दिल्ली: लोहिया व कलावती अस्पताल के ठेका कर्मचारियों ने जंतर मंतर पर किया प्रदर्शन

लोहिया अस्पताल ने 13 साल से कार्यरत नर्सों तथा स्टाफ की छंटनी कर दी। वहीं, कलावती अस्पताल ने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सफाई कर्मियों की कार्यबहाली नहीं की।

कोविड महामारी के भीषण दौर में जनता की जान बचाने वाले डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML) व कलावती सरन बाल अस्पताल के ठेका कर्मचारी अब अपनी रोजी-रोटी बचाने के लिए संघर्षरत हैं। ऐक्टू के नेतृत्व मंगलवार, 10 जनवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर ज़ोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में ऐक्टू से जुड़े अन्य अस्पताल यूनियनों के कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया।

डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के ठेका कर्मचारियों ने कहा कि कोविड योद्धाओं पर फूल बरसाने के बाद अब कर्मचारियों को नौकरी से बेदखल किया जा रहा है। हालांकि अभी हाल ही में इन कर्मचारियों ने 5 महीने लम्बी चली लड़ाई के बाद अपनी नौकरी वापस पाई थी, जिसके बाद अस्पताल ने दुर्भावना से प्रेरित होकर फिर से इनकी छंटनी कर दी है।

ज्ञात हो कि केंद्र सरकार के अधीन आने वाले डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में साल 2009 से ही ठेके पर काम कर रही नर्सों की अचानक छंटनी कर दी गई है, जिसके कारण अब इनके सामने रोज़गार का भयंकर संकट खड़ा हो गया है।

लोहिया अस्पताल प्रबंधन द्वारा 12 वर्षों से भी अधिक समय से कार्यरत क्लेरिकल स्टाफ की भी गैरकानूनी छंटनी कर दी गई है। छंटनीग्रस्त कर्मचारियों में यूनियन के अध्यक्ष भी शामिल हैं।

वहीं, कलावती सरन अस्पताल के सफाई कर्मचारियों को हाई कोर्ट के स्टे के बावजूद काम पर वापस नहीं लिया जा रहा है।

ऐक्टू से सम्बद्ध ‘कलावती सरन अस्पताल कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी यूनियन’ के महासचिव व छंटनी-ग्रस्त सफाई कर्मचारी सेवक राम ने बताया कि 31 मई 2021 को ही कलावती सरन अस्पताल के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों ने माननीय उच्च न्यायालय से छंटनी के खिलाफ स्टे-आर्डर ले लिया था।

लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय, अस्पताल प्रबंधन और ठेकेदार की मिलीभगत से सफाई कर्मचारियों – विशेषकर यूनियन के सक्रिय सदस्यों की छंटनी कर दी गई।

अस्पताल के सामने लगभग 220 दिनों से चल रहे प्रदर्शन और दिल्ली उच्च न्यायालय के कई निर्देशों के बावजूद अस्पताल प्रबंधन कर्मचारियों को काम पर वापस लेने के लिए तैयार नहीं हो रहा है।

ऐक्टू के राज्य सचिव व अधिवक्ता सूर्य प्रकाश का मानना है कि दिल्ली के सभी अस्पतालों में ठेका कर्मचारियों से करोड़ों की वसूली की जा रही है। ठेकेदार के बदलते ही नौकरी जारी रखने के नाम पर ठेका कर्मचारियों से 25 हज़ार से 1 लाख रुपए तक की वसूली की जा रही है।

उनका आरोप है कि यह पूरी तरह से स्वास्थ्य मंत्रालय की देख-रेख व अस्पताल प्रबंधन के शीर्ष में बैठे अफसरों द्वारा किया जा रहा है। जो कर्मचारी घूस देने से मना करते हैं उन्हें काम से निकाल दिया जाता है।

ऐक्टू की मांग है कि दिल्ली के सभी अस्पतालों में कार्यरत ठेका कर्मचारियों के शोषण पर रोक लगे और सभी को पक्का किया जाए। अगर सरकार और अस्पताल प्रबंधन कर्मचारियों के मांगों की अनदेखी जारी रखेंगे तो आनेवाले दिनों में संघर्ष और तेज़ होगा।

साभार: वर्कर्स यूनिटी

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