गुजरात: सूरत के 5000 डायमंड श्रमिकों की गई नौकरी, दो महीने में 24 कारखाने हुए बंद

छंटनी की वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है। कई यूनिट्स काम के घंटे भी घटा रही हैं। पांच लाख से अधिक लोगों को रोजगार देने वाला सूरत दोहरी मार झेल रहा है।

गुजरात के डायमंड सिटी सूरत का डायमंड बिजनेस आधे मिलियन (पांच लाख) से अधिक लोगों को रोजगार देता है। लेकिन अब यह उद्योग वैश्विक मंदी और रूस पर लगाए गए पश्चिम के प्रतिबंधों की दोहरी मार झेल रहा है। ऐसा अनुमान है कि नवंबर के बाद से सूरत में हीरा तराशने वाली इकाइयों से लगभग 5000 वर्कर्स को निकाल दिया गया है।

सूरत रत्नकलाकार संघ के अध्यक्ष रणमल जिलिरिया कहते हैं, “हमें जानकारी मिली है कि दिवाली (24 अक्टूबर) के बाद से 24 छोटे और मझौले कारखाने नहीं खुले हैं। छंटनी की वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है। कई यूनिट्स काम के घंटे भी कम कर रही हैं।”

सूरत के लगभग 4000 कारखानों में निर्यातकों सहित बड़ी फर्मों से अपरिष्कृत हीरे आते हैं। वहां उन्हें ज्वेलरी के हिसाब से तराशा और पॉलिश किया जाता है। इन कारखानों में 5 लाख से अधिक वर्कर्स काम करते हैं। ज्यादातर श्रमिक सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात के प्रवासी मजदूर हैं। दुनिया के 90  फीसदी हीरे सूरत में तराशे और पॉलिश किए जाते हैं। ये हीरे या तो गहनों में जड़े जाते हैं या अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खुले में बेचे जाते हैं।

फैक्ट्री मालिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष नानूभाई वेकार्या बड़े पैमाने पर छंटनी या इकाइयों के बंद होने से इनकार करते हैं। लेकिन वह स्वीकार करते हैं कि फैक्ट्रियां उत्पादन में कटौती कर रही हैं और काम के घंटे कम कर रही हैं। उनके मुताबिक ऐसा अपरिष्कृत हीरे की कम आपूर्ति के कारण हो रहा है।

सूरत को लगभग 60 प्रतिशत कच्चा माल रूसी सरकार के स्वामित्व वाली खनन कंपनी अलरोसा (Alrosa) से मिलता है। यह कंपनी वैश्विक आपूर्ति का एक चौथाई हीरा उपलब्ध कराता है। यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और अन्य प्रमुख पश्चिमी देशों ने अलरोसा को प्रतिबंधित कर दिया है।

हीरा संघ के सचिव दामजी मवानी कहते हैं, “हम अलरोसा से किसी तरह कच्चा हीरा मंगा रहे हैं। लेकिन  कंपनी की हिस्सेदारी घटकर अब  25-30 फीसदी रह गई है। प्रतिबंधों की वजह से आपूर्ति बाधित हुई है और कच्चे माल की कीमत बढ़ गई है।” बता दें कि अलरोसा के अलावा सूरत के कारखानों में दक्षिण अफ्रीका और कनाडा जैसे देशों से भी अपरिष्कृत हीरा आता है।

जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान देश में कच्चे हीरे का आयात 853.95 लाख कैरेट रहा, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 1,122.32 लाख कैरेट था। आंकड़ों से पता चलता है कि आयात 23.9 प्रतिशत कम हुआ है।

जनसत्ता से साभार

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