मज़दूर सहयोग केंद्र गुड़गांव-नीमराना का तीसरा सम्मलेन सफलतापूर्ण संपन्न हुआ

29 जनवरी, 2023 को मज़दूर सहयोग केंद्र गुड़गांव-नीमराना ने गुड़गांव के प्रजापति धर्मशाला में अपना तीसरा सम्मलेन संपन्न किया। सम्मलेन में टर्मिनेटेड मारुति मानेसर के मज़दूर, उद्योग विहार-कापसहेड़ा गारमेंट उद्योग के मज़दूर, गुड़गांव-मानेसर ऑटोमोबाइल क्षेत्र के ठेका श्रमिक, गुड़गांव के विभिन्न बस्तियों से चिक-चटाई, सफाई व दिहाड़ी पर काम करने वाले मज़दूरों और डाईडो यूनियन व नीमराना औद्योगिक क्षेत्र से आए मज़दूरों ने भागीदारी निभायी।

गारमेंट, ऑटोमोबाइल, नीमराना जापानी जोन से ले कर बस्तीवासियों व असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों की रही भागीदारी

गुड़गांव: 29 जनवरी, 2023 को मज़दूर सहयोग केंद्र (MSK) गुड़गांव-नीमराना ने गुड़गांव के प्रजापति धर्मशाला में अपना तीसरा सम्मलेन संपन्न किया।

सम्मलेन में टर्मिनेटेड मारुति मानेसर के मज़दूर, उद्योग विहार-कापसहेड़ा गारमेंट उद्योग के मज़दूर, गुड़गांव-मानेसर ऑटोमोबाइल क्षेत्र के ठेका श्रमिक, गुड़गांव के विभिन्न बस्तियों से चिक-चटाई, सफाई व दिहाड़ी पर काम करने वाले मज़दूरों और डाईडो यूनियन व नीमराना औद्योगिक क्षेत्र से आए मज़दूरों ने भागीदारी निभायी।

सम्मलेन में हिताची मेटल्स और सनबीम के संघर्षरत ठेका मज़दूरों ने भी पर्यवेक्षक के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी और सभा को संबोधित किया।

सम्मलेन के आयोजन में मज़दूर सहयोग केंद्र दिल्ली और मज़दूर सहयोग केंद्र जयपुर के साथी भी पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हुए व मज़दूर सहयोग केंद्र उत्तराखंड से बधाई सन्देश प्रेषित किया गया।

सांगठनिक लक्ष्य-उद्देश्य व ढाँचे के अतिरिक्त, क्षेत्र के हालातों पर एक राजनैतिक रिपोर्ट पेश और पारित किया गया। मज़दूर सदस्यों ने हर क्षेत्र की विशेष परिस्थितियों और सम्बंधित मांगों को सदन के बीच रखा और एक दुसरे की परिस्थितियों को और बेहतर समझने और इनमें साझा मुद्दों को पहचानने की दिशा में चर्चा चलाई। आने वाले समय की रणनीति पर चर्चा के साथ सम्मलेन से नयी कमेटी का गठन किया गया।

नयी कमेटी के कार्यभार को संभालने के लिए अध्यक्ष का. सुभाषिनी, महासचिव का. खुशीराम, उपाध्यक्ष का. अमित, कोषाध्यक्ष का. रोहतास, कार्यकारणी सदस्य का. सौरभ व का. अमित का चयन हुआ। इसके साथ चार सदस्यों का कानूनी सलाहकार मंडल बना जिसमें अधिवक्ता का. रामनिवास, का. जितेंदर, का. सुमित, व का. आज़ाद शामिल हैं।

दमन व रोज़गार की असुरक्षा का सामना करने की लेनी होगी चुनौती

गुड़गांव-मानेसर-धारूहेड़ा-बावल-नीमराना देश के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्रों में से हैं। यह क्षेत्र कई जुझारू मज़दूर संघर्षों का भी साक्षी रहा है, जिनमें पिछले एक दशक में मारुति (मानेसर), हौंडा (टप्पूकड़ा), डाईकिन (नीमराना), बैक्स्टर, अस्ति जैसे आन्दोलन शामिल रहे हैं।

