चीन में लॉकडाउन और सरकार विरोधी प्रदर्शन राजधानी बीजिंग तक फैल गए

कोविड पाबंदियों के खिलाफ प्रदर्शनकारी ‘शी जिनपिंग, इस्तीफा दो, ‘शिनजियांग से प्रतिबंध हटाओ, चीन से प्रतिबंध हटाओ’ जैसे नारे लगा रहे हैं.

बीजिंग: चीन में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए कड़े प्रतिबंधों के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन तेज हो गए हैं. इतना ही नहीं ये प्रदर्शन राजधानी बीजिंग तक फैल गए है.

कोविड प्रतिबंधों के खिलाफ लोगों की यह प्रतिक्रिया चीन के वायरस को खत्म करने के प्रयासों के लिए एक झटका है, जो वुहान शहर में उभरने के तीन साल बाद रिकॉर्ड संख्या में लोगों को संक्रमित कर रहा है.चीन में संक्रमण के मामलों में भी तेजी देखी गई है. रविवार को यहां करीब 40,000 नए मामले सामने आए. लगातार पांचवें दिन बीजिंग में कोरोना वायरस के करीब 4,000 मामले सामने आए.

चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने कहा कि सोमवार को संक्रमण के 39,452 नए मामले आए, जिनमें 36,304 स्थानीय मामलों में मरीजों में बीमारी के लक्षण नहीं देखे गए.इस बीच, सप्ताहांत के दौरान पूर्वी महानगर शंघाई में शुरू हुए प्रदर्शन बीजिंग तक फैल गए, जहां मध्य शहर में लियांगमाहे नदी के समीप रविवार शाम को सैकड़ों लोग एकत्रित हो गए थे.

चीन में इस प्रकार के प्रदर्शन होना दुर्लभ बात है. चीनी सोशल मीडिया और ट्विटर पर उपलब्ध कई वीडियो में लोग शंघाई समेत कई स्थानों पर प्रदर्शन करते और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) तथा देश के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए.

इस बीच, सरकार ने शनिवार (26 नवंबर) को शिनजियांग की राजधानी उरुमकी से लॉकडाउन हटाने के लिए कदम उठाए. उरुमकी में बृहस्पतिवार (24 नवंबर) को लॉकडाउन के दौरान एक अपार्टमेंट में आग लग जाने से 10 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद वहां सप्ताहांत में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए.

कई लोगों का आरोप है कि वायरस संबंधी प्रतिबंधों के मद्देनजर लगाए गए अवरोधकों के कारण आग और भीषण हो गई तथा आपात कर्मियों को आग बुझाने में तीन घंटे का समय लगा, लेकिन अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि इमारत में कोई अवरोधक नहीं लगाए गए थे तथा निवासियों को वहां से जाने की अनुमति थी.

इस घटना में मारे गए लोगों की याद में मोमबत्तियां लिए हुए लोगों ने सरकार द्वारा मनमाने लॉकडाउन के खिलाफ और शंघाई में प्रदर्शनों के प्रति एकजुटता जताते हुए नारे लगाए.कई राजनयिकों और विदेशियों ने प्रदर्शन देखा, क्योंकि ये प्रदर्शन बीजिंग में राजनयिक आवासीय परिसर के समीप हुए. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रदर्शन कई घंटे तक हुए और पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया.शंघाई में शनिवार और रविवार को प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) तथा देश के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इस्तीफा देने की मांग की.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, शंघाई में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच रविवार को झड़प हुई, जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के एक समूह को हिरासत में ले लिया.समाचार वेबसाइट बीबीसी ने कहा कि पुलिस ने घटनाओं को कवर करने वाले उसके एक पत्रकार पर हमला किया और हिरासत में लेने के कई घंटे बाद रिहा किया. रिहा होने से पहले रॉयटर्स के एक पत्रकार को भी रविवार रात करीब 90 मिनट तक हिरासत में रखा गया था.

बीजिंग में प्रतिष्ठित सिंगहुआ विश्वविद्यालय और नानजिंग में कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी में भी छात्रों ने प्रदर्शन किया.ऑनलाइन अपलोड की गईं तस्वीरों और वीडियो में छात्र उरुमकी हादसे के पीड़ितों के लिए मार्च करते हुए और विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन करते हुए दिखाई दिए.

सिंगहुआ विश्वविद्यालय ने एक नए नोटिस में छात्रों से कहा कि अगर वे जनवरी की छुट्टियों के मद्देनजर घर जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं.इतना ही नहीं पुलिस ने आधी रात में ‘मिडल उरुमकी रोड’ पर एकत्र हुए करीब 300 प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया.

झाओ नाम के एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने ‘शी जिनपिंग, इस्तीफा दो, कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता छोड़ो’, ‘शिनजियांग से प्रतिबंध हटाओ, चीन से प्रतिबंध हटाओ’, ‘हम पीसीआर (जांच) नहीं कराना चाहते, स्वतंत्रता चाहते हैं’ और ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ सहित कई नारे लगाए.

इससे पहले शनिवार को शिनजियांग क्षेत्र के अधिकारियों ने उरुमकी में कुछ मोहल्लों से प्रतिबंध हटा दिया. उरुमकी के निवासियों द्वारा शहर में तीन महीने से अधिक समय से लागू ‘लॉकडाउन’ के खिलाफ देर रात असाधारण प्रदर्शन किए जाने के बाद अधिकारियों को प्रतिबंध हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, बीजिंग शांतिपूर्ण रहा, लेकिन राजधानी की तीसरी रिंग रोड के किनारे रविवार आधी रात के बाद भारी भीड़ जमा हो गई थी.

अमेरिका में 10 लाख से अधिक मौतों की तुलना में जीरो कोविड नीति के कारण चीन ने अपनी आधिकारिक मृत्यु दर हजारों में बनाए रखीहै, लेकिन इसके लिए कई लाखों लोगों को लंबे समय तक घर में बंद रहने को मजबूर होना पड़ा.

द वायर से साभार

About Post Author

भूली-बिसरी ख़बरे