यूपी रोडवेज़ में निजीकरण की तैयारी; कर्मचारी लामबंद, आंदोलन का किया आह्वान

डेढ़ दशक बाद एक बार फिर रोडवेज यूनियनों द्वारा निजीकरण का पुरजोर विरोध शुरू हो गया है। कर्मचारी संगठन एकजुट होकर योगी सरकार के इस फैसले पर बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में है।
उत्तर प्रदेश सरकार यूपी परिवहन निगम का निजीकरण करने की तैयारी में है। इसके खिलाफ रोडवेज की कर्मचारी यूनियनें लामबंद होकर बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं। परिवहन निगम के विभिन्न नियमित और संविदा कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों की बीते रविवार, को हुई बैठक में फैसला लिया।
ज्ञात हो कि अभी तक उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में 75 प्रतिशत सरकारी बसें और 25 प्रतिशत निजी क्षेत्र की बसें चलती रही हैं, लेकिन अब योगी सरकार ने इस नियम को बदलते हुए 75 प्रतिशत बसें निजी क्षेत्र की और सरकारी बसें 25 प्रतिशत चलाने का फैसला किया है।
इस फैसले पर अमल करने के लिए यूपी के परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव एल वेंकटेश्वर लू ने उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के प्रबंध-निदेशक को एक पत्र भेजा है और उनसे कहा है कि 75 प्रतिशत बसें अनुबंधित एवं 25 प्रतिशत बसें परिवहन निगम की यथाशीघ्र चलाई जाएं।
प्रमुख सचिव परिवहन ने उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को लिखे गए अपने पत्र में 7 बिंदु का उल्लेख किया है। इसमें उन्होंने बिंदु-6 में लिखा है कि, “वर्तमान में निगम बस बेड़े में लगभग 75 प्रतिशत अपनी बसें एवं अनुबंधित बसें लगभग 25 प्रतिशत हैं, इसे यथाशीघ्र परिवर्तित करते हुए 25 प्रतिशत परिवहन निगम की अपनी तथा अच्छी स्थिति वाली 75 प्रतिशत बसें अनुबंध के आधार पर संचालित कराई जाएं।”
सरकार के इस फैसले के विरुद्ध डेढ़ दशक बाद एक बार फिर रोडवेज यूनियनों द्वारा निजीकरण का पुरजोर विरोध शुरू हो गया है। परिवहन निगम के कर्मचारी संगठन एकजुट होकर शासन के इस फैसले पर बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में है।
इसके मद्देनजर परिवहन निगम के विभिन्न नियमित और संविदा कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों की बीते रविवार, 13 नवंबर को हुई महत्वपूर्ण बैठक में सरकार के ख़िलाफ़ जल्दी ही एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने का फैसला लिया। यह जानकारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने दी।
उन्होंने बताया कि 2007 में पहली बार रोडवेज को निजी हाथों में सौंपने का सपना पूरा नहीं होने दिया गया। इस बार भी परिवहन निगम में किए जा रहे निजीकरण के अंतर्गत 75 फीसदी निजी ऑपरेटरों की अनुबंधित बसों को लगाए जाने की मंशा पूरी होने नहीं दिया जाएगा।
कर्मचारी संघ एक मंच पर सभी संगठनों को एकजुट करके आगे की लड़ाई लड़ने का फैसला लिया। रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा परिवहन निगम के बारे में लिए गए निर्णय का विरोध कर मीडिया को बताया कि, 75 फीसदी बसें अनुबंध पर चलाए जाने से रोडवेज़ के 55 हज़ार कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। सरकार ने मनमानी करते हुए निर्णय ले लिया है। योगी सरकार का यह कदम परिवहन निगम का निजीकरण करने की शुरुआत और तैयारी है।
नेताओं ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के पास लगभग 11485 बसों का बेड़ा है और इससे रोजाना 123.35 करोड़ यात्री 43.3 करोड़ किलोमीटर सफर करते है जिससे रोडवेज को सालाना 4473 करोड़ से अधिक की सालाना आय प्राप्त होती है। जो परिवहन निगम सरकार को भारी राजस्व दे रहा है, सरकार उसी को बडी होशियारी से निजी पूंजीपतियों के हाथ में सौंपने जा रही है।
जनता की मशक्कत के पैसे से खड़े हुए परिवहन निगम को बेचने का प्रदेश की सरकार को कोई हक नही है, यह प्रदेश के हितों को भी भारी नुकसान पहुंचाने वाला कदम है।
सरकार इस आत्मघाती कदम को तत्काल प्रभाव से वापस ले और रोडवेज को और कुशल बनाएं तथा नई बसों को बेड़े में शामिल करें। अन्यथा कर्मचारी आर-पार की लड़ाई को तैयार हैं।