27 दिसंबर: अवैध छँटनी-बंदी के 4 साल, माइक्रोमैक्स मज़दूरों ने मनाया काला दिवस; 28 को रैली

4 वर्षों से भगवती-माइक्रोमैक्स मज़दूरों का विकट संघर्ष जारी है। श्रमिक समस्याओं को लेकर 28 दिसंबर को श्रमिक संयुक्त मोर्चा द्वारा भगवती कंपनी गेट से कलेक्ट्रेट तक रैली निकलेगी।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स) में गैरक़ानूनी छँटनी-लेऑफ-बंदी और उसके खिलाफ संघर्ष के चार साल पूरे होने पर आज श्रम भवन, रुद्रपुर में मज़दूरों ने काला दिवस मानते हुए धरना-प्रदर्शन किया। और पीड़ित समस्त 351 श्रमिकों की कार्यबहाली की माँग की।

इसी क्रम में श्रमिक संयुक्त मोर्चा, उधम सिंह नगर के नेतृत्व में 28 दिसंबर, 2022 को भगवती कंपनी गेट से जिला कलेक्ट्रेट तक रैली निकालकर जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया जाएगा। इसमे अवैध छंटनी-बंदी के शिकार भगवती व जायडस वेलनेस मज़दूरों की कार्यबहाली व सिड़कुल की विभिन्न कंपनियों की श्रमिक समस्याओं के समाधान की माँग उठाई जाएगी।

ज्ञात हो कि माइक्रोमैक्स उत्पाद निर्माता भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड प्रबंधन की इन अवैध गतिविधियों की चौथी वर्षगांठ पर 27 दिसंबर, 2022 को मज़दूरों द्वारा श्रम भवन में कंपनी और सरकार के अंधेपन के प्रतिक के रुप में काला दिवस मनाया गया।

351 श्रमिक 4 साल से अवैध छंटनी, गैरकानूनी लेऑफ और कथित प्रशिक्षण के बहाने गैरकानूनी स्थानांतरण आदि के खिलाफ संघर्षरत हैं। क़ानूनी जीत के बावजूद कार्यबहाली से वंचित हैं और विकट आर्थिक संकटों से जूझते हुए सड़क पर धक्के खाने को मजबूर हैं।

गैर क़ानूनी छँटनी-लेऑफ-बंदी

27 दिसंबर 2018 को भगवती प्रबंधन ने एक साजिश के तहत 303 श्रमिकों की छंटनी कर दी थी। जिसे औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी, फिर माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल ने अवैध घोषित कर दिया था। लेकिन मज़दूरों की कार्यबहाली नहीं हुई। मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है और 3 जनवरी को सुनवाई की तिथि निर्धारित है।

दूसरी तरफ प्रबंधन ने 47 श्रमिकों को लंबे ले-ऑफ के तहत बैठाए रखा। संघर्ष के बाद इस साल 1 सितंबर से प्लांट खुला, लेकिन 29 नवंबर से इनकी अवैध गेट बंदी हो गई। जबकि यूनियन अध्यक्ष बर्खास्त हैं।

4 वर्षों से विकट आर्थिक संकटों से जूझते हुए मज़दूरों का जमीनी व क़ानूनी संघर्ष चल रहा है। भयावह गर्मी, बारिश, विकट ठंड और कोविड के जानलेवा दौर में भी मज़दूरों का धरना कंपनी गेट पर लगातार जारी रहा। वर्तमान में श्रम भवन, रुद्रपुर में धरना जारी है।

27 दिसंबर, 2018 से अवैध गतिविधियों के खिलाफ संघर्ष

भगवती प्रबंधन ने 27 दिसंबर 2018 से महिला व पुरुष 303 श्रमिकों की गैरकानूनी छँटनी कर दी थी। साथ ही शेष बचे श्रमिकों में से यूनियन अध्यक्ष सूरज सिंह बिष्ट को निलंबित और बाद में बर्खास्त कर दिया था और बाकी 47 मज़दूरों को गैरकानूनी ले ऑफ के तहत बाहर बैठा दिया।

पुलिस प्रशासन के फर्जी मुकदमों को झेलते हुए विगत 48 महीने से मज़दूर जमीनी लड़ाई के साथ न्यायाधिकरण से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस दौरान न्यायाधिकरण से उच्च न्यायालय नैनीताल से श्रमिकों के हित में फैसला आया था, जहाँ छँटनी अवैध घोषित हो गई थी।

कंपनियों का धंधा: सब्सिडी और सरकारी रियायतें व मुनाफा लूटो, मज़दूरों के पेट पर लात मारो, एक से दूसरे राज्य में पलायन कर जो! माइक्रोमैक्स से जयडस वेलनेस तक यही कहानी है।

गैरक़ानूनी मंसूबों के लिए छँटनी-बंदी

आज कंपनियों का यह धंधा बन गया है कि एक राज्य से सब्सिडी और विभिन्न सरकारी रियायतों का लाभ व मुनाफा बटोरकर व मज़दूरों के पेट पर लात मारकर एक राज्य से दूसरे राज्य में पलायन कर जाते हैं। भगवती-माइक्रोमैक्स से लेकर जयडस वेलनेस तक यही कहानी है।

इसी मंशा से कभी 5000 मज़दूरों वाले भगवती प्रोडक्ट्स से प्रबन्धन धीरे-धीरे मशीनें और तमाम मज़दूरों को हटाता रहा, और अंततः बाकी मज़दूरों के ऊपर उसने गाज गिरा दी थी।

दूसरे, इस कम्पनी का यह भी धंधा है कि मज़दूरों से 3-4 साल काम कराओ फिर उन्हें निकालकर नये मज़दूर भर्ती करो। 2007-08 में कम्पनी ने जिन मज़दूरों की भर्ती की, उन्हें 2011 में निकाल दिया। पुनः 2012-13 में नई भर्ती की, जिन्हें 2018 में निकाल दिया।

