देश की प्रथम मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख: ‘फातिमा तेरे सपनों को, हम मंजिल तक पहुँचाएँगे!’

सावित्रीबाई और ज्योतिराव की प्रमुख सहयोगी फातिमा शेख के संघर्ष, और उनसे मिलती शिक्षा व प्रेरणा सबके लिए एक सम्मानजनक जीवन के संघर्ष में उर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है।

ज्ञान ज्योति सावित्रीबाई फुले और ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर भारत में स्त्री शिक्षा की ज्योति जलाने वाली फातिमा शेख का जन्म दिवस 9 जनवरी को मनाया जाता है।

ज्योतिराव और सावित्रीबाई ने स्त्री शिक्षा और जाति विरोधी विचारों की अलख जगाई थी। जब अपने विचारों के लिए उन्हें घर से भी निकाल दिया गया और समाज ने भी उन्हें तिरस्कृत कर दिया तो फातिमा शेख और उनके भाई उस्मान ने ही उन्हें शरण दी। जहाँ पर फुले दंपत्ति ने महिलाओं के लिए स्कूल चलाया था। फातिमा शेख उस मिशन की प्रमुख सहयोगी बन गईं।

फातिमा शेख के जन्म दिवस पर सावित्री बाई जन्मोत्सव समिति, गुड़गांव ने उनके योगदान को याद करते हुए लिखा-

फातिमा शेख (9 जनवरी 1831 – 9 अक्टूबर 1900)

फातिमा शेख भारत की प्रथम महिला शिक्षिकाओं में से थी। सावित्रीबाई फुले व अपने अन्य साथियों के साथ उन्होंने बोम्बे प्रेसिडेंसी में सभी जाति और धर्म की लड़कियों के लिए प्रथम स्कूलों की स्थापना की। सामान्य स्कूलों में जहाँ लड़कियों को सिलाई-कढ़ाई और धार्मिक शिक्षा मिलती थी, वही सावित्री-फातिमा के स्कूल में इतिहास, भूगोल, कृषि-विज्ञान और गणित पढ़ाए जाते थे।

इस लिहाज़ से फातिमा शेख और उनके साथी भारत में आधुनिक शिक्षा की नींव रखने वालों में भी गिनी जाएंगी। मुक्ता साल्वे, विठाबाई सखाराम चौधुरी, चिमनाबाई जैसे उनकी कई विद्यार्थी आगे जा कर विभिन्न स्कूलों में अध्यापिकाएं और प्रधानाचार्या बनीं। साथ ही अपने लेखों, साहित्य और व्यवहार द्वारा जाति-विरोधी और वैज्ञानिक सोच के प्रचार प्रसार में उनके छात्राओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

आज देश में जाति-धर्म के बटवारों के हिमाकती सरताज बने बैठे हैं। मुसलमान, दलित व देश के विभिन्न अल्पसंख्यक समुदाय विभिन्न प्रकार के सामाजिक हिंसा और असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। जनता के बड़े हिस्से की मूलभूत आज़ादियाँ खतरे में हैं। शिक्षा का निजीकरण और व्यापारीकरण नीतिगत तरीके से बच्चों को शिक्षा से दूर कर के उनमें विभाजन तैयार कर रहा है।

महिलाओं की बड़ी आबादी असुरक्षित, अनियमित रोज़गार में सबसे कम वेतन पाने वाले श्रमिकों की तादाद में खड़ी हैं। ऐसे में फातिमा शेख के संघर्ष, और उनसे हमें मिलती शिक्षा और प्रेरणा सबके लिए एक सम्मानजनक जीवन के संघर्ष में उर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है।

उनके जन्मदिवस की सालगिरह पर उन्हें सादर, सप्रेम सलाम! 

फातिमा तेरे सपनों को, हम मंजिल तक पहुँचाएँगे!

सावित्री बाई जन्मोत्सव समिति, गुड़गांव

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