2012 में मारूति द्वारा बर्ख़ास्त मज़दूरों का संघर्ष जारी: 15 फ़रवरी को गुरुग्राम में जुलूस और प्रदर्शन का आयोजन

टर्मिनेटेड-ठेका-अपरेंटिस-स्थायी मज़दूरों की एकता मज़बूत करने का दिया आह्वान !

मारूति से बर्ख़ास्त मज़दूर आज दस साल से संघर्ष की राह पर हैं। काम के बेहद कठिन हालातों का सामना करने के लिए इन्होंने अपनी यूनियन बनाने का फैसला लिया था। यह संवैधानिक मांग उठाने पर इन मज़दूरों को असाधारण दमन का सामना करना पड़ा। वहीं आन्दोलन में प्लांट के अन्दर सभी ठेका, ट्रेनी व पक्के मज़दूरों की एकता से ले कर विभिन्न प्लांटों के मज़दूरों की एक दुसरे के समर्थन में संघर्ष में उतर जाने तक के अनुभव मिले। इस दौर में चला मारूति का आंदोलन आज भी हर जगह मज़दूरों की एकता और जुझारू संघर्ष के महत्वपूर्ण अनुभवों में गिना जाता है।

मज़दूरों की प्लांट के अन्दर बनी एकता को तोड़ने के लिए 2012 में मारूति की मनेजमेंट ने मानेसर प्लांट में सोची समझी साज़िश से 18 जुलाई की घटना को अंजाम दिया। आग के धुंए से दम घुट जाने से एक मेनेजर की मौत हो गयी। इस आधार पर कंपनी ने 546 स्थायी मज़दूरों और 1,800 ठेका मज़दूरों को बिना किसी जांच पड़ताल के बर्ख़ास्त कर दिया था। इस घटना के लिए अनेकों मज़दूर कई साल जेल में रहे और 13 साथियों को उम्र कैद भी हुई, जिन्हें अंततः पिछले साल ज़मानत मिली। 426 बर्ख़ास्त मज़दूरों का केस अभी भी गुड़गांव कोर्ट में पेंडिंग चल रहा है। एक दशक से कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने के बावजूद अब तक 426 मज़दूरों को कोई न्याय नहीं मिला है।

मारूति द्वारा अपने मज़दूरों पर दमन मनेजेमेंट द्वारा पूरे क्षेत्र के मज़दूरों को चुप कराने की कोशिश का रास्ता खोलती है। मारूति मैनेजमेंट ने साफ़ कह दिया है कि वह बर्ख़ास्त मज़दूरों के विषय पर यूनियन से कोई बात नहीं करेगी। मनेजमेंट का ऐसा रवैय्या हर प्लांट के यूनियन को कमज़ोर करेगा और मज़दूरों के सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है। इसके विरोध में एमएसएमएस के आह्वान पर मारूति मज़दूरों ने सुबह 15 फ़रवरी, 10 बजे राजीव चौक से जुलूस करके डीसी कार्यालय के सामने प्रदर्शन करने का कार्यक्रम लिया है।

मज़दूरों की मांगें:

1. सभी बर्ख़ास्त मारूति मज़दूरों को काम पर वापिस लो!
2. मज़दूर विरोधी 4 नए श्रम कानून रद्द कर के मज़दूर हित में श्रम कानून बनाओ!
3. स्थायी काम पर स्थायी रोज़गार दो! ठेका प्रथा का अंत करो!

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