केंद्र सरकार के बिजली संशोधन विधेयक के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर हुआ विरोध प्रदर्शन

एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को चेतावनी गई है कि यदि बिल संसद में पारित कराने की एकतरफा कोशिश हुई तो बिजली कर्मचारी और इंजीनियर हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होंगे।

नई दिल्ली. केंद्र सरकार के बिजली संशोधन विधेयक- 2022 (Electricity Amendment Bill- 2022) के विरोध में आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन (Protest) हुआ है. बिजली क्षेत्र में कार्यरत इंजीनियरों के कई संगठनों ने इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. इन संगठनों ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को चेतावनी है कि यदि बिजलीकर्मियों को विश्वास में लिए यह बिल संसद में पारित कराने की एकतरफा कोशिश की गई तो बिजली कर्मचारी और इंजीनियर हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होंगे. इसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी.

बता दें कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इस बिल को पास कराने की तैयारी से पहले बिजली कंपनियों ने केंद्र सरकार को चेतावनी दिया है. बिजली क्षेत्र में कार्यरत इंजीनियरों का संगठन ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन सहित कई और संगठन और कुछ विपक्षी दलों ने भी बिजली (संशोधन) विधेयक- 2022 का विरोध कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि इस विधेयक के पास होने जाने के बाद ग्राहकों के साथ-साथ कर्मचारियों की भी अनदेखी होगी.

नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लाइज एन्ड इंजीनियर्स के आह्वान पर हुई इस रैली को कई यूनियनों के प्रमुखों ने संबोधित किया. ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत कहते हैं, ‘हमलोगों ने एक प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को चेतावनी दी है कि यदि बिजली कर्मियों को विश्वास में लिए जल्दबाजी में बिल संसद में पारित कराने की एकतरफा कोशिश की गई तो देशभर के तमाम बिजली कर्मचारी और इंजीनियर हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होंगे. इसकी सारी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की होगी. लोकसभा ने इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 को संसद की ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया है, किन्तु स्टैंडिंग कमेटी ने अभी तक बिजली कर्मचारियों और आम उपभोक्ताओं से इस पर कोई चर्चा नही की है.

दुबे आगे कहते हैं, ‘बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों को विश्वास में लिए बिना इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 को संसद में पारित कराने की किसी भी एक तरफा कार्यवाही का कड़ा विरोध किया जाएगा और देश के तमाम 27 लाख बिजली कर्मचारी व इंजीनियर ऐसे किसी भी कदम के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने हेतु बाध्य होंगे.’

इस आंदोलन से जुड़े नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ने भी देश के सभी मुख्यमंत्रियों से यह अपील की है कि ऊर्जा क्षेत्र और बिजली उपभोक्ताओं के व्यापक हित में वे इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 का पुरजोर विरोध करें. ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन का कहना है कि विगत वर्ष किसान आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा को प्रेषित पत्र में यह लिखित आश्वासन दिया है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 सभी स्टेकहोल्डर्स को बिना विश्वास में लिए और सभी स्टेकहोल्डर्स से बिना चर्चा किए संसद में नहीं रखा जाएगा. बिजली के क्षेत्र में सबसे बड़े स्टेकहोल्डर बिजली के उपभोक्ता और बिजली के कर्मचारी हैं.

इन संगठनों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने और केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने आज तक न ही बिजली के उपभोक्ता संगठनों से और न ही बिजली कर्मचारियों के किसी भी संगठन से इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 के माध्यम से प्रस्तावित संशोधनों पर कोई वार्ता की है.

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