नौकरी छिनने का दौर: मेटा, ट्विटर, अमेजन के साथ अब एचपी में होगी 6000 कर्मियों की छँटनी

दुनिया भर में 1,388 टेक कंपनियों ने कोविड दौर से अब तक 233,483 कर्मचारियों को निकाल दिया है। मेटा, ट्विटर और अमेजन से एचपी, गूगल तक छँटनी का खेल जारी है।

मुनाफे की आंधी हवस में जहाँ मंदी का साया बढ़ रहा है वहीं बड़ी कंपनियां छोटी कंपनियों को निगल रही हैं। इसी के साथ तमाम दिग्गज मुनाफाखोर कंपनियां बड़े पैमाने पर श्रमिकों की छँटनी कर रही हैं। विकराल बेरोजगारी के इस दौर में नौकरियों के अवसर सिमटते जा रहे हैं। रोजगार विहीन दौर का यह नंगा सच बनकर सामने है।

इसी क्रम में बीते दिनों ट्विटर और फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा ने अपने कार्यबल (वर्कफोर्स) को काफी कम करने के लिए कर्मचारियों को नौकरी से निकाला था। ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क द्वारा सोशल मीडिया के कर्मचारियों की संख्या को आधे से कम करने के कुछ ही हफ्तों बाद अमेजन ने बम्पर छँटनी की घोषणा की। अब इसी राह पर दिग्गज एचपी ने भी छँटनी का ऐलान कर दिया।

टेक कंपनियों में वैश्विक छँटनी बेलगाम

दुनिया भर में कम से कम 853 टेक्नोलॉजी कंपनियों ने अब तक लगभग 137,492 श्रमिकों की छंटनी की है। वैश्विक मंदी की आहट के बीच टेक स्पेक्ट्रम की अधिक से अधिक कंपनियों ने छंटनी अभी भी जारी है।

एक क्लाउड आधारित डाटाबेस, लेऑफ.एफवाई के आंकड़ों के अनुसार, 1,388 टेक कंपनियों ने कोविड-19 की शुरुआत के बाद से अब तक कुल 233,483 कर्मचारियों को निकाल दिया है। इन आंकड़ों में 2022 तकनीकी क्षेत्र के लिए सबसे खराब साल रहा है।

इस साल नवंबर के मध्य तक यूएस टेक सेक्टर में 73, 000 से अधिक कर्मचारियों को मेटा, ट्विटर, सेल्सफोर्स, नेटफ्लिक्स, सिस्को और रोकू जैसी अन्य टेक कंपनियों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नौकरी में कटौती की गई है। क्रंचबेस के अनुसार, रॉबिनहुड, ग्लोसियर और बेटर कुछ ऐसी टेक कंपनियां हैं, जिन्होंने 2022 में अपने कर्मचारियों की संख्या में उल्लेखनीय रूप से कटौती की है। 

टेक कंपनियों में हुई अबतक की छंटनी का एक डेटा सोशल मीडिया पर चर्चा में है। जिसमें बताया है कि दुनिया भर में कम से कम 853 टेक्नोलॉजी कंपनियों ने अब तक लगभग 137,492 कर्मचारियों की छंटनी की है। क्लाउड आधारित डाटाबेस, लेऑफ.एफवाई के आंकड़ों के अनुसार, 1,388 टेक कंपनियों ने कोविड-19 की शुरुआत के बाद से अब तक कुल 233,483 कर्मचारियों को निकाल दिया है।

अब एचपी करेगा 6 हजार श्रमिकों की छँटनी

लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफ्रैक्चरर हैवलेट पैकर्ड (एचपी) इंक लगभग 6,000 श्रमिकों को निकाल सकती है। ये उसकी कुल श्रम शक्ति का करीब 12% है। एचपी में अभी 50,000 से ज्यादा कर्मचारी हैं। हालांकि, कंपनी का छंटनी का ये प्लान 2025 तक पूरा करने का है।

एचपी ने अपनी वित्तीय वर्ष 2022 की वार्षिक रिपोर्ट के दौरान ये घोषणा की है।

कोरोना महामारी के दौरान पीसी और लैपटॉप क्षेत्र में जोरदार उछाल देखने को मिला था। अब बिक्री में कमी के बहाने एचपी कंपनी ने कर्मचारियों की संख्या में कटौती का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि वैश्विक बाजार में महंगाई और मंदी भी छँटनी के कारणों में से एक हो सकता है।

