जोशीमठ तबाही की ज़िम्मेदारी से बचने के लिए सूचनाओं के प्रसारण पर सरकार ने लगाई रोक

सरकार ने भूधंसाव संबंधी जानकारी मीडिया या अन्य को साझा करने पर रोक लगा दी है। इसरो द्वारा जारी सैटेलाइट तस्वीरों और रिपोर्ट को भी गायब कर दिया गया है।

जोशीमठ प्रकरण पर विफल हुई भारतीय जनता पार्टी की सरकार को लगातार हो रही किरकिरी से बचाने के लिए जोशीमठ से जुड़ी खबरों पर सरकारी पहरा लगाया जा रहा है। जोशीमठ में भूधंसाव के रूप में आई आपदा संबंधी जानकारी पर सेंसर लगाते हुए सरकारी एजेंसियों को मीडिया या अन्य को जानकारी साझा न करने के लिए कहा गया है। इससे पहले इसरो की ओर से जारी की गई जोशीमठ में दरार संबंधी सैटेलाइट तस्वीरों और रिपोर्ट को भी उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री के कहने पर गायब कर दिया गया है।

जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भी भूधंसाव की जांच कर रही सरकारी एजेंसियों को अंतिम रिपोर्ट आने तक मीडिया को कोई भी जानकारी साझा ना करने को कहा है। आपदा से जुड़ी जानकारी साझा न करने के पीछे अलग अलग माध्यम से जानकारी साझा होने पर विरोधाभास होने का तर्क दिया जा रहा है।

यहां बता दे कि आपदा पर नजर रखे हुए विशेषज्ञ अपने बयान में वही बात कह रहे हैं जो धरातल पर यथार्थ है। लेकिन इन वैज्ञानिकों के तर्क राज्य सरकार के लिए परेशानी बढ़ाने वाले साबित हो रहे हैं। विशेषज्ञों के हर बयान के बाद इस प्रकरण पर राज्य सरकार की विफलता सिर चढ़कर बोल रही है, जबकि राज्य सरकार इस मामले में राजनैतिक रूप से चतुराई दिखाते हुए कुछ ऐसे बयान दे रही है जो जोशीमठ के हालात की गंभीरता को कम से कम करके दिखा रहे हैं।

विशेषज्ञों और राज्य सरकार के बयानों में विरोधाभास होने के कारण केंद्र और राज्य सरकार की जोशीमठ पर लगातार किरकिरी हो रही थी। यह मुद्दा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 12 जनवरी को नई दिल्ली में जोशीमठ भू-धंसाव के संबंध में समीक्षा बैठक में भी उठा था। इसके बाद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त सलाहकार बिस्वारुप दास की ओर से यह ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि जोशीमठ भू-धंसाव के संबंध में सरकार की विभिन्न संस्थाएं सोशल मीडिया पर अपने स्तर पर आंकड़े जारी कर रही हैं। वह जोशीमठ के हालात की अपने हिसाब से व्याख्या कर उसे मीडिया से साझा कर रही हैं।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने भू-धंसाव के कारणों की जांच करने गई सीबीआरआई रुड़की, जीएसआई कोलकाता, एनआरएसी-इसरो हैदराबाद, सीजीडब्ल्यूबी नई दिल्ली, सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया, एसओआई देहरादून, आईआईआरएस देहरादून, एनजीआरआई हैदराबाद, एनआईएच रुड़की, डब्ल्यूआईएचजी देहरादून, आईआईटी रुड़की, ईडी, एनआईडीएम, नई दिल्ली और सचिव उत्तराखंड एसडीएमए आदि केंद्रीय व अन्य एजेंसियों के लिए यह गाइड लाइन जारी की है, जिसमें सरकार की संस्थाओं से कहा गया है कि जोशीमठ मामले में अंतिम रिपोर्ट आने तक मीडिया से और सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी साझा करने से बचें, जो उनकी अपनी व्याख्या पर आधारित हो।

दी गई इस सलाह के मुताबिक इस तरह की जानकारी साझा करने से न सिर्फ प्रभावित रहवासियों, बल्कि देशभर के नागरिकों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। पत्र में उल्लेख है कि 12 जनवरी को ही प्राधिकरण के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। जोशीमठ के भू-धंसाव का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ समूह गठित किया जा चुका है। लिहाजा, सभी संस्थानों से अनुरोध है कि वे विशेषज्ञ समूह की अंतिम रिपोर्ट आ जाने तक मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने स्तर पर जानकारी साझा करने से बचें।

जनज्वार से साभार

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