कोल इंडिया में पाँच साल का 19 फीसदी वेतन वृद्धि का समझौता; ढाई लाख श्रमिकों को मिलेगा लाभ

लगातार वार्ताएं असफल होने से यूनियनों ने दी थी आंदोलन की चेतावनी। पांच साल के समझौते के तहत वेतन में न्यूनतम बढ़ोतरी 6973.70 और उच्चतम रु 25,000 रुपये होगी।

कोलकाता। लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार मंगलवार को कोल इंडिया के कोलकाता मुख्यालय में जेबीसीसीआई की हुई बैठक में कोयला कर्मियों के लंबित 11 वें वेतन समझौते पर सहमति बन गई है। 19 फीसदी एमजीबी पर प्रबंधन व जेबीसीसीआई के सदस्यों के बीच वेतन समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है। कोल इंडिया में कार्यरत देशभर के 2.62 लाख कोयला श्रमिकों को इसका लाभ मिलेगा।

सातवीं बार हुई बैठक में सहमति नहीं बन सकी थी, तो 7 जनवरी को यूनियनों ने रांची में कन्वेंशन का ऐलान कर दिया था। लेकिन जब अपेक्स कमेटी की बैठक में वेतन समझौते का मुद्दा उठा तो नई तारीख की तिथि तय हुई। इसके बाद मंगलवार को बैठक हुई, जिसमें समझौता सम्पन्न हुआ।

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) में पांच साल के लिए समझौते के बाद वेतन में न्यूनतम बढ़ोतरी 6973.70 और उच्चतम रु 25 हजार रुपये होगी। भत्ता पर बात नहीं हुई है। उसपर अगली बैठकों में चर्चा होगी। समझौते को लेकर कर्मियों में आक्रोश की भी खबर है।

ज्ञात हो कि एसईसीएल समेत कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में कार्यरत कोयला कर्मचारियों का 11 वां वेतन समझौता जुलाई 2021 से लंबित था। इस दौरान मजदूर आंदोलन की राह पर थे।

कोलकाता स्थित कोल इंडिया मुख्यालय में चली घंटों रस्साकशी के बाद प्रबंधन पिछली बैठक के 10.5 फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी एमजीबी और फिर बढ़कर 14 फीसदी पर आया था। वहीं यूनियनों का कहना कि 26 फीसदी से कम नहीं लेंगे। लेकिन अंत में 19 फीसदी पर आम सहमति बनी।

5 साल पर सहमति, अन्य मुद्दों पर वार्ताएं रहीं थीं बेनतीजा

उल्लेखनीय है कि तीसरी बैठक में यह तय हो गया कि कोल इंडिया के कर्मचारियों का वेतन समझौता पांच साल के लिए ही होगा। लेकिन अन्य मुद्दों पर स्थिति को स्पष्ट नहीं हुईं। चौथी, पांचवीं और छठवीं तथा सातवीं बैठक में कोई फैसला नहीं हो पाया था। लगातार चार बैठक बेनतीजा रही थी।

गौरतलब है कि कोलकाता स्थित कोल इंडिया मुख्यालय में कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते के लिए गठित जेबीसीसीआई की 7वीं बैठक में प्रबंधन ने 10 प्रतिशत मिनिमम गारंटी बेनिफिट (MGB) देने का प्रस्ताव फिर से यूनियन के समक्ष प्रस्तुत किया। छठवीं बैठक में भी प्रबंधन ने अधिकतम 10 फीसदी एमजीबी देने की बात कही थी। यूनियन ने 30 प्रतिशत की मांग की थी।

जेबीसीसीआई की 7वीं बैठक में प्रबंधन ने कहा कि डीपीई के ऑफिस मेमोरेंड्म में छूट के बगैर केवल वार्ता की जा सकती है, किसी प्रकार का एग्रीमेंट नहीं। यदि छूट के बगैर कोई एग्रीमेंट किया तो कैग सवाल खड़े करेगा। प्रबंधन ने यह भी स्पष्ट किया गया 10 प्रतिशत मिनिमम गारंटी बेनिफिट (MGB) डीपीई की गाइडलाइन से अधिक है।

यूनियन की एमजीबी को लेकर 28 फीसदी की अंतिम माँग को प्रबंधन ने खारिज कर दिया। प्रबंधन बड़ी मुश्किल से 10.50 फीसदी एमजीबी पर आया, लेकिन यूनियन 28 प्रतिशत से और नीचे आने तैयार नहीं हुआ। लिहाजा बात नहीं बनी और चारों यूनियन ने एकराय होकर आंदोलन पर जाने का रास्ता चुना था।

कोल इंडिया में 3 वर्षों में सर्वाधिक उत्पादन

गौरतलब है कि सरकारी खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 9 महीने में 47.9 करोड़ टन (एमटी) कोयले का उत्पादन किया है। कंपनी के उत्पादन में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 16 प्रतिशत वृद्धि हुई है। यह पिछले 3 वर्षों में सर्वाधिक है। अप्रैल-दिसंबर 2019 की तुलना में कंपनी का कोयला उत्पादन 23 प्रतिशत बढ़ा है।

सीआईएल ने एक सार्वजनिक बयान में कहा है कि दिसंबर 2022 में 6.64 करोड़ टन उत्पादन हुआ है, जो इस वित्त वर्ष का अब तक का सर्वाधिक उत्पादन है। यह पिछले साल के समान महीने की तुलना में 62 लाख टन ज्यादा है और इसमें 10.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

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