मोदी सरकार का देश बेचो अभियान तेज; कॉनकॉर की बिक्री से नए साल की शुरुआत

सरकार जनवरी में कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर) की हिस्सेदारी बिक्री को लेकर बोलियां मंगाने की तैयारी में है। मोदी सरकार का मंत्रीमंडलीय समूह रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दे चुका है।

नए साल की शुरुआत मोदी सरकार द्वारा देश बेचो अभियान को गति देने से हो रही है। सरकार इस महीने कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर) में अपनी हिस्सेदारी बेचने जा रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने बताया कि कॉनकॉर के निजीकरण के लिए आवेदन (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) मांगे गए हैं।

पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने बताया कि कॉनकॉर की हिस्सेदारी निजी मुनाफाखोरों को बेचने के लिए सभी दस्तावेज तैयार हैं। इस महीने में ही प्रारंभिक बोली मांगी जा सकती है। इसके लिए ‘वैकल्पिक तंत्र’ या मंत्रिमंडल के प्रमुख मंत्रियों के समूह से मंजूरी ली जानी है।

इस साल मोदी सरकार कॉनकॉर के अलावा बैंकों, बीमा कंपनियों, कोल खदानों, रेलवे से लेकर शिक्षा-चिकित्सा तक को निजी हाथों में सौंपने के अपने अभियान को बेरोक-टोंक जारी रखने पर आमादा है।

नवंबर 2019 में मिली थी मंजूरी

नवंबर 2019 में कॉनकॉर में 54.80 प्रतिशत सरकारी की हिस्सेदारी में से 30.8 प्रतिशत को बेचने की अनुमति मोदी कैबिनेट ने दे दी थी। अब सरकार के पास बिना किसी वीटो पावर के (अधिकार विहीन) महज 24 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। 

ज्ञात हो कि इसके शेयरों की बिक्री रुकी रही थी, क्योंकि निवेशक रेल पट्टा और लाइसेंसिंग शुल्क के स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहे थे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर में एक संशोधित नीति को मंजूरी दी थी। इसमें भूमि के बाजार मूल्य के 1.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से 35 साल के लिए रेलवे की जमीन को कार्गो से संबंधित व्यवसायों के लिए पट्टे पर देने का प्रावधान है।

सरकार जनवरी में कॉनकॉर की हिस्सेदारी बिक्री को लेकर एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (बोलियां) मंगा सकती है। कैबिनेट और ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स कॉनकॉर के रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दे चुके हैं। यह अगले वित्त वर्ष तक चलेगी, जब संभावित निवेशक अपनी वित्तीय बोलियां सौंपेंगे। 

कॉनकोर, रेल मंत्रालय का हिस्सा है

कॉनकोर, रेल मंत्रालय के तहत काम करने वाला एक पीएसयू है, जो कंटेनर ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स का काम करता है। मार्च 2022 तक इसके 61 कंटेनर टर्मिनलों पर 1,359 कर्मचारी काम कर रहे थे। वित्त वर्ष 2021-2022 के लिए कंपनी का कुल राजस्व 7,857 करोड़ रुपये था। इसके अलावा यह ड्राई बंदरगाह सहित कई तरह लॉजिस्टिक सुविधाएं भी देती है।

कंपनी में एफआईआई यानी विदेशी संस्थागत निवेशकों की मौजूदा हिस्सेदरी 24.06 फीसदी है। बीती 5 तिमाही में ये 25.5 फीसदी से गिरकर 24.06 फीसदी पर आई है। हालांकि, इस दौरान घरेलू संस्थागत निवेशक यानी डीआईआई ने हिस्सेदारी 15.63 फीसदी से बढ़ाकर 17.97 फीसदी की है।

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