हज़ारों लोग की जान लेने वाली भोपाल गैस कांड की 38वीं बरसी पर भोपाल और दिल्ली में प्रदर्शन

प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका विरोधी और डॉव केमिकल्स विरोधी तख्तियां लेकर मार्च किया तथा पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की। वहीं दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन हुआ।

हज़ारों लोग की जान लेने वाली भोपाल गैस त्रासदी की 38 वीं बरसी पर शनिवार को पीड़ितों सहित जनता ने भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारख़ाने की ओर पैदल रैली निकाली। दूसरी ओर हजारों पीड़ितों ने नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया।

ज्ञात हो कि भोपाल में दो-तीन दिसंबर 1984 की रात में यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक कारख़ाने से निकली ज़हरीली गैस ने हज़ारों लोगों की जान ले ली थी। इसे दुनिया के सबसे भीषण औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।

भोपाल में प्रदर्शन व मार्च

मध्य प्रदेश की राजधानी में शनिवार को लोगों ने यहां बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने की ओर पैदल रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों जिनमें इस त्रासदी के पीड़ित भी शामिल थे, ने अमेरिका विरोधी और डॉव केमिकल्स विरोधी संदेशों के साथ तख्तियां लेकर मार्च किया तथा पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की।

भोपाल गैस त्रासदी से अनाथ हुए बच्चों के संगठन ‘भोपाल की आवाज़’ के अध्यक्ष शाहिद नूर ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने भोपाल के नादरा बस अड्डे से यूनियन कार्बाइड कारख़ाने तक दो किलोमीटर का पैदल मार्च निकाला। यूनियन कार्बाइड का क़ब्ज़ा लेने वाली कंपनी डॉव केमिकल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिम फिटरलिंग का पुतला जलाया।

गैस त्रासदी से प्रभावित लोगों के लिए उचित इलाज की मांग के साथ कहा कि राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय को मृतकों का सही आंकड़ा देन चाहिए। न्यायालय त्रासदी के संबंध में एक उपचारात्मक याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

प्रदर्शनकारियों ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि आरोपियों को सज़ा मिले। हम यह भी मांग करते हैं कि बंद कारख़ाने में और उसके आसपास पड़े ज़हरीले कचरे का भूमिगत जल में जो रिसाव हो रहा है, उसे हटाया जाए।’’

संगठन के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने बताया कि ‘भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा’ ने भी यहां लिली टॉकीज चौक पर विरोध प्रदर्शन किया और यूनियन कार्बाइड एवं डॉव केमिकल्स के पुतले जलाए।

भोपाल आर्चडायसिस ने यहां अरेरा कॉलोनी केंद्र में त्रासदी के पीड़ितों के लिए एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया और दो मिनट का मौन रखकर त्रासदी में मरने वालों को श्रद्धांजलि दी।

दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन

हजारों पीड़ितों ने शनिवार को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि सरकार आपदा से होने वाली मौतों और स्वास्थ्य संबंधी खतरों के सटीक आंकड़े पेश करे।

त्रासदी के 40 हजार बचे लोगों द्वारा हस्ताक्षरित याचिका में यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल से अतिरिक्त मुआवजे की मांग की गई है। जिसकी सुनवाई 10 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच द्वारा की जाएगी। 

भोपाल गैस पीड़ितों के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने वाली एडवोकेट करुणा नंदी और दलित श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता नोदीप कौर सहित अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां और आम नागरिक पीड़ितों के लिए न्याय की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, ‘भोपाल गैस पीड़ितों में से 93 फीसदी को अस्थाई चोट की श्रेणी में रखा गया है. वहीं मुआवजे के तौर पर सिर्फ 25 हजार रुपए दिए गए हैं। यह एक तरह का अन्याय है।”

इस अवसर पर भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा, “मौजूदा मुख्यमंत्री ने मनमोहन सिंह को लिखा था कि भोपाल पीड़ितों को लगी चोटें स्थायी थीं, अस्थायी नहीं, जैसा कि उपचारात्मक याचिका में प्रस्तुत किया गया था। हालांकि, राज्य सरकार ने अभी तक सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस बात को दोहराया नहीं है।”

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा, मध्य प्रदेश सरकार ने एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भोपाल गैस त्रासदी में 15,242 लोगों की मौत हुई थी।  हालांकि, राज्य सरकार क्यूरेटिव पिटीशन में पेश किए गए 5295 मौतों के गलत आंकड़े को संशोधित करने के लिए कदम उठाने में विफल रही। गलत तथ्य न्याय से वंचित करना है।

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की शहजादी बी ने कहा, ‘सरकार यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल से मुआवजे के रूप में 9600 करोड़ रुपये की मांग कर रही है, जबकि हम 64,600 करोड़ रुपये की मांग कर रहे हैं।

मुआवजे की राशि की गणना करने के लिए हमने जो आंकड़े इस्तेमाल किए हैं, वे आधिकारिक रिकॉर्ड और केंद्र सरकार की एक एजेंसी, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद से हैं।

रचना ढींगरा, शहजादी बी और रशीदा बी ने केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया से मुलाकात की और उन्हें दस्तावेजों का एक सेट पेश करते हुए अपनी वर्तमान परिस्थितियों से अवगत कराया।

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