चीन: कुख्यात आईफोन फैक्ट्री में मज़दूरों का विद्रोह, पुलिसिया दमन

फॉक्सकॉन आईफोन फैक्ट्री के श्रमिकों ने चीन के हाल के इतिहास में सबसे बड़ा श्रमिक विद्रोह छेड़ दिया है।

फॉक्सकॉन पर उसके अस्थायी रोजगार अनुबंधों को बदलने का आरोप है, और तय वेतन से कम वेतन देने का आरोप लगाया गया है। कई हफ्ते पहले, झेंग्झौ इलाके में कोविड के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई और श्रमिकों ने इस औद्योगिक क्षेत्र को छोड़ना शुरू कर दिया जहां फॉक्सकॉन स्थित है।

हेनान प्रांत के झेंग्झौ शहर में स्थित यह कारखाना, चीन में एप्पल का सबसे बड़ा उत्पादन स्थल है। वहां 200,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। फॉक्सकॉन ऐप्पल का शीर्ष वैश्विक आपूर्तिकर्ता है, और इसने श्रमिकों के लिए अपनी खराब कामकाजी परिस्थितियों के लिए ध्यान आकर्षित किया है। 2010 में अपने शेन्ज़ेन संयंत्र में मजदूरों द्वारा की गई आत्महत्याओं लिए फॉक्सकॉन पहले से कुख्यात है।

फॉक्सकॉन के श्रमिकों पर इस वक्त नए आईफोन 14 के उत्पादन का दबाव है और प्रबंधन एप्पल को समय पर डिलीवरी के अपने वादे को पूरा करने के लिए उत्सुक है। फॉक्सकॉन आमतौर पर आईफोन के नए मॉडल लांच करने के लिए मौसमी और ठेका श्रमिकों को काम पर रखता है।

ज्यादा मुनाफा कमाने की लालच और उत्पादन बढ़ाने की वजह से अक्टूबर के बाद से, झेंग्झौ कारखाना परिसर में एक अमानवीय जबरन बंधुआ मजदूरी जैसी प्रबंधन व्यवस्था लागू हो रखी है, जिससे श्रमिकों को क्षेत्र छोड़ने से मना किया जा रहा है। इस क्लोज्ड-लूप सिस्टम में श्रमिकों को एक निश्चित अवधि के लिए फैक्ट्री परिसर में साइट पर रहने की आवश्यकता होती है, ताकि कंपनी चीन के क्षेत्रीय कोविड लॉकडाउन के दौरान भी उत्पादन बनाए रख सके, साथ ही श्रमिक कार्यबल के बीच वायरस के प्रकोप की संभावना को रोक सके।

इसके बावजूद, फैक्ट्री परिसर में कोविड का प्रकोप फैल गया। लेकिन उत्पादन जारी रखने के लिए, फॉक्सकॉन ने फैक्ट्री का गेट बंद कर दिया और श्रमिकों को बाहर जाने से रोका मगर, जबकि अंदर प्लांट के काम करने की मानवीय और सम्मानजनक स्थिति बनाए रखने में और श्रमिकों को सुविधा उपलब्ध कराने में विफल रहे।

ऐसी खबरें थीं कि संक्रमित श्रमिकों को चिकित्सा सेवाओं और भोजन आपूर्ति के बिना, प्लांट के आसपास के अधूरे भवनों के डोरमेट्री में अलग-थलग रहने के लिए मजबूर किया गया था। इस वजह से कुछ कर्मचारी कार्यस्थल पर सोए थे ताकि उन्हीं डोरमेट्री में रहने वाले संक्रमित कामगारों से बचा जा सके जिन्हें आइसोलेट नहीं किया गया था।

