केरल: उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्राओं को मिलेगा मासिक धर्म और मातृत्व अवकाश

मासिक धर्म महिलाओं में काफी मानसिक और शारीरिक परेशानी देती है, इसलिए, छात्राओं को जरूरी उपस्थिति में दो प्रतिशत की छूट और अधिकतम 60 दिन का मातृत्व अवकाश भी मिलेगा।

तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार ने अपनी तरह के पहले निर्णय में कहा है कि वह उच्च शिक्षा विभाग के तहत आने वाले सभी राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को मासिक धर्म (माहवारी) में छुट्टी प्रदान की जाएगी.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने गुरुवार को कहा कि देश में पहली बार राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के तहत सभी संस्थानों में सभी छात्राओं को मासिक धर्म (पीरियड या मेंस्ट्रुअल लीव) और मातृत्व अवकाश दिया जाएगा.

मुख्यमंत्री विजयन ने अपने ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज पर सरकार के इस फैसले की घोषणा की.

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा इस तरह का महिला समर्थक कदम देश में अपनी तरह का पहला कदम है और यह एलडीएफ सरकार की समाज में लैंगिक न्याय सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता का संकेत है.

उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि वैसे तो मासिक धर्म एक सामान्य जैविक (बायोलॉजिकल) प्रक्रिया है, लेकिन यह महिलाओं में बहुत अधिक मानसिक तनाव और शारीरिक परेशानी पैदा करती है. इसलिए, सरकार ने छात्राओं को जरूरी उपस्थिति में दो प्रतिशत की छूट देने का फैसला किया है.

उन्होंने कहा, ‘देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग के तहत आने वाले विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्राओं के लिए इस तरह का महिला हितैषी फैसला लिया है.’

उच्च शिक्षा विभाग ने 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुकी छात्राओं को अधिकतम 60 दिन का मातृत्व अवकाश देने का भी निर्णय लिया है.

इससे पहले सोमवार को उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदू ने कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (सीयूएसएटी) द्वारा अपनी छात्राओं का मासिक धर्म की छुट्टी प्रदान करने से सीख लेने की बात कहते हुए कहा था कि सरकार ने विभाग के दायरे में आने वाले सभी राज्य विश्वविद्यालयों में इसे लागू करने का फैसला किया है.

हाल ही में कोचीन विश्वविद्यालय द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह केरल में पहली बार है कि किसी शैक्षिक केंद्र ने छात्राओं को मासिक धर्म की छुट्टी दी है.

विश्वविद्यालय के एसएफआई के नेतृत्व वाले छात्रसंघ द्वारा दिए गए एक प्रेजेंटेशन के बाद सीयूएसएटी ने निर्णय लिया था. छात्रों की लंबे समय से चली आ रही मांग को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने 11 जनवरी को प्रत्येक सेमेस्टर में महिला छात्रों की उपस्थिति के लिए अतिरिक्त दो प्रतिशत की छूट दी थी.

इससे पहले पिछले साल दिसंबर में महात्मा गांधी विश्वविद्यालय (एमजीयू) ने 18 साल और उससे अधिक उम्र की डिग्री और स्नातकोत्तर छात्राओं को 60 दिनों का मातृत्व अवकाश देने का फैसला किया था ताकि वे बिना किसी रुकावट के अपनी पढ़ाई जारी रख सकें.

द वायर से साभार

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