लंबे संघर्ष के बाद न्यायिक कर्मचारी की मौत प्रकरण में एफआईआर दर्ज; जज की भूमिका संदिग्ध

रिपोर्ट दर्ज होने से आंदोलनरत कर्मचारियों के हौंसले बुलंद हैं। लेकिन एक जज की भूमिका संदिग्ध होने से कर्मचारी सीबीआई जांच सहित अन्य मांगे पूरी करने की मांग कर रहे हैं।

जयपुर। भांकरोटा थाना इलाके में न्यायिक कर्मचारी सुभाष मेहरा की मौत के मामले में आखिरकार करीब एक माह बाद हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज हुआ है। पुलिस ने न्यायिक अधिकारी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। सुभाष के परिजनों ने न्यायिक अधिकारी के साथ ही उनकी पत्नी पर सुभाष को प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।

इसके साथ ही सुभाष चौक थाना पुलिस पर भी कर्मचारी को अधिकारी के इशारे पर प्रताड़ित करने और जबरन गाड़ी में डालकर घर ले जाने की बात एफआईआर में लिखी है।

कर्मचारियों के लंबे आंदोलन के बाद अब पुलिस ने आईपीसी की धारा 302, 342,370, 120बी के साथ ही एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है। जांच सहायक पुलिस आयुक्त को सौंपी गई है।

जज के घर की छत पर हुई थी मौत

गौरतलब ही कि न्यायपालिका के ही एक न्यायाधीश की गतिविधियां इस प्रकरण में संदिग्ध है। जयपुर में एनडीपीएस मामलों की विशेष कोर्ट में पदस्थापित कर्मचारी सुभाष मेहरा ने 10 नवंबर को न्यायिक अधिकारी भी घर की छत पर आत्मदाह कर लिया था।

सुभाष देरी होने पर न्यायिक अधिकारी के घर की छत पर बने कमरे में रुकता था। वहीं कर्मचारियों का कहना है कि उसकी हत्या की गई है। इस मामले में पुलिस की भूमिका भी संजदिग्ध व जज को बचाने की होने से कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता रहा।

इस बीच लगातार जारी और व्यापक होते आंदोलन के बीच दो दिन पूर्व राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को पत्र भेजकर लिखा कि परिजनों के एफआईआर दर्ज करने के संबंध में वे अपने विवेक के आधार पर निर्णय लें। 

8 सूत्री माँगें: एफआईआर दर्ज, सीबीआई जांच की माँग

कर्मचारियों की 8 सूत्री मांगों में से एक एफआईआर दर्ज करने की मांग विगत रात पूरी हुई है। थानाधिकारी भांकरोटा जिला जयपुर द्वारा विगत रात्री प्रकरण में प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 0751 दिनांक 11 दिसंबर अंतर्गत आईपीसी की धारा 302-342-370-120B व एससी एसटी एक्ट की धारा 3 (1)एच-3(2)(v)-3(2)(va) दर्ज कर ली गई है। जांच सहायक पुलिस आयुक्त अनिल कुमार शर्मा कर रहे है।

लंबे संघर्ष के बाद रिपोर्ट दर्ज होने से आंदोलनरत कर्मचारियों के हौंसले बुलंद हो गये है। अब कर्मचारी प्रकरण की सीबीआई जांच सहित मांग पत्र की अन्य मांगे पूरी करने की मांग कर रहे है।

कर्मचारी नेताओ का कहना है कि प्रकरण न्यायाधीश से संबंधित होने के कारण सीबीआई को जांच सौंपी जाए जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। स्थानीय जांच निष्पक्ष होने की कतई संभावना नही है। अतः मांग पत्र की सभी मांगे पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा।

18 नवंबर से आंदोलन जारी

न्यायिक कर्मचारी मृतक सुभाष मेहरा को न्याय दिलाने के लिए जयपुर जिले में आंदोलन 18 नवंबर से ही जारी है। जयपुर में कर्मचारियों की नही सुनी गई तब 28 नवंबर से पूरे राजस्थान में आंदोलन शुरू हो गया। पिछले एक पखवारे से पूरे राजस्थान के न्यायिक कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर हैं।

पूरे प्रदेश की सभी अदालतों में कामकाज ठप हैं। वकीलों के बार एसोसियन ने भी अपना नैतिक समर्थन दिया है। जबकि ऑल इंडिया अधीनस्थ कर्मचारी महासंघ ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि एफआईआर दर्ज करने के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए जाए। ऐसा नहीं होने पर देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी थी।

माँगें-

कर्मचारियों की सुभाष मेहरा की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज करने के अलावा उनके परिजनों को पचास लाख रुपये की मुआवजा राशि देने, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने, जज को निलंबित करने और इस पूरे प्रकरण और जज की भूमिका की जांच सीबीआई से करवाने सहित आठ माँगें हैं।

अब देखना यह है कि लोक अदालतों में राजीनामे के माध्यम से प्रकरणों का निस्तारण की अलख जगाने वाली न्यायपालिका किस तरह से दिवंगत सुभाष मेहरा के परिजनों को न्याय दिला पाती है या नही क्योकि न्याय पालिका के ही एक न्यायाधीश की गतिविधियां इस प्रकरण में संदिग्ध है और इसी कारण न्यायिक कर्मचारी संघ प्रकरण की सीबीआई जांच की पुरजोर तरीके से मांग कर रहा है।

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