वहीं, पिछले कुछ सालों में क्षेत्र के मज़दूर आन्दोलन पर ज़बरदस्त दमन का दौर चला है जहाँ मज़दूरों पर आपराधिक मुक़दमे लगाने से ले कर रोज़गार का अस्थायीकरण, अनेकों कम्पनियों में छंटनी-बंदी और मज़दूर नेताओं की गैरकानूनी बर्खास्तगी आम बन गए हैं। मज़दूर सहयोग केंद्र इस क्षेत्र के आंदोलनों की इस श्रृंखाला में लगातार शामिल रहा है।

संगठन का तीसरा सम्मलेन पिछले एक दशक के इस अनुभव को समेटने और इस आधार पर मज़दूर आन्दोलन की वर्तमान चुनौतियों को संबोधित करने की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम रहा।

सम्मलेन का संकल्प रहा की आज इस क्षेत्र में मज़दूरों के ऊपर चल रहे दमन, अस्थायी मज़दूरी के नाम पर युवा मज़दूर आबादी के भविष्य से किये जा रहे खिलवाड़ और निराशा के माहौल में मज़दूर सहयोग केंद्र, गुड़गांव-नीमराना मज़दूरों के साथ दृढ़ता से खड़े होने वाली ताकत को विकसित करेगा।

अस्थायी मज़दूरी की समस्या पर विशेष जोर

ठेका व अस्थायी मज़दूरों की समस्याओं और मांगों पर सम्मलेन का विशेष जोर रहा। संगठन के राजनैतिक रिपोर्ट की चर्चा में पूरे क्षेत्र में उत्पादन मूलतः अस्थायी मज़दूरों पर निर्भर होने, स्थायी प्रकृति के काम में विभिन्न केटेगरी के अस्थायी मज़दूरों के लगाए जाने, स्टूडेंट ट्रेनी-अपरेंटिस के नाम पे युवाओं से पूरा उत्पादन लेने के चलन और स्थायी-अस्थायी मज़दूरों के बीच लगातार बढ़ते अंतर पर विशेष ध्यान रहा।

सनबीम और हिताची के संघर्षरत मज़दूरों ने अपने आंदोलनों के अनुभव को साझा किया। पूरे क्षेत्र के स्तर पर ठेका मज़दूरों की एकता मज़बूत करने की कोशिश आज के प्रमुख कार्यभारों में से एक मानते हुए सम्मलेन ने ठेका-अस्थायी मज़दूरों के अपने संगठन, यूनियन व आंदोलन विकसित करने की ज़रूरत को रेखांकित किया।

सम्मलेन ने स्थायी मज़दूरों के लिए भी ठेका व अस्थायी मज़दूरों के पक्ष में अवस्थान लेने की चुनौती व ज़रुरत को उठाया।

नीमराना जापानी ज़ोन से डाईडो यूनियन के महासचिव का. अमित सभा को संबोधित करते हुए
सनबीम से बर्खास्त साथी राहुल सभा के साथ ठेका मज़दूरों के अपने संघर्ष का अनुभव साझा करते हुए
उद्योग विहार के गारमेंट एक्सपोर्ट लाइन के मज़दूरों की समस्याओं पर रौशनी डालते का. शाबीर
मज़दूरों द्वारा पूंजीपतियों की पार्टी के पीछे न जा कर अपने खुद के नेतृत्व को विकसित करने की चर्चा करते गारमेंट मज़दूर का. जमनादास

कापसहेड़ा-उद्योग विहार की परिस्थियों की चर्चा में मज़दूरों पर उत्पादन का अत्यधिक दबाव, काम का अनिर्धारित समय, ज़बरदस्ती ओवरटाइम कराने और ओवरटाइम का सिंगल रेट पर भुक्तान करने इत्यादि विषय में चर्चा हुई।

