छत्तीसगढ: आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता-सहायिकाएं 23 जनवरी से केंद्रों में ताला लटका उतरेंगी सड़क पर

राज्य व केंद्र सरकारों की महिला सशक्तीकरण की बातें खोखली हैं, महिलाओं का शोषण कर रही हैं। न्यूनतम मानदेय, समय पर वेतन, पेंशन, पदोन्नति आदि के लिये सरकार गंभीर नहीं है।

रायपुर (छत्तीसगढ़)। देश भर के लगभग 27 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिकाएं केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार से न्यूनतम पारश्रमिक नहीं दिये जाने और छत्तीसगढ़ सरकार के चुनावी वादा खिलाफी से आक्रोशित हैं। सरकार को 22 जनवरी तक का समय दिया गया है। यदि मांग पूरा नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल करते हुये सभी जिला मुख्यालय धरना देंगे।

आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिका संयुक्त मंच छत्तीसगढ़ के मुख्य प्रान्तीय पदाधिकारियों ने 16 दिसम्बर को रायपुर प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता ली। यहां बताया गया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सात प्रमुख संघ छत्तीसगढ के इतिहास में पहली बार एकजुट होकर 23 जनवरी 2023 से सभी आंगनबाडी केंद्रों में ताला लटका सड़क पर उतरेंगी।

प्रेस वार्ता में नेतृत्व ने कहा कि काम की बात आती है तो केंद्र व राज्य दोनो सरकारें एक हो जाती हैं और दबाव से काम लेती हैं, लेकिन उचित दाम देने की बात आती है तो दोनों सरकारें एक-दूसरे के ऊपर मढ़ते हैं। राज्य सरकार कहती है केन्द्र जाने पर केन्द्र सरकार कहती है राज्य का काम करते तो राज्य को ज्यादा सुविधा देनी चाहिये।

आखिर इससे साबित होता है कि महिला सशक्तीकरण की बातें खोखली हैं। न्यूनतम मानदेय स्वीकृत करने,समय पर वेतन देने, पेंशन, पदोन्नति देने की सुविधा के लिये सरकार गंभीर नहीं है। दोनों ही सरकारें महिलाओं का शोषण कर रही हैं जिससे महिलाओं में काफी आक्रोश ब्याप्त है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता व सहायिकाओं को जीने लायक वेतन भी नहीं मिल रहा है। कार्यकर्ता को 4500 रुपये केन्द्र और 2000 रुपये राज्यांश से कुल 6500 रुपये और सहायिका को 2250 रुपये केन्द्र से 1000 रुपये राज्यांश कुल 3250 रुपये का मानदेय मिल रहा है। उसमें भी राज्यांश की राशि 4-5 माह में एक बार रोक-रोक कर दिया जा रहा है। इसी तरह अन्य स्वत्व ईंधन राशि, मातृत्व वंदना, यात्रा भत्ता इत्यादि समय पर नहीं दिया जाना अत्यन्त गंभीर बात है।

पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि महिला बाल विकास के नीचे से ऊपर तक के अधिकारी समस्याओं का समाधान करने की बजाय कार्यकर्त्ता-सहायिकाओं को छोटी छोटी बातो में सेवा से निकाले जाने की धमकी, संसाधन नहीं होने के बाद भी कार्य करने का दबाव देना, मोबाईल नेट चार्ज नही है उसके बाद भी दबाव देकर बंधुआ मजदूर की तरह कार्य लिया जाना, भयादोहन कर आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिकाओं को आर्थिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।

कहा कि उक्त सभी बातों को लेकर प्रदेश के एक लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता-सहायिका काफी आक्रोशित हैं और सरकार को इस बात से कई बार अवगत कराया जा चुका है। सरकार को वार्त्ता के माध्यम मांगों का निराकरण हेतु 22 जनवरी 2023 तक का समय दिये जाने और इसके बाद भी मांग पूरा नहीं होने पर 23 जनवरी 2023 से 5 दिन तक रायपुर राजधानी मुख्यालय में सभी जिलों से कार्यकर्त्ता-सहायिका बड़ी संख्या में उपस्थित होंगे। उसके बाद इसे अनिश्चितकालीन हड़ताल में तब्दील करते हुये सभी जिला मुख्यालय धरना देंगे।

प्रेसवार्त्ता में सरिता पाठक, पदमावती साहू, रूक्मणी सज्जन, हेमा भारती, सुमन यादव, सौरा यादव, भुनेश्वरी तिवारी, पुष्पा राय उपस्थित थे। उक्त जानकारी देवेन्द्र पटेल प्रान्तीय संयोजक द्वारा दी गई।

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