कोर्ट की जांच रिपोर्ट में मज़दूर कार्यकर्ता शिवा कुमार की पुलिस हिरासत में प्रताड़ना की पुष्टि

जांच अधिकारी न्यायधीश दीपक गुप्ता की रिपोर्ट में कहा गया है कि शिव कुमार के अवैध कारावास और हिरासत में यातना के आरोप रिकॉर्ड पर विधिवत साबित हुए हैं।
सत्र न्यायाधीश पंचकुला द्वारा प्रस्तुत एक जांच रिपोर्ट ने इन आरोपों की पुष्टि की है कि दलित श्रमिक कार्यकर्ता शिव कुमार को हरियाणा पुलिस द्वारा अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था और इस दौरान उन्हें प्रताड़ित किया था।
जांच रिपोर्ट शिव कुमार के पिता द्वारा दायर याचिका में प्रस्तुत की गई थी, जिसमें कुंडली पुलिस स्टेशन में दर्ज तीन प्राथमिकियों को एक स्वतंत्र एजेंसी को स्थानांतरित करने और उनके बेटे की अवैध हिरासत और यातना की जांच की मांग की गई थी। तदनुसार, मार्च 2021 में, अदालत ने दीपक गुप्ता को जांच करने का निर्देश दिया, जिसके दौरान 15 गवाहों की जांच की गई।
रिपोर्ट में अतिरिक्त एसएचओ, कुंडली पुलिस स्टेशन, शमशेर सिंह को यातना के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है।
रिपोर्ट पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन बंसल की बेंच के सामने रखी गई। राज्य के वकील ने रिपोर्ट पर गौर करने के लिए समय मांगा और अगली सुनवाई 27 जनवरी, 2023 को निर्धारित की गई है।
इस पूरे मामले पर मज़दूर अधिकार संगठन के फ़ेसबुक पर प्रस्तुत रिपोर्ट-
12 जनवरी जब व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला किया गया
किसान आंदोलन चल रहा था, तब “मजदूर अधिकार संगठन” ने किसान आंदोलन के समर्थन में मजदूरों को संगठित किया और 2000 मज़दूरों की रैली निकाली। जब प्रवासी मजदूरों की दिक्कतें सामने आने लगी, तो मुख्य दिक्कत थी- ‘लॉकडाउन का रुका हुआ वेतन’ जो कंपनियां नहीं दे रही थी। “मजदूर अधिकार संगठन” के साथियों ने पहलकदमी करते हुए मजदूरों को संगठित किया और 600 के करीब मजदूरों का रुका वेतन दिलाया गया।
जब मजदूर 28 दिसंबर 2020 को अपना रुका वेतन लेने के लिए इकट्ठा हुए, तो कंपनी के गुंडों द्वारा हवा में गोली चलाई गई, जो मजदूरों को डराने के लिए चलाई गई थी। जब कुंडली थाने में जाकर गोली चलाने वालों के खिलाफ FIR करने के लिए बोला गया, तो उल्टा मजदूरों को ही धमकाया गया और कहा गया कि “पहले गोली का खोल लेकर आओ, फिर FIR केरेंगे” (जबकि गोली चलने की आवाज और चलाने वाला भी एक विडियो में था)। यह सब दिखाता है कि कंपनी मालिकों और कंपनी के गुंडों और पुलिस वालों का गठजोड़ है।
फिर 12 जनवरी 2021 को सभी मजदूर इकट्ठा हुए और शांतिपूर्ण तरीके से प्लॉट नंबर 349 कंपनी के सामने बैठे प्रदर्शन कर रहे थे, तो पुलिस वालों ने अचानक आकर धक्का-मुक्की शुरू कर दी और और जब मजदूरों ने इसका विरोध किया, तो पुलिस ने 17 बार हवाई फायर किए और नौदीप कौर को गिरफ्तार कर लिया गया, कार्यकर्ता नौदीप कौर पुरुष पुलिस द्वारा महिला पुरुष की गैर हाजरी में उसके ऊपर बैठकर पीटा गया और जेल भेज दिया गया, इसकी जांच भी अभी तक नहीं हुई है।
उसके बाद कार्यकर्ता शिवकुमार को अवैध रूप उठा लिया गया, जिसको इतना प्रताड़ित किया गया कि उनके हाथों पैरों की हड्डियां तोड़ दी गई, इस घटना को 2 साल होने वाले हैं, लेकिन अभी तक दोषी पुलिसवालों और CIA वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