एचपी इंडिया बंद कर चुका है पंतनगर प्लांट

उल्लेखनीय है कि लैपटॉप-डेस्कटॉप, कंप्यूटर पार्ट्स और प्रिंटर बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एचपी इंडिया ने बीते साल पंतनगर प्लांट बंद करके करीब 500 स्थाई व अस्थाई श्रमिकों की छँटनी कर चुका है। बंदी के साथ स्टाफ के जिन कर्मचारियों को इसने चेन्नई व गुड़गांव स्थानांतरित किया था, उनकी गर्दन पर भी छँटनी की तलवार लटकी है।

ट्विटर, मेटा में भी बम्पर छंटनी

एचपी से पहले ट्विटर ने करीब 50% कर्मचारियों को निकाला है, जबकि मेटा ने अपने इतिहास की सबसे बड़ी छंटनी करते हुए 11,000 लोगों को निकाला है। मेटा ने ऐलान किया है कि वह अपने कार्यबल के 13 प्रतिशत (11 हजार) कर्मचारियों की छंटनी करेगा।

ट्विटर और फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा ने अपने कार्यबल को काफी कम करने के लिए कर्मचारियों को नौकरी से निकाला था। इस माह के शुरू में एलोन मस्क ने ट्विटर के 50 प्रतिशत कर्मचारियों को निकाल दिया, जो लगभग 3500 है। ट्विटर ने अभी तक छंटनी के हालिया दौर से संबंधित किसी भी विवरण का आधिकारिक तौर पर खुलासा नहीं किया है।

एक्सियोस न्यूज वेबसाइट ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया कि ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क ने बड़े पैमाने पर की जा रही छंटनी के तहत ठेका श्रमिकों को निकालना शुरू कर दिया है। वाशिंगटन पोस्ट ने अक्टूबर के अंत में अपनी बताया था कि मस्क ने कंपनी का अधिग्रहण करने के बाद छंटली के शुरुआती दौर में 25 प्रतिशत कर्मचारियों को निकालने की योजना बनाई है। 

इससे पहले, मीडिया संस्थान ने कॉर्पोरेट दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया था कि उद्यमी का इरादा 75 प्रतिशत कर्मचारियों को निकालने का है, लेकिन मस्क ने इन खबरों का खंडन किया था। एक्सियोस की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्विटर ने अपने कुछ अनुबंध कर्मचारियों को भी हटा दिया है, जो कंटेंट मॉडरेशन सहित विभिन्न क्षेत्रों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

अमेजन करेगा 10 हजार कर्मचारियों की छँटनी

न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट में बताया कि अमेजन का प्लान इस हफ्ते के शुरू होते ही कॉर्पोरेट और टेक्नोलॉजी नौकरियों में करीब 10 हजार लोगों की छंटनी करने का है। रिपोर्ट में कहा गया है कि छंटनी की कुल संख्या में अभी स्पष्टता नहीं है, ये कर्मचारी अमेजन के कॉर्पोरेट कर्मचारियों के करीबन 3 प्रतिशत और ग्लोबल कार्यबल का एक प्रतिशत से भी कम हैं।

अमेजन की छंटनी ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क द्वारा सोशल मीडिया के कर्मचारियों की संख्या को आधे से कम करने के कुछ ही हफ्तों बाद हुई। रिपोर्ट में बताया गया है कि कटौती में अमेजन के डिवाइस ऑर्गेनाइजेशन जैसे कि वॉयस-असिस्टेंट अलेक्सा, रिटेल डिवीजन और ह्यूमन रिसोर्स शामिल हैं।

मजेदार यह है कि अमेजन की छंटनी की रिपोर्ट भी उस दिन आई जब इसके संस्थापक जेफ बेजोस ने सीएनएन को बताया कि वह अपनी जिंदगी भर की कमाई में अपने 124 डॉलर बिलियन (लगभग 10,04,100 करोड़ रुपये) की कुल संपत्ति का अधिकांश हिस्सा दान में देने का प्लान बना रहे हैं।

अप्रैल से सितंबर तक टेक दिग्गज अमेजन ने अपने हेडकाउंट को करीब 80,000 लोगों तक कम कर दिया, मुख्य रूप से अपने प्रति घंटा कर्मचारियों को हाई एट्रिशन के जरिए कम किया। सितंबर में कई छोटी टीमों में कमी की है। अक्टूबर में कंपनी ने अपने मुख्य रिटेल बिजनेस में 10 हजार से ज्यादा नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी। इससे पहले अमेजन ने अगले कुछ महीनों के लिए अपने क्लाउड कंप्यूटिंग डिवीजन समेत कंपनी भर में कॉरपोरेट हायरिंग पर रोक लगा दी थी।

