झारखंड: निजीकरण के खिलाफ गुवा खदान व सेल के मज़दूरों का प्रदर्शन

कहा- पब्लिक सेक्टर की गुवा खदानों को विशेष रणनीति व योजना के तहत केन्द्र सरकार अपने चहेते अडानी, अंबानी, एनसीसी, रश्मी मैटेलिक आदि पांच बड़ी कंपनियों में से किसी एक को देना चाह रही है।

Kiriburu (Shailesh Singh) : सेल, बीएसएल की गुवा लौह अयस्क खदान प्रबंधन द्वारा खदान का उत्पादन समेत तमाम महत्वपूर्ण कार्यों का ठेका आगामी 23 वर्षों के लिए एमडीओ (माइंस डेवलपर एंड ऑपरेटर) जैसी बाहरी प्राइवेट कंपनी को दिये जाने की खबर से नाराज गुवा खदान के तमाम मजदूर संगठनों ने संयुक्त मोर्चा के बैनर तले जेनरल ऑफिस का घेराव किया. इस दौरान यूनियन नेता और सेलकर्मी सेल प्रबंधन के विरोध में गगन भेदी नारा लगाते रहे. गुवा खदान का प्राइवेटाइजेशन को लेकर गुवा खदान के सेलकर्मियों में भारी आक्रोश व उबाल है.

आंदोलन में शामिल झारखंड मजदूर संघ के केन्द्रीय अध्यक्ष रामा पांडेय ने कहा कि गुवा जैसी पब्लिक सेक्टर की खदानों को विशेष रणनीति व योजना के तहत केन्द्र सरकार अपने चहेते अडानी, अंबानी, एनसीसी, रश्मी मैटेलिक आदि पांच बड़ी कंपनियों में से किसी एक को बड़ी लाभ पहुंचाने हेतु उन्हें देना चाह रही है. ये कंपनियां सिर्फ अपने लाभ के बारे में सोंचेगी, खदान के श्रमिकों व आसपास गांव के बेरोजगारों को रोजगार व विकास के बारे में कभी नहीं सोंचेगी.

मजदूर नेता दुचा टोप्पो, दिलबाग सिंह, राजेश कोड़ा आदि ने बताया की बीते अक्टूबर माह में पत्र देकर गुवा प्रबंधन को अवगत कराया गया था कि केन्द्र सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम 1970 के खण्ड 10 के आधार पर विज्ञप्ति जारी कर खान में उत्पादन संबन्धी कार्य ठेके पर देकर कराने को असंवैधानिक घोषित किया है. परन्तु हमें खेद के साथ कहना पड़ता है कि हमारे बार-बार अवगत कराने के बाद भी प्रबंधन यह असंवैधानिक कार्य करने पर उतारू है. प्रबंधन ने इस कार्य का टेंडर भी जारी कर दिया है जिसका हम जोरदार विरोध करते हैं. प्रबंधन अगर इसमें सफल हो गई तो बाहरी ठेका कंपनी अपनी मशीन, मजदूर सब बाहर से लाएंगे. यहां के लोगों को कोई काम नहीं देगा तथा बहाली भी नहीं निकालेगा. अगर इस असंवैधानिक योजना को अविलम्ब स्थगित नहीं किया जाता है तो हम सभी मजदूर राष्ट्रहित, उद्योगहित और मजदूरहित में कोई भी संवैधानिक कदम उठाने को बाध्य होंगे. जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी.

सेल एक पब्लिक सेक्टर खदान है. लेकिन सेल प्रबंधन केन्द्र सरकार के साथ मिलकर इस खदान को प्राइवेट ठेका कंपनी के हाथों सौंपकर खदान का उत्पादन से लेकर माल ढुलाई का कार्य करना चाहती है. गुवा खदान का प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ हम सभी मिलकर आखिरी दम तक लड़ाई लडे़ंगे. गुवा के सीजीएम बी के गिरी ने मजदूर नेताओं से कहा कि बदलते वैश्विक माहौल को देखते हुए एमडीओ (माइन्स डेवलपर एंड ऑपरेटर) सेल प्रबंधन की शौक नहीं बल्की मजबूरी भी हो सकती है. गुवा खदान को बीआईएफआर में जाने से यहां के श्रमिकों व सेलकर्मियों ने हीं कड़ी मेहनत की वजह से बचाया है. हम सेल के उच्च प्रबंधक के सामने आपकी मांगों को रखेंगे. इस आंदोलन में रामा पांडेय, दुचा टोप्पो, दिलबाग सिंह, पंचम जौर्ज सोय, राजेश कोड़ा, कुल बहादूर, राजकुमार झा, अमरनाथ झा, अन्तर्यामी महाकुड़, निर्मल जीत सिंह, उदय सिंह, भीमसेन गोप, संजय बहादुर, लाल बाबू गोस्वामी, पूर्ण चन्द्र राणा, माधव चन्द्र गागराई, जीसी हेस्सा, जगदीश दास,  गंगाराम, अमरनाथ झा आदि शामिल थे.

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