बेलसोनिका यूनियन द्वारा आयोजित मजदूर-किसान पंचायत में संघर्षों को आगे बढ़ाने का उदघोष

मोदी सरकार मजदूर विरोधी लेबर कोड्स को जल्द लागू करने की योजना बना रही है जिससे मजदूरों का शोषण और अधिक बढ़ जायेगा। साझे संघर्ष के लिए अभी से कमर कसनी होगी।
गुड़गांव। बेलसोनिक यूनियन द्वारा आयोजित मजदूर-किसान पंचायत के दौरान मजदूर विरोधी लेबर कोड्स, ठेका प्रथा के विरोध में, फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने, महंगाई-बेरोजगारी व सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के खिलाफ आवाज़ बुलंद हुई।
मजदूर-किसान पंचायत का आयोजन बेलसोनिका ऑटो कॉम्पोनेंट इंडिया एम्पलाइज यूनियन, आईएमटी मानेसर, गुड़गांव द्वारा 20 नवंबर को लघु सचिवालय गुड़गांव में हुआ था। पंचायत में चार श्रम संहिताओं और नई आर्थिक नीतियों निजीकरण उदारीकरण वैश्वीकरण, सरकार द्वारा मजदूर किसान विरोधी नीतियों की मुखालफत हुई।
पंचायत में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) एकता उग्रहां, भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक), सनबीम यूनियन, इंट्रार्क मजदूर यूनियन रुद्रपुर, आइसिन यूनियन, कपारो मजदूर यूनियन, मुंजाल मजदूर यूनियन, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, मजदूर सहयोग केंद्र, ग्रामीण मजदूर यूनियन के पदाधिकारियों के साथ-साथ कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की।
पंचायत की शुरुआत परिवर्तन कामी छात्र संगठन और इंकलाबी मजदूर केंद्र के कार्यकर्ताओं द्वारा क्रांतिकारी गीत के साथ हुई थी।
बीकेयू एकता उग्रहां के नेता जोगिंदर उग्रहां ने पंचायत में कहा कि जिस तरह मोदी सरकार किसानों को लूटने के लिए तीन काले कृषि कानून लेकर आई थी ठीक वैसे ही चार लेबर कानूनों को लाया जा रहा है। आज कॉरपोरेट पूंजी और मोदी सरकार मजदूरों और किसानों दोनों पर हमला किए हुए है इसलिए दोनों वर्गों को मिलकर अपनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
बेलसोनिका यूनियन के पदाधिकारी अजीत ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा मजदूरों का और अधिक खून निचोड़ने के उद्देश्य से 4 लेबर कोड्स बनाए गए हैं। अभी इन्हें लागू नहीं किया गया है लेकिन अभी से पूंजीपतियों ने मजदूरों पर हमला करना शुरू कर दिया है।
कंपनियों में नीम ट्रेनी, फिक्स्ड टर्म के नाम पर धड़ल्ले से ठेके पर मजदूरों की भर्ती की जा रही है। इन मजदूरों को कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। मोदी सरकार मजदूर विरोधी लेबर कोड्स को जल्द ही लागू करने की योजना बना रही है जिसके बाद मजदूरों का शोषण और अधिक बढ़ जायेगा। इन सबके खिलाफ संघर्ष के लिए हमें अभी से कमर कसनी होगी।
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रीना ने कहा कि आज पुरुष मजदूर अकेले-अकेले अपनी लड़ाई नहीं जीत सकता। उसे महिला मजदूरों के साथ-साथ अपने परिवार की महिलाओं को भी संघर्ष में लाना होगा। महिलाओं की भागीदारी और महिला-पुरूष मजदूर की एकता से ही मजदूर आंदोलन को आगे बढ़ाया जा सकता है।
वक्ताओं ने कहा कि आज जो सरकार सत्ता में बैठी है वे पूंजीपतियों और कॉर्पोरेट घरानों के मुनाफे को और ज्यादा बढ़ाने के लिए नीतियां बना रही है। इस सरकार ने कोरोना महामारी के समय भी आपदा में अफसर ढूंढते हुए संसद में लोकतांत्रिक तरीकों को ताक पर रखते हुए मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को पास करवाया और आज उन्हें लागू करने के लिए तत्पर है। इसी प्रकार छात्र विरोधी नई शिक्षा नीति को भी पास करवाया। पर मजदूर मेहनतकश विरोधी तानाशाही सरकार को भी मजबूर होकर के संघर्षों के सामने झुकना पड़ा।
वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार जिसे कहा जाता था कि उसने एक बार जो कदम आगे बढ़ा दिया वह पीछे नहीं हटाती उसे पहले बेंगलुरु की महिला मजदूरों ने पीएफ कानून में बदलाव के लिए फैसले को वापस लेना पड़ा और 1 साल पहले पूंजीपति और कारपोरेट पक्ष के तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा। किसानों ने लगभग 1 साल तक दिल्ली की सीमाओं को घेरे रखा और लगभग 700 किसानों की शहादत के बाद इसी प्रधानमंत्री मोदी को इन काले कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा।
वक्ताओं ने बताया कि किसान आंदोलन ने उन्हें नई ऊर्जा प्रदान की है। किसानों ने दिखाया है कि इस घोर तानाशाही मजदूर मेहनतकश विरोधी मोदी सरकार को भी झुकाया जा सकता है। किसान आंदोलन ने सिखाया कि व्यापक एकता और धैर्य पूर्वक संघर्ष से आंदोलनों को लड़ा और जीता जा सकता है।
वक्ताओं ने बताया कि आज मजदूर किसानों की व्यापक एकता की जरूरत है की आज किसान मजदूर आंदोलन के समर्थन में क्यों आ रहे हैं क्योंकि जब किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर धरना देकर बैठे थे तो मजदूरों ने मजदूर किसान एकता का परिचय देते हुए किसान आंदोलन का तन मन धन से सहयोग किया और आज जब मोदी सरकार मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताओं को लागू कराने के लिए तत्पर है तो ऐसे समय में किसान मजदूरों के इस संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करेंगे।
पंचायत में बड़ी संख्या में हिताची कंपनी के ठेका मजदूरों ने भी भागीदारी की। उन्होंने अपनी कंपनी के शोषण और उसके खिलाफ उनके संघर्ष पर बात रखते हुए पंचायत को अपना समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि आज गुड़गांव के साथ-साथ पूरे देश के मजदूरों-किसानों को एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है तभी ठेकेदारी, महंगाई-बेरोजगारी जैसी समस्यायों से छुटकारा पाया जा सकता है।
साथ ही इंटरार्क मजदूर संगठन पन्तनगर के कोषाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार एवं किच्छा यूनियन के अध्यक्ष राकेश कुमार ने शिरकत की, बेलसोनिका मजदूरों के साथ एकजुटता कायम की और इंटरार्क मजदूरों के आंदोलन के समर्थन में जनसमर्थन जुटाया।