गांबिया के बाद उज़्बेकिस्तान में भारत निर्मित कफ सीरप पीने से 18 बच्चों की मौत

कफ सिरप निर्माता मैरियन बायोटेक के खिलाफ उज्बेकिस्तान में आपराधिक जांच शुरू। इससे पूर्व मेडेन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित कफ सीरप से गांबिया में 70 बच्चों की मौत की खबर आई थी।

मुनाफे की आंधी हवस में दवा का धंधा लगातार जानलेवा साबित हो रहा है। कितनी दवाएं धीमी मौत देती हैं, कितनी मौत हुईं, कुछ पता ही नहीं चलता। फार्मास्यूटिकल कंपनियों का वर्चस्व है और डॉक्टर उनके कमीशन में बेवजह दवाएं लिखते हैं और मौत का कारोबार जारी है।

ताजा खबर में अफ्रीकी देश गांबिया के बाद मध्य एशिया के देश उज्बेकिस्तान की सरकार ने कहा है कि कथित तौर पर भारत में निर्मित कफ सीरप (खांसी की दवा) पीने से उनके देश में 18 बच्चों की मौत हो गई है।

रिपोर्ट के अनुसार उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि फार्मास्यूटिकल कंपनी मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित डॉक-1 मैक्स (Dok-1 Max) सिरप के पीने से 18 बच्चों की मौत हुई है। यह दवा कंपनी ने वर्ष 2012 में उज्बेकिस्तान के बाजार में कदम रखा था। इसकी निर्माण इकाई नोएडा में है।

उज्बेकिस्तान के दावों से पहले गांबिया में 70 बच्चों की मौत की हरियाणा स्थित मेडेन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित कफ सीरप से होने की खबरें आई थीं। गाम्बिया के बाद अब उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर भारतीय दवा कंपनी का कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत का मामला सामने आया है।

उज्बेकिस्तान में आपराधिक जांच शुरू

खबर के मुताबिक उज्बेकिस्तान की राज्य सुरक्षा सेवा ने घोषणा की है कि उसने दवा के स्थानीय आयातक के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू कर दी है।

बयान में कहा है, ‘डॉक-1 मैक्स दवा लेने के परिणामस्वरूप 18 बच्चों की मौत को ध्यान में रखते हुए आपराधिक संहिता के अनुच्छेद 186-3 (शक्तिशाली पदार्थों वाली दवाओं की खुदरा बिक्री के आदेश का उल्लंघन) के तहत कुरामैक्स मेडिकल (दवा का आयातक) और दवाओं के मानकीकरण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एक आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है।’

उज्बेकिस्तान के मंत्रालय के अनुसार, प्रयोगशाला परीक्षणों के दौरान ‘डॉक-1 मैक्स’ सीरप की एक खेप में खतरनाक  एथिलीन ग्लाइकॉल रसायन पाया गया है। इसमें विषाक्त तत्व पाए जाते हैं।

खबर है कि मैरियन बायोटेक ने ‘डॉक-1 मैक्स’ का निर्माण फिलहाल बंद कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी द्वारा निर्मित ‘डॉक-1 मैक्स सिरप वर्तमान में भारतीय बाजार में नहीं बेचा जा रहा है।

डब्ल्यूएचओ जांच में करेगा सहायता

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि वह उज्बेकिस्तान में कफ सिरप के सेवन से 18 बच्चों की मौत मामले में आगे की जांच में सहायता करने के लिए तैयार है। स्वास्थ्य निगरानी निकाय डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वह उज्बेकिस्तान में स्वास्थ्य अधिकारियों के संपर्क में है।

समाचार एजेंसी एएनआई ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों के हवाले से कहा है कि वे उज्बेकिस्तान के अधिकारियों के संपर्क में हैं और जांच में शामिल होने के लिए तैयार हैं।

सीडीएससीओ ने भी की जांच शुरू

मामले में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने भी जांच शुरू कर दी है। कफ सीरप के नमूने नोएडा में विनिर्माण परिसर से लिए गए हैं और चंडीगढ़ में क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (आरडीटीएल) को जांच के लिए भेजे गए हैं।

गुरुवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी से सटे नोएडा में कंपनी के कार्यालय में निरीक्षण शुरू करने के बीच उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि मैरियन बायोटेक भारत में ‘डॉक-1 मैक्स’ नहीं बेचती है और इसका एकमात्र निर्यात उज्बेकिस्तान को किया गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, मैरियन बायोटेक एक लाइसेंस प्राप्त निर्माता है और उसके पास उत्तर प्रदेश के औषधि नियंत्रक द्वारा निर्यात उद्देश्य के लिए ‘डॉक-1 मैक्स’ सीरप और टैबलेट के निर्माण के लिए लाइसेंस है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि बच्चों की मौत ‘डॉक-1 मैक्स’ का सेवन करने से होने संबंधी उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के आरोप के बाद आगे की कार्रवाई दवा कंपनी की नोएडा स्थित विनिर्माण इकाई के निरीक्षण के आधार पर की जाएगी।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन 27 दिसंबर से मामले को लेकर उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय दवा नियामक के नियमित संपर्क में है।

विदेश मंत्रालय ने भी मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारत उज्बेकिस्तानी प्राधिकारियों के संपर्क में है और मामले में उनकी जांच का ब्योरा मांगा है।

गाम्बिया में हुई थी 60 से अधिक बच्चों की मौत

इससे पहले, अक्टूबर में अफ्रीकी देश गाम्बिया में भारत में निर्मित कफ सिरप से 60 से अधिक बच्चों की मौत का मामला सामने आया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था, लेकिन अभी तक भारतीय कंपनी के कफ सिरप से बच्चों की मौत की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

डब्ल्यूएचओ ने जारी की थी रिपोर्ट

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अक्टूबर की शुरुआत में जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि खांसी की दवा डाइथेलेन ग्लाइकोल और इथिलेन ग्लाइकोल इंसान के लिए जहर की तरह हैं।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसुस ने कहा था कि बच्चों की मौत का संबंध चार दवाओं से है। इन सिरप के सेवन से उनके गुर्दों को क्षति पहुंची। ये चारों दवाएं हरियाणा की एक ही कंपनी मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की हैं।

मेडेन फार्मास्यूटिकल के उत्पादों पर बैन

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट आने के बाद गाम्बिया ने मेडेन फार्मास्यूटिकल के उत्पादों पर बैन लगा दिया गया था। डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों को इन दवाओं को बाजार से हटाने की चेतावनी दी थी। खुद भी इन देशों और संबंधित क्षेत्र की आपूर्ति शृंखला पर नजर रखने की बात कही थी।

डब्ल्यूएचओ की चेतावनी के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने जांच के आदेश जारी किए थे।

गाम्बिया में कथित तौर पर भारत में निर्मित कफ सिरप से बच्चों की मौत पर सरकार ने संसद में जानकारी दी थी कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने राज्य औषधि नियंत्रक के सहयोग से सोनीपत में मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की एक संयुक्त जांच की थी।

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