गुड़गांव: मज़दूर विरोधी लेबर कोड्स, ठेका प्रथा के विरोध में बेलसोनिका यूनियन निकालेगी जुलूस

यूनियन ने 4 जनवरी को सायः 3:30 बजे मारुति गेट नम्बर-4 से ताउ देवी लाल पार्क मानेसर तक निकलने वाली जुलूस में मज़दूर यूनियनों और मज़दूरों से शामिल होने का आग्रह किया है।

हरियाणा के आईएमटी मानेसर में मारुति के कंपोनेंट बनाने वाली कंपनी बेलसोनिका प्लांट की बेलसोनिका मज़दूर यूनियन ने मजदूर विरोधी लेबर कोड्स , ठेका प्रथा और कंपनी द्वारा मनमानी  छंटनी- तालाबंदी के विरोध में जुलूस निकालने का ऐलान किया है। यह जुलूस बुधवार, 4 जनवरी को सायः 3:30 बजे मारुति के गेट नम्बर-4 से ताउ देवी लाल पार्क मानेसर तक आयोजित किया जायेगा।

बेलसोनिका यूनियन के फेसबुक पेज से मिली जानकारी के मुताबिक, यूनियन में गुड़गांव स्थित सभी मज़दूर यूनियनों और मज़दूरों से जुलूस में भारी संख्या में शामिल होने का आग्रह किया है।

यूनियन का कहना है कि 1991 में कांग्रेस सरकार द्वारा लाई गई उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण की पूंजीपरस्त नीतियों  को वर्तमान मोदी सरकार ने आगे बढ़ाते हुए मजदूरों के 44 केन्द्रीय श्रम कानूनों को खत्म कर 4 लेबर कोड्स में समेटते हुए पूंजीपति वर्ग को एक बड़ी सौगात दी है।

यूनियन का आरोप है कि मोदी सरकार द्वारा जनता के पैसों से खड़े किए गए सार्वजनिक उद्यम रेल, भेल, बैंक, बीमा, कोयला, हवाई जहाज, सड़क, बंदरगाह, गैस व पैट्रोलियम आदि को कोड़ियों के भाव पूंजीपतियों के सुपूर्द किया जा रहा है। शिक्षा व स्वास्थ्य को बाजार के हवाले कर मजदूर मेहनतकशों की पहुंच से दूर किया जा रहा है। यह सब इन्ही पूंजीपरस्त नीतियों का ही परिणाम है।

यूनियन द्वारा जारी पर्चे में नए लेबर कोड्स को पूरी तरह से मज़दूर विरोधी बताया गया है। पर्चे में लिखा है कि पुराने श्रम कानूनों में दर्ज स्थाई काम पर स्थाई रोजगार के अधिकार को खत्म करते हुए लेबर कोड्स में स्थाई काम पर फिक्स टर्म के तहत कार्य करने का प्रावधान लागू कर दिया गया है। हड़ताल के अधिकार को सकुंचित कर दिया गया है। हड़ताल करने पर मजदूरों पर जुर्माने से लेकर जेल तक के प्रावधान लेबर कोड्स में कर दिए गए है।

इतना ही नहीं 300 से कम मजदूरों वाली फैक्ट्रियों में मालिकों को छंटनी व तालाबंदी की छूट लेबर कोड्स में दे दी गई है। महिलाओं से रात्रि पाली में कार्य कराने से लेकर खतरनाक उद्योगो में कार्य करने की अनुमति दे दी गई है। श्रम कानूनों में निहीत सामाजिक सुरक्षा (पी.एफ.. ई.एस.आई.) इत्यादि के अधिकार को इन लेबर कोड्स में मोदी सरकार ने तिलांजलि दे दी है।

यूनियन का मानना है कि एक तरह से इन लेबर कोड्स के द्वारा मोदी सरकार की ट्रेड यूनियन अधिकारों की आपराधिकरण करने की साजिस नजर आती है। मोदी सरकार लेबर कोड्स लागू कर मजदूरों को अधिकार विहीनिता की स्थिति में धकेलना चाहती है। लेबर कोड्स के माध्यम से मोदी सरकार असल में संगठित क्षेत्र के मजदूरों पर हमला बोलना चाहती है।

गौरतलब है कि बेलसोनिका मज़दूर यूनियन ने इससे पहले भी नए लेबर कोड्स के विरोध में सड़क पर सेमिनार और मज़दूर किसान पंचायत का आयोजन किया है। गुडगांव औद्योगिक क्षेत्र में स्थाई श्रमिकों की छंटनी व तालाबंदी की प्रक्रिया लम्बे समय से जारी है। मोदी सरकार ने भले ही लेबर कोड्स को अभी कानूनी तौर पर लागू नहीं किया है लेकिन पूंजीपति वर्ग ने इनको व्यवहार में लागू करना शुरू भी कर दिया है।

अगस्त 2019 में मंदी का हवाला देकर बहुत सारी फैक्ट्रियों से स्थाई व 8-10 सालों से कार्य कर रहे ठेका मज़दूरों को निकाला गया। इसके अलावा कोरोना काल के दौरान बड़े पैमाने पर मजदूरों की छंटनी की गई। यूनियन यूनियन का आरोप है कि आपदा को अवसर में तब्दील करते हुए मोदी सरकार ने पुराने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर 04 लेबर कोड्स में पारित कर मजदूर वर्ग पर बड़ा हमला बोल दिया।

वर्तमान समय में बहुत सारी फैक्ट्रियों में छंटनी की प्रक्रिया जारी है। रिको धारूहेड़ा, नपीनो, मुन्जाल शोया गुरुग्राम, हाई लैक्स, बजाज आदि फैक्ट्रियों से स्थाई श्रमिकों को निकाल ठेका श्रमिकों, नीम ट्रेनी य अप्रेन्टिस आदि मजदूरों से कार्य कराया जा रहा है।

बैलसोनिका, सनबीम आदि फैक्ट्रियों में मजदूरों पर छंटनी की तलवार लटकी हुई है।

 वर्कर्स यूनिटी से साभार

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