हल्द्वानी बनभूलपुरा बस्ती उजाड़ने के विरोध में रुद्रपुर में एकदिवसीय सांकेतिक उपवास

लंबे समय से रह रहे निवासियों को बेघर करने की नाइंसाफी के खिलाफ सामाजिक व मज़दूर संगठनों द्वारा आवाज़ बुलंद हुई। जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तराखंड को ज्ञापन भेजा गया।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। पूर्व सूचना के अनुसार हल्द्वानी बनभूलपुरा बस्ती उजाड़ने के विरोध में 3 जनवरी 2023 को रुद्रपुर क्षेत्र के सामाजिक संगठनों व मज़दूर संगठनों द्वारा शहर स्थित भगत सिंह चौक पर एकदिवसीय सांकेतिक उपवास का कार्यक्रम किया गया।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड सरकार को बनभूलपुरा बस्ती बचाने के लिए पूर्व की भांति ज्यादा मजबूती से हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करनी चाहिए। रेलवे का मालिकाना उस जमीन पर नहीं बनता है जिसमें वह दावा कर रही है। रेलवे के पास मालिकाने का कोई भी कागज उपलब्ध नहीं है। पूर्व में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन द्वारा रेलवे से मालिकाने संबंधी कागज सूचना के अधिकार अधिनियम के द्वारा मांगे गए थे।

इस पर रेलवे ने पहले कोई साक्ष्य उपलब्ध नही कराये, बाद में केन्द्रीय सूचना आयोग में अपील व जद्दोजहद के बाद रेलवे ने मात्र 4 नक्शे ही अपीलकर्ता को उपलब्ध कराए थे। ये नक्शे रेलवे की विस्तार की प्लानिंग के हिस्से थे, लेकिन इसके अलावा कोई भी मालिकाना कागज रेलवे के पास नहीं था। हाईकोर्ट में भी रेलवे ने केवल चार मानचित्रों को ही अपने मालिकाने के रूप में पेश किया था।

वक्ताओं ने कहा हाई कोर्ट नैनीताल द्वारा फैसले में बस्ती के 4365 घरों को उजाड़ने का निर्णय लिया है, लेकिन उस जमीन पर रेलवे के मालिकाने के सवाल पर कोई पुख्ता बातचीत नहीं किया है।

वक्ताओं ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में कहीं भी छोटे बच्चों-बूढ़े-बुजुर्गों, बीमार लोगो व गर्भवती महिलाओं सहित क्षेत्र की जनता को इस ठंड में घर से बेघर करने के पश्चात पुनर्वास की कोई बात नहीं है। इसलिए सरकार को संवेदनशीलता दिखाते हुए हाईकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट में जनहित में अपील करनी चाहिए। 2016 में हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा हाईकोर्ट में व सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी और बस्ती उजड़ने से रोकने का प्रयास किया था, और दावा किया था कि उक्त जमीन रेलवे की नहीं बल्कि राज्य सरकार की है।

वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश की भाजपा नीत सरकार अपने विभाजनकारी नीतियों के चलते सांप्रदायिक आधार पर जनता को बांटने के काम कर रही है। बनभूलपुरा क्षेत्र में अधिकांश आबादी मुस्लिम अल्पसंख्यकों की है इसलिए सरकार का इस मामले में रवैया सांप्रदायिक आधार पर विभाजन वाला ही है।

वक्ताओं ने राज्य सरकार से मांग की कि राज्य सरकार बनभूलपुरा बस्ती को उजड़ने से रोकने के लिए ठोस प्रयास करे। 2016 की भांति हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के भीतर मौजूद पैरवी करे और हाईकोर्ट में तत्काल पुनर्विचार याचिका लगाए। विस्तार पर जरूरत पड़ने पर पहले पुनर्वास की व्यवस्था करे उसके बाद ही विस्थापन किया जाय। राज्य सरकार बनभूपुरा बस्ती को पूर्व की भांति मलिन बस्ती की सार्विक सूची में शामिल करे।

वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड की एक बड़ी आबादी जिसमें रुद्रपुर की भारी आबादी शामिल है, नजूल भूमि में रहती है, जिसके ऊपर भी उजाड़े जाने की तलवार लटकी है। पूरे राज्य में कहीं रेलवे के नाम पर, कहीं नजूल, कहीं वनक्षेत्र तो कहीं वर्ग चार के नाम पर जनता को बेघर करने का इंतेज़ाम है, जिस पर रोक के लिए जनहित में उपयुक्त क़ानून बनाया जाना जरूरी है।

कार्यक्रम के बीच एक प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन जिलाधिकारी उधम सिंह नगर के माध्यम से देने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचा। जहाँ तहसीलदार के माध्यम से ज्ञापन भेजा गया।

ज्ञापन में की गई मांगें-

  1. बनभूलपुरा वासियों के घर न उजाड़े जाएं।
  2. घर उजाड़ने से पहले घर बसाने की न्यायपूर्ण नीति का अनुसरण किया जाए।
  3. उत्तराखंड सरकार बनभूलपुरा क्षेत्र की उक्त पांचों बस्तियों को पूर्व की भांति अविलंब मलिन बस्तियों की सार्विक सूची में डालकर मलिन बस्तियों से सम्बंधित कानूनों के अनुसार उक्त बस्तियों को उजड़ने से बचाने को सभी आवश्यक कदम उठाये जाएं।
  4. उत्तराखंड सरकार बनभूलपुरा क्षेत्र की उक्त पांचों बस्तियों को बचाने को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में तत्काल पुनर्विचार याचिका दाखिल करे एवं उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे मामलों में यथाशीघ्र मजबूती से पैरवी कर अपने राजधर्म का निर्वाह करे।
  5. उत्तराखंड के कुमाऊँ एवं गढ़वाल मंडल में नजूल भूमि पर निवास कर रही भारी आबादी को भविष्य में उजड़ने से बचाने के लिये भी उक्त बस्ती को बचाने को मामले की जोरदार पैरवी व प्रयास करना अत्यंत आवश्यक है । 

कार्यक्रम को इंकलाबी मजदूर केंद्र के दिनेश चंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र के महासचिव धीरज जोशी, सीपीआई के राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन से राजेश, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की श्रीमती रविन्द्र कौर, भाकपा माले के ललित मटियाली, मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान के कैलाश भट्ट, भगवती श्रमिक संगठन के महासचिव दीपक सनवाल, ऑटोलाइन इम्प्लाइज यूनियन के महामंत्री प्रकाश सिंह मेहरा, इन्टरार्क मजदूर संगठन ऊधमसिंह नगर के श्रीराम, यजाकी वर्कर्स यूनियन के महावीर सिंह, ठेका मजदूर कल्याण समिति से सुभाष प्रसाद, भारतीय किसान यूनियन से सुब्रत कुमार विश्वास, जायडस वैलेनस इम्प्लाइज यूनियन सितारगंज के प्रदीप कुमार, समता सैनिक दल के गोपाल सिंह भारती, आम आदमी पार्टी से श्रीमती किरन पांडे विश्वास, बस्ती बचाओ संघर्ष समिति के नसीम, इन्टरार्क मजदूर संगठन किच्छा के पान मौहम्मद, बजाज मोटर्स यूनियन के कृपाल सिंह, ऑटोटेक के भानु आदि ने कार्यक्रम को संबोधित किया।

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