लम्बे संघर्ष के बाद इंटरार्क में समझौता संपन्न; 64 निलंबित मज़दूरों की हुई कार्यबहाली

इंटरार्क यूनियन के अनुसार इस संघर्ष से मज़दूर यूनियन को स्थापित करने में व यूनियन को बचा ले जाने में सफल रहे हैं। प्रबंधन की चाह थी कि वह यूनियन को खत्म कर दे।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। लंबे जुझारू संघर्ष के बाद इंटरार्क बिल्डिंग मैटीरियल्स प्राईवेट लि. पंतनगर और किच्छा के विवाद में समझौता संमपन्न हो गया। 15 दिसंबर को प्रशासन की मध्यस्थता व किसान नेताओं की मौजूदगी में प्रबंधन व दोनों प्लांट की यूनियनों के बीच हुए समझौते के तहत कार्य बहिष्कार में शामिल 357 श्रमिकों की कार्यवापसी व 64 निलंबित मजदूरों की कार्यबहाली हुई।

गौरतलब है कि इंटरार्क कंपनी द्वारा शोषण व उत्पीड़न के विरोध में मज़दूर 16 अगस्त 2021 से आंदोलन कर रहे थे। इस जुझारू और बड़े आंदोलन के दौरान मज़दूर परिवार की महिलाओं व बच्चों जबरदस्त भागीदारी रही।

जुझारू आंदोलन; महापंचायतों का आयोजन

इस आंदोलन के दौरान कई बाल पंचायत से लेकर पंतनगर व किच्छा धरना स्थलों पर 3 बड़े मज़दूर-किसान महापंचायत आयोजित हुए। मज़दूरों के इस आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा, भारतीय किसान यूनियन, श्रमिक संयुक्त मोर्चा व इंकलाबी मज़दूर केंद्र सहित तमाम सामाजिक व जन संगठनों का समर्थन प्राप्त था।

18 नवंबर को हुए ‘मज़दूर किसान महापंचायत’ के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत की अगुआई में मज़दूरों, किसानों व महिलाओं ने किच्छा प्लांट का गेट जाम किया था। जिसे प्रशासन के आश्वासन पर खोला गया था। प्रशासन द्वारा मामले को हल करने के लिए 10 दिन का समय मांगा गया था। किसान नेता राकेश टिकैत द्वारा मजदूरों की तरफ से 15 दिन का समय दिया गया।

इस दौरान वार्ताओं की महज खानापूर्ति हुई और 15 दिन का समय बीत गया। मज़दूरों ने अपने तेवर बढ़ाना शुरू किया। यूनियन द्वारा परिवार की महिला-बच्चों व अन्य सामाजिक संगठनों, किसान यूनियन के साथ मिलकर 9 दिसंबर को एसडीएम किच्छा के कार्यालय पर वादाखिलाफी के विरुद्ध प्रदर्शन करने की योजना बनाई।

समझौता हुआ सम्पन्न

इस बीच प्रशासन ने किसान नेताओं से 8 दिसंबर को बात की। फिर 9 दिसंबर को प्रशासन ने वार्ता आयोजित की, जिसमें किसान नेता शामिल थे, लेकिन मजदूर नेताओं को शामिल नहीं किया गया। अंततः 15 दिसंबर को रुद्रपुर कलक्ट्रेट स्थित एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में हुई वार्ता में समझौता सम्पन्न हुआ। और 16 दिसंबर को समझौते का लिखित प्रपत्र श्रम अधिकारी के समक्ष दाखिल हुआ।

समझौता वार्ता में प्रशासन की ओर से एडीएम जयभारत सिंह, एसपी सिटी मनोज कत्याल, सिडकुल आरएम मनीष बिष्ट, एएलसी प्रशांत कुमार, भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष करम सिंह पड्डा, बलजिंदर सिंह मान, इंटरार्क के एचआर हेड बीबी श्रीधर, प्लांट हेड मनोज रोहेला तथा इंटरार्क मज़दूर संगठन पंतनगर व किच्छा यूनियनों की ओर से राकेश कुमार, दलजीत सिंह, सौरभ कुमार, पान मोहम्मद, लक्ष्मण सिंह, बीरेंद्र कुमार, हृदयेश कुमार आदि मौजूद थे।

समझौते के मुख्य बिंदु

  • प्रतिष्ठान में कार्य बहिष्कार में शामिल 357 श्रमिक समझौते के उपरांत कार्य बहिष्कार समाप्त कर कार्य पर उपस्थित होंगे तथा माफीनामा प्रबंधन पक्ष को प्रस्तुत करेंगे।
  • वर्ष 2022 में आंदोलन के दौरान निलंबित 64 कर्मकारों में से 30 कर्मकारों को माफीनामा प्रस्तुत करने के उपरांत उनकी घरेलू जांच समाप्त कर कार्यबहाली होगी। शेष निलंबित 34 कर्मकार 3 माह के लिए ओड़ी पर चेन्नई, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश में कार्य पर जाएंगे तथा घरेलू जांच कार्यवाही होगी। इस दौरान किसी को सेवा से बर्खास्त नहीं किया जाएगा।
  • पूर्व में बर्खास्त 32 श्रमिकों के संबंध में श्रम न्यायालय का निर्णय दोनों पक्षों को स्वीकार्य होगा। मांग पत्र वर्ष 2019-20 व 2020-21 के प्रकरण में श्रम न्यायालय द्वारा पारित आदेश मान्य होंगे। ज्ञात हो कि 2018 में बर्खास्त 32 मजदूरों की कार्यबहाली व वर्ष 2019-2020, 2020-2021 के मांगपत्र का विवाद श्रम न्यायालय काशीपुर में गतिमान है।
  • वर्ष 2022 के मांग पत्र के सापेक्ष घोषित कर्मकरो का वर्गीकरण के अनुसार वेतन वृद्धि होगी (रुपए 1700), जोकि प्रतिष्ठान में कार्यरत मज़दूरों को दिया जा रहा है। समझौते के उपरांत कार्य पर आने वाले श्रमिकों की वेतन वृद्धि जनवरी 2023 से प्रभावी होगी, जिसका भुगतान एरियर के रूप में जुलाई 2023 तक किया जाएगा।
  • आगामी वेतन वृद्धि कार्य दशा के आधार पर जुलाई 2023 में होगी।
  • यह समझौता 15/12/2022 से 30/06/2024 तक प्रभावी रहेगा।

यूनियन नेताओं द्वारा बताया गया कि फिलहाल धरना खत्म करने की और मजदूरों की कार्यबहाली की कार्रवाई चल रही है। जब तक सभी मज़दूर कार्य पर वापस नहीं आ जाते और वेतन वृद्धि नहीं प्राप्त कर लेते, तब तक संघर्ष किसी न किसी रूप में जारी रहेगा।

उन्होंने बताया कि इस संघर्ष से मज़दूर यूनियन को स्थापित करने में व यूनियन को बचा ले जाने में सफल रहे हैं। प्रबंधन की चाह थी कि वह यूनियन को खत्म कर दे।

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