जांच रिपोर्ट: अवैध कारावास में रखना और प्रताड़ित करने का सबूत
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष जिला एवं सत्र न्यायधीश दीपक गुप्ता, पंचकूला द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट ने पुष्टि की कि साथी शिवकुमार को अवैध कारावास में रखा गया था और उस पर दमन भी किया गया था। इस रिपोर्ट में यह भी साबित होता है कि पिछले 16 जनवरी 2021 को पुलिस ने शिवकुमार को उठाया और 23/24 जनवरी 2021 तक अवैध कारावास में रखा और 2 फरवरी 2021 तक पुलिस रिमांड देकर मैजिस्ट्रेट द्वारा अधिकृत किए जाने के दौरान फिर से प्रताड़ित किया गया, उसके शरीर के विभिन्न हिस्सों में फ्रैक्चर और चोटें आई हैं।
20 फरवरी 2021 को गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल सेक्टर 32, चंडीगढ़ में मेडिकल जांच से पहले शिव कुमार की 24 जनवरी से 2 फरवरी 2021 के बीच 5 बार जांच की गई, लेकिन इसमें एक बार भी चोटें दिखाई नहीं गई। जाँच में पाया गया कि “सरकारी हॉस्पिटल सोनीपत के डॉक्टर या जेल में तैनात डॉक्टरों ने ईमानदारी से काम नहीं किया और पुलिस अधिकारियों के इशारों पर ही काम किया”
गुप्ता जी यह भी कहते हैं कि “ऐसा लगता है कि जेएमआईसी विनय काकरान ने भी अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया, जैसा करना चाहिए था” रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि “ऐसा प्रतीत होता है कि शिवकुमार को शरीरक रूप से मैजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं किया गया और पुलिस वाहन में बाहर बिठाए बैठाया गया; अगर पेश किया गया, तो वह पुलिस द्वारा दी गई धमकियों के कारण मैजिस्ट्रेट से कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं था, अगर मैजिस्ट्रेट ने शिवकुमार को व्यक्तिगत रूप से देखा होता, तो वह उसके शरीर पर चोटें तो देख सकते थे।”
जांच रिपोर्ट में एएसआई शमशेर सिंह जो कुंडली पुलिस स्टेशन के अतिरिक्त एसएचओ थे, उसको अन्य पुलिसकर्मियों के साथ शिवकुमार को यातना देने का सीधे जिम्मेदार माना गया है। इंस्पेक्टर रवि जो एसएचओ थे, “इनकार करके” जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। सीआईए सोनीपत के प्रभारी इंस्पेक्टर रविंदर का नाम मुख्य है, जहां पर शिवकुमार को कथित रूप से अवैध कारावास में रखा गया था। रविंदर ने अपने बयान में इस बात से इनकार किया है।
अदालत ने जांच का आदेश देते हुए कहा कि “भारत के संविधान का भाग-III, मौलिक अधिकारों से संबंधित है, अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा की गारंटी देता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा किसी भी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता।”
दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई हो!
जांच रिपोर्ट स्वागतयोग्य है। सत्ता की निरंकुशता, पुलिस की बर्बरता और अवैध प्रताड़ना इस मामले में भी साबित हुई है। इस रिपोर्ट के आधार पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पर निगाहें टिकी हैं। दोषी पुलिसवालों सीआईए स्टाफ वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।