उधम सिंह नगर की लुकास टीवीएस फैक्ट्री का है।

लुकास टीवीएस प्रबंधन ने थाना पंतनगर में कथित शिकायत की कि मनोहर सिंह, राजेश चंद्र, हरीश चंद्र, राजेश शर्मा और बसंत गोस्वामी (जोकि यूनियन नेता हैं) छोटी-छोटी बातों को लेकर कंपनी प्रबंधन से वाद-विवाद करते रहते हैं जिससे कभी भी खूनी संघर्ष हो सकता है।

सवाल यह है कि क्या यूनियन और प्रबंधन के बीच वाद-विवाद नहीं होता है? जैसा नोटिस में दर्ज है, क्या छोटी-छोटी बातों से खूनी संघर्ष हो सकता है? क्या मज़दूर नेता अपराधी हैं? बगैर किसी जांच के थाना प्रभारी ने इसे मान लिया, परगना मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट दी और मजिस्ट्रेट ने भी उससे सहमति व्यक्त कर नोटिस जारी कर दिया।

ज्ञात हो कि प्रबंधन यूनियन तोड़ने के लिए वर्षों से प्रयासरत है, कई नेताओं को फर्जी आरोपों में बर्खास्त कर चुका है। फिर भी यूनियन बरकरार रही तो अब उसने दबाव में लेने के लिए यह हथकंडा अपनाया है।

बीते साल यूनियन ने प्रबंधन के उत्पीड़न के खिलाफ व श्रमिकों की कार्यबहाली आदि के लिए आंदोलन चलाया था और स्थानीय गांधी पार्क में शांतिपूर्ण धरना दिया था। अखिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई थी।

गौरतलब है प्रशासन द्वारा जारी नोटिस

परगना मजिस्ट्रेट रुद्रपुर की ओर से जारी नोटिस में लिखा है कि थानाध्यक्ष पंतनगर की चलानी रिपोर्ट दिनांक 25/01/2023 के द्वारा अवगत कराया गया है कि मनोहर सिंह आदि उपरोक्त व्यक्ति लुकास टीवीएस कंपनी सेक्टर 1, प्लॉट नंबर 55 सिडकुल, पंतनगर में कार्यरत हैं जो कि आए दिन छोटी-छोटी बातों को लेकर कंपनी प्रबंधन से वाद-विवाद करते रहते हैं।

उक्त विवाद के कारण कभी भी खूनी संघर्ष हो सकता है। वर्तमान में उक्त पक्ष में कंपनी प्रबंधन के विरुद्ध भारी तनाव व्याप्त है, जो कभी भी लड़ झगड़ कर शांति व्यवस्था भंग कर सकते हैं। शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु उपरोक्त का चालन धारा 107/116 सीपीआरसी के न्यायालय पेश किया जा रहा है। उपरोक्त को भारी से भारी धनराशि के जमानत व मुचलके पर पाबंद करने की कृपा करें।

परगना मजिस्ट्रेट ने रुद्रपुर थाना अध्यक्ष पंतनगर की चलानी रिपोर्ट से सहमति व्यक्त की और 5 श्रमिक नेताओं को निर्देशित किया गया कि वह 16 जून 2023 को परगना मजिस्ट्रेट के न्यायालय में उपस्थित होकर कारण स्पष्ट करें कि क्यों ना उनको 1 वर्ष की अवधि के लिए सदाचार कायम रखने के लिए ₹25000 का बंद पत्र तथा इतनी ही राशि की दो प्रतिभूतियां सहित पाबंद किया जाए।

मज़दूर नेताओं पर लगातार मुक़दमें क्यों?

यह पहला मामला नहीं है। उत्तराखंड के औद्योगिक क्षेत्रों में प्रबंधन की ऐसी ही मनगढ़ंत कहानियों के आधार पर आए दिन मजदूरों के लिए कथित शांति भंग की नोटिस जारी की जाती है और मजदूरों और मजदूर नेताओं को प्रताड़ित किया जाता है।

पूर्व में श्रमिक संयुक्त मोर्चा नेताओं, वोल्टास, भगवती-माइक्रोमैक्स, इंटरार्क आदि सहित तमाम कंपनियों के मज़दूर इस प्रताड़ना के शिकार रहे हैं। जबकि स्पष्ट धोखाधड़ी के प्रमाण के बावजूद गुजरात अंबुजा प्रबंधन पर कार्रवाई नहीं हुई।

यही नहीं आंदोलनों के दौर में प्रबंधन की शह पर मजदूरों पर फर्जी मुकदमे कायम करना भी आम बात है। 2017 के आंदोलन के दौरान महिंद्रा सीआईई कंपनी के कई मजदूर आज भी खतरनाक आपराधिक धाराओं में मुकदमे झेल रहे हैं। यह आम बात है कि मजदूर जब भी अपने हक की आवाज उठाते हैं, दमन के शिकार होते हैं।

इस नोटिस को ही अगर गौर किया जाए तो प्रबंधन की एकतरफा शिकायत, जिसमें खूनी संघर्ष जैसी खतरनाक बातें लिखी हैं, थाना प्रभारी भी मान लेते हैं और परगना मजिस्ट्रेट नोटिस भी जारी कर देते हैं।

वहीं यदि मजदूरों की ओर से प्रबंधन की खुली गुंडई या स्पष्ट घोटाले के खिलाफ भी यदि कोई तहरीर दी जाती है तो अमूमन तो उसे स्वीकार ही नहीं किया जाता है, और अगर किन्हीं माध्यमों से पुलिस प्रशासन के पास तहरीर भेज दी जाती है तो उसे रद्दी की टोकरी में फेंक दिया जाता है।

यह ऐसा सच है जो आज मजदूरों के सामने खुली चुनौती बनकर खड़ा है। जाहिरा तौर पर आज मजदूरों की एकता कमजोर है, इसलिए ऐसी हरकतें लगातार बढ़ रही हैं, जोकि घोर निंदनीय है।

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