तमिलनाडु: निजीकरण के खिलाफ सफाई कर्मियों सहित विभिन्न कर्मचारियों का राज्यव्यापी प्रदर्शन

सफाई, पेयजल, वाहन चालक, मच्छर मार दवा छिड़काव कर्मचारी शामिल। नियमितीकरण; ₹26,000 मासिक वेतन; साप्ताहिक, त्यौहार और मेडिकल अवकाश की मांग।

चेन्नई के सफाई कर्मी, पेयजल, वाहन चालक और मच्छर मारने वाली दवा छिड़कने वाले कर्मचारियों ने 10 जनवरी को राज्य भर में विरोध प्रदर्शन करते हुए तमिलनाडु सरकार से स्थानीय निकायों का निजीकरण बंद करने की मांग की।

भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (CITU) के नेतृत्व में विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की कि सरकारी आदेश संख्या 152, 115 और 139 जो कि निगम, नगर पालिकाओं और पंचायत से संबंधित हैं उन्हें रद्द किया जाए।

भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (CITU) ने फिर दोहराया कि सरकार का यह कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि स्वच्छता का मतलब निजी लाभ कमाना नहीं है।

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि जो कामगार सरकार के साथ दस वर्ष से अधिक समय से ठेके पर काम कर रहे हैं उनको नियमित किया जाए। उन्होंने कहा कि द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) ने अपने चुनावी घोषणापत्र में यह वादा किया था। इसके साथ ही उन्होंने 26,000 रुपये मासिक वेतन की मांग की। उन्होंने साप्ताहिक, त्यौहार और मेडिकल अवकाश की मांग भी रखी।

जिला ग्रामीण विकास और स्थानीय प्रशासन कर्मचारी संघ ने विभिन्न जिलों में प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन चेन्नई, डिंडीगुल, थेनी, तिरुनेलवेली, तिरुप्पर और अन्य शहरों में किए गए। प्रर्शनकारियों ने सफाई करनेवालों के लिए रेनकोट और सुरक्षा उपकरणों की मांग की। उन्होंने थेनी जिला के चिन्नामनुर नगरपालिका के समक्ष कहा कि ठेके पर सफाई करने वालों और मच्छर के लिए दवा छिड़कने वाले कर्मचारियों के लिए थेनी जिलाधिकारी के आदेशानुसार वेतन बढ़ा कर दिया जाए।

तिरुपुर में कर्मचारियों ने निगम कार्यालय के सामने काले कपड़े पहन कर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने नारेबाजी करते हुए सरकार से गुहार लगाईं कि उन्हें अध्यादेश 62 (D) के तहत वेतन दिया जाए और उन्हें स्थायी किया जाए।सफाई कर्मचारियों ने चेन्नई में राजराथिनाम स्टेडियम के सामने एक दिन की भूख-हड़ताल की।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) तमिलनाडु के सचिव के. बालाकृष्णन ने विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा, “सिर्फ आईएएस अधिकारियों और अन्य अधिकारियों के चाहने मात्र से चेन्नई सुंदर नहीं बन जाएगा। सफाई कर्मचारी ही इसे स्वच्छ बनाते हैं। यदि एक दिन भी सफाई कर्मी काम न करने का निर्णय लें तो क्या होगा?”

सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके की सरकार की योजना है कि तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई का सौंदर्यीकरण किया जाए।

बालाकृष्णन ने कहा, “ ठेकेदारी प्रथा सिर्फ निगमों में ही नहीं है बल्कि स्कूलों, अस्पतालों और अन्य सरकारी संस्थानों में भी है।“ उन्होंने प्रश्न किया कि “निजी कंपनियां कर्मचारियों के लिए फंड लेती हैं और उन्हें इसका बहुत कम अंश देती हैं। सरकार सीधे-सीधे कर्मचारियों को उनका वेतन क्यों नहीं दे देती?”

ग्रेटर चेन्नई कोर्पोरेशन(GCC) के 15 मंडलों में से 11 मंडलों के सफाई कर्मचारियों को निजी क्षेत्रों को सौंप दिया गया है। बाकी 4 क्षेत्रों में 22,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।

न्यूजक्लिक से साभार

About Post Author