इस क्षेत्र से आये मज़दूरों ने ठेकेदारों द्वारा लगातार बदसलूकी, छुट्टी करने पर काम से निकाल दिए जाने की समस्या, मकानमालिकों द्वारा प्रवासी मज़दूरों के शोषण और आवास व काम करने के दयनीय स्थितियों के बारे में सवाल खड़े किये। मज़दूरों द्वारा दिल्ली सरकार पर भी सवाल उठाये गए, जहां कहने को बिजली मुफ्त दी जाती है और घोषित न्यूनतम मज़दूरी का दर सबसे अधिक बताया जाता है लेकिन इनमें से कोई भी सुविधा प्रवासी मज़दूरों और किरायदारों को नहीं मिलती।

चर्चा में मज़दूरों के बीच नौकरी खोने के बने डर के माहौल में एक बड़ी आबादी को संगठित करने की समस्याओं पर विमर्श हुआ और साथियों ने पूरे मज़दूर समुदाय से अपनी रोज़मर्रा के उलझाव से आगे बढ़ कर एकजुट होने का आह्वान किया।

नीमराना क्षेत्र के संघर्षों का अनुभव साझा करते हुए सदस्यों ने वहाँ चल रहे असाधारण प्रशासनिक दमन चक्र का उल्लेख किया। मारूति के पुर्जे व विभिन्न विदेशी कम्पनियों वाले नीमराना के जापानी ज़ोन को ‘जनोपयोगी सेवा क्षेत्र’ घोषित करके वहाँ मज़दूरों के सभी अधिकारों को ख़तम करने की साज़िश का विरोध किया गया।

इस मुद्दे को कानूनी चुनौती देने के सवाल पर भी विमर्श आया। डाइडो यूनियन पर चल रहे लगातार प्रशासनिक दमन, यूनियन का पंजीकरण रद्द करने की प्रशासनिक कोशिशों व मज़दूरों की लगातार गैरकानूनी छंटनी पर सवाल उठाया गया।

असंगठित क्षेत्र में शामिल विभिन्न कामों में लगे मज़दूरों की परिस्थिति पर रौशनी डालते हुए बस्ती के साथियों ने पूरे साल काम न मिलने, ठेकेदारों और काम की जगह पर मज़दूरों के साथ गलत व्यवहार, स्कूलों, अस्पतालों व होटलों में सफाई के काम पर जाने वाली महिला मज़दूरों के साथ यौन हिंसा, पर्याप्त छुट्टी का अभाव, काम के पूरे पैसे ना मिलना इत्यादि का अनुभव साझा किया। सरकार द्वारा इ-श्रम कार्ड व अन्य सुविधाओं का एलान होने के बावजूद लोगों तक सुविधाएं न पहुँचने की समस्या पर चर्चा हुई।

अन्य राज्यों के मुकाबले हरियाणा सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के लिए कम सुविधाएं उपलब्ध कराने के बारे में सरकार पर दबाव बनाने व इसपर सरकार को कानूनी चुनौती देने पर भी चर्चा उठी। सम्मलेन ने सभी मज़दूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा, उचित आवास, साफ़ पानी, बिजली और 25,000 न्यूनतम वेतन की मांग उठायी।

बस्तीवासियों व महिला मज़दूरों की समस्याओं पर चर्चा करती का. शिवानी

फासीवाद के दौर में मज़दूरों के बीच धर्मजाति आधारित बटवारे के ख़िलाफ़ करना होगा विशेष संघर्ष