संक्रमित होने की वजह से काम पर नहीं जाने वाले श्रमिकों को खाना भी उपलब्ध नहीं कराया गया क्योंकि प्लांट में भोजन सिर्फ काम के बाद मिलता है और प्लांट के अंदर की सारी कैंटीन बंद है। श्रमिकों ने शिकायत की कि उनके पास पर्याप्त सुरक्षात्मक गियर की भी कमी है। फैक्ट्री परिसर छोड़ने की कोशिश करने वाले श्रमिकों को कभी-कभी बलपूर्वक रोक दिया जाता था।

श्रमिकों के इस शोषण के लिए स्पष्टत एप्पल कंपनी जिम्मेदार है क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब फॉक्सकॉन के प्लांट में श्रमिकों के शोषण और प्रबंधन के अमानवीय व्यवहार की बात उभरकर सामने आई है। 2019 और 2020 में समाचार रिपोर्टों से पता चला है कि कंपनी चीनी कानून के तहत अनुमति की तुलना में काफी अधिक डिस्पैच कर्मचारियों को नियुक्त करती है। निजी रोजगार एजेंसियों के माध्यम से काम पर रखे गए डिस्पैच कर्मचारी, चीन में आम हैं और अन्य प्रकार के अस्थायी श्रमिकों की तुलना में इनके लिए नौकरी जाने का खतरा ज्यादा रहता है। फॉक्सकॉन ने इन डिस्पैच श्रमिकों को उचित श्रम अनुबंध और चीनी श्रम कानून द्वारा गारंटीकृत सामाजिक लाभ प्रदान नहीं किया – जोकि चीन में कारखानों के बीच एक आम बात है।

श्रमिकों के पलायन के वीडियो सामने आने के बाद, फॉक्सकॉन की मातृ कंपनी होन हाई ने 30 अक्टूबर को एक बयान जारी कर कहा कि यह सुधार करेगी, जिसमें श्रमिकों के लिए और अधिक बुनियादी आवश्यकताओं की गारंटी (एक दिन में तीन मुफ्त भोजन और एक श्रमिक देखभाल हॉटलाइन प्रदान करना), परिवहन की पेशकश करना, शामिल है। इसने यह भी घोषणा की कि प्लांट में उत्पादन के लिए रहने वाले श्रमिकों के लिए चौगुना बोनस दिया जाएगा। इस प्रकार उत्पादन के नाम पर प्लांट के अंदर श्रमिकों को जबरन रोककर बंधुआ मजदूरी जारी रखी गई।

सख्त कोविड लॉकडाउन पर चीन की सरकार ने कंपनियों को श्रमिकों को जबरन काम पर रोकने की छूट दे रखी है। कोविड महामारी के बीच, फॉक्सकॉन अभी भी श्रमिकों के स्वास्थ्य और मानवाधिकारों की बजाए अपने खूनी मुनाफे को प्राथमिकता दे रही है।

इस पूरे घटनाक्रम पर लीपापोती करने के लिए एप्पल ने अपनी छवि बचाने के लिए पिछले सप्ताह बयान दिया कि झेंग्झौ में उत्पादन क्षमता को धीमा कर देगी ताकि “हमारी आपूर्ति श्रृंखला में श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके […] जैसा कि हमने पूरे COVID-19 महामारी के दौरान किया है।”

फिर भी ऐप्पल ने श्रमिकों के खिलाफ किए गए अत्याचार को स्वीकार करने से इंकार कर दिया, और यह नहीं बताया कि उसने शेन्ज़ेन में एक और फॉक्सकॉन कारखाने में उत्पादन तेज करने का आदेश दे दिया है।

इस बीच बीती रात पुलिस ने प्रदर्शनकारी श्रमिकों पर जबरदस्त लाठीचार्ज किया है। तानाशाही शासन वाले चीन में दमनकारी राजनीतिक परिस्थितियाँ किसी भी तरह के स्वतंत्र जन विरोध को रोकती हैं। जिसके खिलाफ धीरे-धीरे मजदूरों और लोगों के बीच असंतोष बढ़ रहा है।

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