अफगानिस्तान: तालिबान सरकार ने अब महिलाओं के उच्च शिक्षा पर लगाया प्रतिबंध

इस्लामी देश सऊदी अरब, कतर और तुर्की ने तालिबान की निंदा करते हुए इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। उधर तालिबानी सत्ता महिलाओं के शिक्षा, नौकरियों, आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने में जुटी है।

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने मंगलवार को तत्काल प्रभाव से महिलाओं के लिए निजी और सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में प्रवेश पर रोक लगा दी है। कई इस्लामिक देशों ने तालिबान के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। सऊदी अरब, कतर और तुर्की ने तालिबान के इस कदम की निंदा करते हुए अफगान प्रशासन से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन महिलाओं के अधिकारों का बर्बरतापूर्वक दमन कर रहा है। बीते साल अगस्त में तालिबान ने सत्ता पर कब्जा करने के बाद ही शिक्षा, नौकरियों और उनकी आवाजाही पर प्रतिबंध लगाकर महिलाओं को घरों में कैद करने के लिए नियमों में बदलाव करने शुरू कर दिए थे।

ज्ञात हो कि बीते 22 दिसंबर को अफगानिस्तान की सत्ता में आसीन तालिबान ने ये फरमान जारी किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान शासित देश के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने एक पत्र में अगली घोषणा तक अफगानिस्तान में छात्राओं के लिए उच्च शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दे दिया था।

विदेशी मीडिया के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान के उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि महिलाओं का पुरुषों से मेलजोल रोकने के लिए उन्हें विश्वविद्यालयों में शिक्षा लेने से प्रतिबंधित किया गया है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय में लागू ऐसे पाठ्यक्रम जो इस्लामी कानून और अफगान गौरव के विपरीत हैं, इस्लामी मूल्यों का उल्लंघन कर रहे थे। उनके कारण भी ये फैसला लिया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि छात्रावासों में महिलाओं की मौजूदगी, बिना पुरुष साथियों के प्रांतों से उनका आना-जाना और हिजाब की नाफरमानी को देखते हुए लड़कियों के लिए विश्वविद्यालयों को बंद करने का फैसला लिया गया। 

दुनिया को दिखाने के लिए अपने फैसले लागू करने के लिए मौलवियों का सहारा लिया। उनकी सरकारी और प्राइवेट नौकरियों पर रोक लगवा दी। आगे बढ़ने से रोकने के लिए तालिबान सुरक्षाबलों ने महिलाओं को डराया, धमकाया, हिरासत में लेने से लेकर अगवा तक किया गया।

खबर है कि तालिबान ने लड़कियों को यूनिवर्सिटी में पढ़ने पर रोक लगाने के बाद अब महिलाओं को पूरी तरह शिक्षा से दूर करने वाला कदम उठाया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, तालिबान ने लड़कियों के प्राथमिक स्कूलों में जाने पर रोक लगा दी है। शिक्षकों से कहा गया है कि वे अब किसी भी उम्र की लड़कियों को नहीं पढ़ा पाएंगे। शिक्षा मंत्रालय व शरिया कानून लागू करने वाले मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक में इस पर फैसला लिया गया।

अफगानिस्तान की महिला अधिकार कार्यकर्ता खदीजा अहमदी ने बताया कि तालिबान ने महिलाओं को जज या वकील के रूप में कोर्ट में प्रैक्टिस करने से रोक दिया है। सत्ता पर कब्जा करने से पहले अफगानिस्तान में लगभग 300 महिला जज थीं। तालिबान के चलते इन सभी को देश से निकलना पड़ा।

तालिबान ने वयस्क महिलाओं के मस्जिदों में प्रवेश पर भी रोक लगा दी है। खदीजा के मुताबिक तालिबान के आने के बाद अफगानिस्तान में जो सुधार 20 साल में हुए थे, अब उन पर अंकुश लग चुका है। इससे एक दिन पहले ही लड़कियों को यूनिवर्सिटी में पढ़ने से रोकने के आदेश के खिलाफ कई जगहों पर प्रदर्शन हुए। सबसे ज्यादा छात्र कांधार व जलालाबाद में हुए।

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