नैनीताल हाईकोर्ट ने संविदा कर्मियों के निकालने पर लगाई रोक; सरकार की विशेष याचिका खारिज

महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग से हटाए गए संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारियों ने कहा कि आउटसोर्स कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए एक साजिश के तहत उन्हें हटाया गया है।
नैनीताल। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग से हटाए गए संविदा कर्मचारियों के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की विशेष याचिका को खारिज कर दिया। संविदा कर्मचारियों की सेवाएं बरकरार रहेंगी।
विभाग के तहत वन स्टाप सेंटर में कई कर्मचारी पिछले कई वर्षों से संविदा पर काम कर रहे थे। हाल ही में इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी थी। इसका केंद्र सरकार की गाइड लाइन को आधार बनाया गया था। हटाए गए कर्मचारी ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
याचिकाकर्ता षष्ठी कांडपाल व अन्य ने हाईकोर्ट की एकलपीठ के समक्ष कहा था कि वे 2017 से भारत सरकार की योजना के तहत कार्य कर रहे थे। योजना केंद्र सरकार से वित्त पोषित है। 29 नवंबर 2022 के आदेश के तहत उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई।
उनके स्थान पर विभाग की ओर से एक निजी आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से अपने करीबी लोगों की नियुक्ति की जा रही है। इस संबंध में एक विज्ञापन भी जारी किया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि संविदा कर्मचारियों को हटाकर उनके स्थान पर अन्य को लगाना गलत है।
खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुना और एकलपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए सरकार की विशेष याचिका को खारिज कर दिया।
क्या है मामला?
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार की ओर से महिला सशक्तीकरण सुरक्षा व बचाव के के बहाने कथित अंब्रेला मिशन शक्ति की शुरूआत हुई और केंद्र ने इस संबंध में नए दिशा निर्देश जारी किए। इसे आधार बनाते हुए उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं में संविदा, आउटसोर्स एवं अन्य माध्यमों से कार्यरत 100 से ज्यादा कर्मचारियों के विभाग ने सेवाएं समाप्त कर दी।
विभाग के उपनिदेशक एसके सिंह की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि केंद्र सरकार की पहले से चलाई जा रही योजनाएं वन स्टॉप सेंटर, राष्ट्रीय महिला हैल्पलाइन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, उज्जवला, कामकाजी महिला छात्रावास, प्रधानमंत्री वंदना योजना सहित विभिन्न योजनाओं के लिए मानव संसाधन आउटसोर्स, संविदा एवं अन्य माध्यम से कार्यरत है। इस मामले में यह निर्णय लिया गया है कि इन योजनाओं में कार्यरत कर्मचारियों की 30 नवंबर 2022 तक ही स्वीकृति मान्य होगी। इनकी इस तिथि के बाद सेवाएं नहीं ली जाएगी।
इसके बाद महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग से हटाए गए संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि आउटसोर्स कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए यह सब किया गया है। एक साजिश के तहत उन्हें हटाया गया है।