गूगल में जल्द होगी 10 हजार कर्मचारियों की छँटनी

बीते दिन खबर आई थी कि गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट 10,000 कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है। इंफॉर्मेशन की एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक गूगल मैनेजर्स को ‘खराब प्रदर्शन’ करने वाले कर्मचारियों का विश्लेषण करने और उन्हें रैंक देने के लिए कहा गया है।

द इंफॉर्मेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, गूगल की योजना एक नई रैंकिंग और प्रदर्शन सुधार योजना के माध्यम से 10,000 कर्मचारियों को कम करने की है।

भारतीय कंपनियों में भी छँटनी तेज

भारत में लगभग 16,000 कर्मचारियों की BYJU’S, अनअकैडमी और वेदांतु जैसी एडटेक कंपनियों के नेतृत्व में लगभग 44 स्टार्टअप्स द्वारा निकाला गया है। भारत में कर्मचारियों की छंटनी करने वाले अन्य टेक स्टार्टअप और यूनिकॉर्न में ओला, कार्स24, मीशो, लीड, एमपीएल, इनोवैकर, उड़ान जैसी कंपनियां शामिल हैं। इस बीच हजारों संविदा कर्मचारियों को भी निकाल दिया गया है, जिससे 2022 तकनीकी क्षेत्र में श्रमिकों के लिए सबसे कठिन वर्ष बन गया है। 

रेजरपे के बिजनेस बैंकिंग प्लेटफॉर्म, रेजरपेएक्स पेरोल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय स्टार्टअप पिछले 12 महीनों में भारी भर्ती कटौती से गुजर रहे हैं और स्थायी कर्मचारियों की भर्ती में 61 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट आई है। पीड़बलूसी इंडिया की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई-सितंबर की अवधि में भारत में केवल दो स्टार्टअप, शिपरॉकेट और वनकार्ड ने यूनिकॉर्न का दर्जा (मूल्य 1 बिलियन डॉलर और उससे अधिक) प्राप्त किया।

फ्लिपकार्ट के सीईओ की चेतावनी

फ्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति ने चेतावनी दी है कि स्टार्टअप इकोसिस्टम फंडिंग विंटर 12 से 18 महीने तक चल सकता है और इंडस्ट्री को बहुत उथल-पुथल और अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। 

अंध मुनाफे और मंदी की सीधी मार नौकरी पर

मंदी की शुरुआत में, जैसे-जैसे कंपनियां कम मांग, घटते मुनाफे और ऊंचे कर्ज का सामना करती हैं, कई कंपनिया कॉस्ट कटिंग के बहाने श्रमिकों की छंटनी शुरू कर देती हैं। बढ़ती बेरोजगारी कई संकेतकों में से एक है जो मंदी को परिभाषित करती है।

दरअसल ज्यादा से ज्यादा मुनाफा बटोरने की हवस वैश्विक बाजार को जहाँ मंदी की ओर धकेलती हैं, वहीं बेरोजगारी को और बढ़ती हैं, जो बाजार की चाल को और सुस्त कर देती है। इससे मुनाफाखोर कंपनियां छँटनी पर आमादा हो जाती हैं। इसी के साथ बड़ी पूँजी के बादशाह छोटी कंपनियों को निगलने लगाते हैं और छँटनी की तलवार मज़दूरों की गर्दन पर चलता है।

जैसे-जैसे मुनाफे की रफ्तार बेलगाम होती जाती है, बेरोजगारी भी बेलगाम होती जाती है। अमीरी-गरीबी की खाई विकराल होती जाती है। मुनाफे के बादशाहों की पूँजी का अंबार जिस तेजी से बढ़त है, मेहनतकश जन का कंगालीकरण उतनी तेजी से बढ़ता है।

आज के दौर में यह स्थिति सबसे विकट रूप में सामने है। यह पूंजीवाद का असाध्य रोग है। जाहीर है कि मुनाफे और बाजार पर आधारित इस वैश्विक दुनिया में इसका समाधान नहीं है।

अभी तो यह कुछ संकेत मात्र हैं। स्थितियाँ और भयावह होने वाली हैं। एक ऐसी व्यवस्था, जिसमें उत्पादन बाजार पर आधारित न हो और उत्पादन, राजकाज और पूरे सामाजिक ढांचे पर मुनाफाखोरों की जगह उत्पादन करने वाले मेहनतकश मज़दूर वर्ग के हाथों में नियंत्रण होगा, तभी वास्तविक रूप से इस प्रकोप से छुटकारा संभव है।

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