तीसरे, 2017 में जब प्रबन्धन ने मज़दूरों की छँटनी और पन्तनगर प्लांट के मुनाफे से खड़ा हुये दूसरे प्लांटों (भिवाड़ी व हैदराबाद) में भेजने लगा तो मज़दूरों ने अपने को संगठित किया और भगवती श्रमिक संगठन नाम से यूनियन बनाई।

इन स्थितियों में प्रबंधन ने साजिश के तहत प्लांट में अवकाश घोषित कर मशीनें शिफ्ट कीं, 27 दिसंबर, 2018 से अवैध छँटनी और गैरकानूनी लेऑफ का हथकण्डा अपनाया।

इस अवैध छँटनी के साथ प्रबंधन ने 47 श्रमिकों को लंबे समय तक गैरकानूनी ले-ऑफ पर बैठाए रखा, यूनियन अध्यक्ष को छँटनीग्रस्त मज़दूरों का साथ देने के कारण बर्खास्त कर दिया। संघर्ष के बीच प्रबंधन ने दिनांक 01/09/2022 से ले-ऑफ समाप्त कर श्रमिकों की कार्यबहाली कर दी। लेकिन दो माह के भीतर 29 अक्टूबर से इनमे बचे शेष 27 श्रमिकों के लिए कंपनी ने कथित क्षमता वृद्धि प्रशिक्षण/भिवानी स्थानांतरण का हथकंडा अपनाकर गैर कानूनी रूप से श्रमिकों की गेटबंदी कर दी।

प्रबंधन से शासन-प्रशासन-श्रम अधिकारी का गठबंधन

इस पूरे मामले में शुरू से ही श्रम अधिकारी, प्रशासन, शासन और सरकार मालिकों के पक्ष में खड़ी रही। मज़दूरों पर फ़र्जी मुक़दमें लगाए। श्रम विभाग ने वार्ता कराये बगैर मनमाने रूप से छँटनी का विवाद औद्योगिक न्यायाधिकरण भेज दिया। ले-ऑफ मामले में श्रम अधिकारी मामले को उलझाए रखे और अब वे अवैध बंदी के शिकार हैं।

साल 2019 में श्रमिकों की अपील पर उच्च न्यायालय नैनीताल ने प्रमुख सचिव श्रम को 40 दिन में विवाद निस्तारित करने का आदेश दिया था। लेकिन सारे तथ्यों को गोल करते हुए श्रम सचिव ने एकतरफा रूप से मालिकों के पक्ष में आदेश पारित कर दिया था। इसके बाद उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा न्यायाधिकरण को 90 दिन के भीतर मामले के निस्तारण का आदेश दिया था।

न्यायाधिकरण से मज़दूर जीत गए और उच्च न्यायालय ने भी इस आदेश के परिपालन के आदेश दिए। उसके बावजूद श्रम अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी श्रमिकों की कार्यबहाली कराने की जगह उसे उलझाने का प्रयास करते रहे। कभी हिसाब लेने की बात, तो कभी हिसाब ले चुके 151 मज़दूरों को छोड़कर 152 मजदूरों के लिए राज्य से बाहर दूसरे प्लांट में जाने का प्रस्ताव।

और जब कुछ नहीं मिला तो अंत में सहायक श्रमआयुक्त ने स्पष्ट आदेश के बावजूद न्यायाधिकरण के आदेश की व्याख्या के बहाने गलत तरीके से प्रकरण को औद्योगिक न्यायाधिकरण में भेज दिया था। हालांकि प्रबंधन कोर्ट सहित सभी जगह यही कहता रहा कि पंतनगर प्लांट उसे चलाना है।

5 अप्रैल 2022 को उच्च न्यायालय ने न्यायाधिकरण के आदेश को सही ठहराया था। लेकिन एएलसी मामले को लटकते रहे। लंबे संघर्ष के बाद एएलसी ने आदेश के परिपालन में श्रमिकों की कार्यबहाली व मई 2022 तक के बकाया वेतन 15,49,59,910 रुपए की अदायगी का नोटिस जारी किया था।

इस बीच प्रबंधन ने उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दायर की। इसी के साथ उसने उक्त राशि पर स्थगन आदेश लगाने का आवेदन किया था। 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने स्थगनादेश के साथ प्रबंधन को 5 करोड़ रुपए जमा करने का निर्देश दिया। जहाँ 3 जनवरी, 2023 को सुनवाई है।

मज़दूरों का संघर्ष जारी

इन कठिन परिस्थितियों में भगवती-माइक्रोमैक्स के मज़दूर पिछले चार साल (48 महीने) से जमीनी लड़ाई के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने तमाम संकटों को झेलते हुए भी इस लड़ाई को जारी रखा है और हर कदम पर लड़कर लगातार जीत हासिल की है।

फिलहाल मज़दूरों का संघर्ष जारी है और श्रम भवन रुद्रपुर में धरना लगातार चल रहा है। अंतिम जीत तक मज़दूर ज़मीनी व क़ानूनी लड़ाई जारी रखने के लिए कृत संकल्प हैं।

आज श्रम भवन रुद्रपुर में काला दिवस मानते हुए प्रदर्शन करने वालों में शामिल साथियों में ठाकुर सिंह, दीपक सनवाल, राजकुमार, दीपक पंत, सूरज बोरा, भुवन जोशी, मुकेश जोशी, भुपेन्द्र सिंह, यसपाल, हेम जोशी, गोधन लाल, रविंद्र राणा, धीरज खाती, नरेंद्र मेहरा आदि शामिल रहे।

About Post Author

भूली-बिसरी ख़बरे