हिमाचल: यूनियन व प्रबंधन के बीच समझौता, मृतकों के परिजनों को मुआवजा देगी कंपनी

दो मजदूरों की मौत से धौलासिद्ध प्रोजेक्ट के मजदूर हड़ताल पर थे। मुआवजा व न्यूनतम वेतन, पहचान पत्र, नियुक्ति पत्र, EPF फंड आदि 15 सूत्रीय मांग पत्र पर सहमति बनी।

हिमाचल के हमीरपुर स्थित नादौन इलाके में धौलासिद्ध प्रोजेक्ट के 2 मजदूरों की ब्यास नदी में डूबने से हुई मौत के बाद उपजा विवाद शांत हो गया है। कंपनी प्रबंधन और हिमाचल भवन, सड़क एवं निर्माण मजदूर यूनियन संबंधित CITU धौलासिद्ध इकाई के बीच चली वार्ता के पश्चात समझौता हो गया। 25 दिसंबर को मजदूरों की मौत के बाद से धौलासिद्ध प्रोजेक्ट के मजदूर हड़ताल पर थे।

CITU के जिला सचिव जोगिंदर कुमार ने बताया कि परियोजना में काम कर रही कंपनी ने मजदूरों को पहले कोई मुआवजा नहीं दिया था और मामला दबा दिया गया। तब कंपनी का कहना था कि जिन मजदूरों की मौत हुई थी, वह कंपनी के मजदूर ही नहीं थे। क्योंकि मजदूरों को न तो कंपनी ने पहचान पत्र दिया था और न ही सैलरी स्लिप। न ही मजदूरों का EPF कटता है। न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जाता।

इससे मजदूरों को पहचान पत्र या नियुक्ति पत्र न देने पर मजदूरों को जो कानूनन लाभ भी मिल सकते थे। उससे भी मृतकों के परिवारों को वंचित रखा गया था। CITU के जिला सचिव जोगिंदर कुमार का कहना है कि अब प्रोजेक्ट में मजदूर यूनियन बनाकर संगठित हो गए हैं। इसलिए मजदूरों ने मृतकों के परिजनों को वर्कमैन कंपनसेशन एक्ट के तहत मुआवजा देने की मांग को लेकर पूरी तरह से काम बंद कर दिया था।

कंपनी प्रबंधन विशेष अधिकारी पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के मुताबिक बाहर थे। इसलिए कोई बातचीत नहीं हो पा रही थी।

मजदूरों ने कानूनन मिलने वाले अधिकारों जैसे न्यूनतम वेतन पहचान पत्र, नियुक्ति पत्र, EPF फंड आदि को लेकर 15 सूत्रीय मांग पत्र भी प्रबंधन को दे दिया। कल शाम देर तक चली वार्ता में कंपनी ने 15 सूत्रीय मांग पत्र पर 15 दिन के भीतर वार्ता करने की बात कही। कंपनी प्रबंधन ने मृतक मजदूरों के परिजनों के लिए वर्कमैन कंपनसेशन एक्ट के तहत मिलने वाली कुल मुआवजा राशि देने की भी बात स्वीकार कर ली है।

यूनियन का कहना है कि मजदूरों को कार्यस्थल और रिहायशी स्थल पर भी 24 घंटे पानी की सुविधा देने की मांग को भी मान लिया है। इसके साथ ही जिन शैडों में जहां मजदूर रहते हैं और जिस छत से पानी की बूंदे टपकती हैं। उनको भी एक सप्ताह के भीतर सीलिंग करने का वादा किया है। सीटू के राष्ट्रीय सचिव कश्मीर सिंह ठाकुर की अगुवाई में आंदोलन और वार्ता को अंजाम दिया गया है।

जिसके बाद मजदूरों ने हड़ताल समाप्त कर दी। वे काम पर लौट गए। परियोजना का काम नियमित तौर पर शुरू हो गया है। मजदूर नेताओं ने कंपनी प्रबंधन को साफ तौर पर चेतावनी दी है कि अगर मृतकों को न्याय मुआवजा राशि और मजदूरों की मांगों को लेकर जो सहमति बनी है, उस पर वादा खिलाफी या धोखाधड़ी की गई तो बहुत बड़े आंदोलन का सामना करना पड़ेगा।

दैनिक भास्कर से साभार

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