बेलसोनिका यूनियन का पंजीकरण रद्द करने के प्रयासों के खिलाफ महिलाओं-बच्चों का प्रदर्शन

ठेका श्रमिक को दी गई सदस्यता यूनियन के संविधान तथा ट्रेड यूनियन एक्ट,1926 के प्रावधानों के अनुरूप है। इस अन्याय के खिलाफ मज़दूर व यूनियनें बेलसोनिका यूनियन का साथ दें।

गुड़गांव। बेलसोनिका प्रबंधन व श्रम अधिकारियों की मिलीभगत से बेलसोनिका यूनियन की सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई के विरोध में, खुली-छिपी छंटनी के विरोध में और बेलसोनिका यूनियन के लंबित मामलों के समाधान के लिए जोरदार प्रदर्शन हुआ।

शुक्रवार को आयोजित इस जुलूस को प्रगतिशील महिला एकता केंद्र और इंकलाबी मजदूर केंद्र ने संगठित किया, जिसमें बेलसोनिका मजदूर व के परिवार से आई महिलायें-बच्चे शामिल थे।

ज्ञात हो कि हरियाणा के मानेसर स्थित ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनी बेलसोनिका की बेलसोनिका ऑटो कंपोनेंट कर्मचारी यूनियन द्वारा ठेका मज़दूर को यूनियन की सदस्यता देने के कारण बीते 3 जनवरी को यूनियन की सदस्यता रद्द करने का नोटिस मिला था, जो 28 दिसंबर को श्रम विभाग की ओर से जारी किया गया था।

यूनियन अधिकार पर हमले बंद करो, कथित कारण बताओ नोटिस वापस लो!

ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार, हरियाणा द्वारा बेलसोनिका यूनियन को कॉन्ट्रैक्ट (ठेका) मज़दूर को सदस्यता देने के कारण यूनियन का रजिस्ट्रेशन रद्द करने संबंधी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है उसका इंकलाबी मजदूर केंद्र ने पुरजोर विरोध करते हुए उसे तत्काल वापस लिये जाने की मांग किया है।

आइएमके द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि बेलसोनिका यूनियन द्वारा ठेका श्रमिक को दी गई सदस्यता पूर्णतया यूनियन के संविधान तथा ट्रेड यूनियन एक्ट,1926 के प्रावधानों के अनुरूप है।

इस कारण बताओं नोटिस से पूर्व ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार, हरियाणा द्वारा ठेका श्रमिक को सदस्यता देने को लेकर बेलसोनिका यूनियन से जो स्पष्टीकरण मांगा गया था उसका कानून सम्मत लिखित जवाब यूनियन द्वारा पहले ही दिया जा चुका है कि कंपनी में कार्य कर रहे किसी भी श्रमिक को सदस्यता देना उसका कानूनी व संवैधानिक अधिकार है।

इसके बाद अब ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार द्वारा जो कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है वह यूनियन के अधिकारों न सिर्फ सीधे हमला है अपितु गैर कानूनी भी है। इस कारण बताओं नोटिस में जिस ऑल एस्कोर्ट इंप्लाइज यूनियन v/s हरियाणा के हाई कोर्ट के जजमेंट का हवाला दिया गया है वह इस मामले से संबंधित नहीं है।

स्थाई और ठेका मजदूरों को आपस में बांटकर पूंजीपति वर्ग मजदूरों अथाह शोषण व उत्पीड़न करता है। संस्थान के स्तर पर वह मजदूरों की वर्गीय एकता को तोड़ता है। ठेका मजदूरों से स्थाई मजदूरों के समान मशीनों पर काम कराया जाता है और उन्हें संगठित नहीं होने दिया जाता है। स्थाई मजदूर भी अपनी अल्पत्म संख्या के चलते प्रबंधन की गैरकानूनी गतिविधियों का विरोध जुझारू तरीके से नहीं कर पाते हैं।

राज्य सरकार द्वारा 300 से कम मजदूरों वाले फैक्ट्री संस्थान में छंटनी के लिए कानूनी बाध्यताओं को समाप्त करने के बाद अब प्रबंधन संस्थान में 300 से कम मजदूरों को ही स्थाई दिखाते हैं। जबकि फैक्ट्री संस्थान में उससे कई गुना ज्यादा मजदूर एक ही तरह का और स्थाई प्रवृत्ति का काम कर रहे होते हैं।

छंटनी करने से पूर्व कानूनी देयों से बचने के लिए प्रबंधन ठेका मजदूरों को श्रम विभाग से मिली-भगत कर व जोर- दबाव डालकर उन्हें मजदूरों की यूनियन का सदस्य नहीं बनने देते। जबकि ट्रेड यूनियन एक्ट के मुताबिक सभी मजदूर जो संस्थान में काम कर रहे हैं वह यूनियन के सदस्य हो सकते हैं।

बेलसोनिका प्रबंधन मजदूरों की छंटनी कर स्थाई मजदूरों की तादाद को 300 से कम करने की घृणित चाल चल रहा है और जिसका बेलसोनिका यूनियन जुझारू तरीके से विरोध कर रही है। प्रबंधन सालों साल से काम कर रहे मजदूरों को फर्जी दस्तावेज के नाम पर बाहर करना चाहता है जबकि जिन्हें फर्जी दस्तावेज बताया जा रहा है वह प्रबंधन द्वारा ही षड्यंत्र कर मजदूरों की फाइलों में लगाये गये हैं।

ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार, हरियाणा द्वारा यूनियन के पंजीकरण को रद्द करने का नोटिस ना केवल गैरकानूनी है बल्कि यूनियन की गतिविधियों में अनधिकृत हस्तक्षेप है। जब श्रम विभाग ही मैनेजमेंट के एजेंट की भूमिका में गैरकानूनी काम करने लगेगा। तो भला कानून को लागू कौन कराएगा?

आईएमके ने कहा कि उदारीकरण-निजीकरण-वैश्वीकरण की नीतियों के साथ पूंजीपति वर्ग द्वारा फैक्ट्री संस्थानों में बड़े पैमाने पर ठेका मजदूरों को लगाया गया। श्रम कानूनों को लागू करने की जगह पर उन्हें निष्प्रभावी किया गया। यूनियन गतिविधियों का अपराधीकरण किया गया। हरियाणा के ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार द्वारा बेलसोनिका यूनियन को दिया गया कारण बताओ नोटिस इसी प्रक्रिया का हिस्सा है।

इंकलाबी मजदूर केंद्र ने मजदूरों से आह्वान किया है कि वह इस लड़ाई में बेलसोनिका यूनियन का साथ दें और ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार, हरियाणा को कारण बताओ नोटिस वापस लेने के लिए बाध्य करें।

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