सम्मलेन ने आज बड़े पूंजीपतियों द्वारा पूंजीवाद के बढ़ते संकट को मज़दूरों पर थोपने और मज़दूरों के प्रतिरोध को दबाने के लिए फासीवादी ताकतों को प्रोत्साहन देने के विषय पर सदन का ध्यान आकर्षित किया। फासीवादी ताकतों के मज़बूत प्रभाव के सामने मज़दूरों के बीच धार्मिक अलगाव और भेदभाव के ख़िलाफ़ प्रचार की एहमियत पर जोर दिया गया।

साथ ही मज़दूर आन्दोलन पर निरंकुश दमन और प्रतिरोध के मौकों को सीमित कर दिए जाने की चुनौती के सामने डट कर खड़े होने की ज़रुरत सदन के बीच उठ कर आई। वैश्विक स्तर पर पूंजीवाद के बढ़ते संकट को देखते हुए यह चुनौतियाँ और भी बढ़ने की संभावनाओं को भी उठाया गया।

न्यायपालिका में मज़दूर विरोधी चलन का पर्दाफाश करते हुए भी कानूनी संघर्ष को और मज़बूत करने का संकल्प

सम्मलेन में मज़दूरों के हित में कानूनी संघर्ष की प्रक्रिया को मज़बूत करने का संकल्प भी लिया गया। मज़दूरों को अपने केस खुद लड़ने की दिशा में प्रशिक्षित करना, अपने मुकद्दमों की सही तरीके से निगरानी कर पाने की क्षमता बनाने की ज़रुरत पर चर्चा हुई।

साथ ही मज़दूरों के हितों के ख़िलाफ़ जाने वाली प्रशासनिक नीतियों इत्यादि पर भी कानूनी चुनौती रख पाने की ताकत बनाने की ज़रुरत को रखा गया। इस दिशा में केंद्र के चार सदस्यों के एक कानूनी सलाहकार मंडल का चयन हुआ।

संगठित प्रयासों के महत्व पर जोर देते मारूति से बर्खास्त मज़दूर व अधिवक्ता का. जितेंदर

देश भर के जुझारू मज़दूर संगठनों से बेहतर तालमेल विकसित करने व जारी संघर्षों में भागीदारी निभाने के जज़्बे के साथ हुआ समापन

सम्मलेन में दिल्ली व जयपुर से आये मज़दूर सहयोग केंद्र के साथियों द्वारा रखे वक्तव्य व मज़दूर सहयोग केंद्र, उत्तराखंड से आये सन्देश ने अन्य राज्यों और औद्योगिक क्षेत्रों के मज़दूर आंदोलनों के साथ तालमेल बढ़ाने के प्रयासों को उर्जा दी।

सम्मलेन ने मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) में शामिल विभिन्न मज़दूर संगठनों के साथ भी तालमेल और मासा के कार्य को आगे बढ़ाने में मज़दूर सहयोग केंद्र, गुड़गांव-नीमराना के साथियों के और भी सक्रीय प्रयास का संकल्प भी लिया।

सम्मेलन में पारित प्रस्ताव

सम्मलेन का समापन करते हुए सदन ने छः प्रस्तावों को सर्वसहमती से पारित किया। इनमें दस सालों से संघर्षरत मारुति सुजुकी के बर्ख़ास्त मज़दूरों की कार्यबहाली के संघर्ष को समर्थन देना; क्षेत्र में ऑटोमोबाईल ठेका मज़दूरों के संघर्षों, व विशेष रूप से हिताची व सनबीम में जारी संघर्षों में पूरा सहयोग देना; असंगठित मज़दूरों के लिए घोषित सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों को लागु करवाने के सतत प्रयास लेना; क्षेत्र में महिला मज़दूरों के काम व परिस्थितियों का अध्ययन करके रिपोर्ट तैयार करना; विभिन्न मुद्दों में मज़दूर हित में कानूनी हस्तक्षेप को मज़बूत करना व बिरादराना संगठनों से अखिल-भारत स्तर पर तालमेल को बेहतर करने के प्रस्ताव शामिल थे।

भूली-बिसरी ख़बरे

%d bloggers like this: