झारखंड उर्जा विकास निगम के लगभग दो हजार कर्मचारी हड़ताल पर जाने की तैयारी में

प्रबंधन द्वारा लगातार अधिकारियों को प्रोन्नति दी जा रही है। जबकि कर्मचारियों को तृतीय संवर्ग के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी बना दिया, उनकी प्रोन्नति वार्षिक वेतन वृद्धि तक रोक दी गयी है।

Ranchi : झारखंड उर्जा विकास निगम के लगभग दो हजार कर्मचारी हड़ताल पर जाने की योजना बना रहे है. कर्मचारियों की ओर से छह दिसंबर से आंदोलन शुरू करने की योजना बनायी गयी है. जिसके तहत छह दिंसबर को धरना प्रदर्शन और सात दिसंबर से भूख हड़ताल की योजना है. हड़ताल में शामिल होने वाले सभी कर्मचारी तकनीकी है. जो लाइन मेंटेंनेस से लेकर बिजली व्यवस्था पर नजर रखतें है. इनमें से कुछ कर्मचारी सब डिवीजन्स में कार्यरत है. ऐसे में इन कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से राज्य में बिजली व्यवस्था पर असर देखा जायेगा. हड़ताल का आयोजन झारखंड पावर वर्कर्स यूनियन की ओर से किया जायेगा. इसकी जानकारी देते हुए यूनियन के अध्यक्ष आशीष कुमार ने बताया कि सभी कर्मचारी तकनीकि है. ऐसे में इन कर्मियों के हड़ताल पर जाने से राज्य की बिजली व्यवस्था पर असर पडे़गा. आशीष ने बताया कि हालांकि अभी प्रबंधन की ओर से वार्ता का कोई निमंत्रण नहीं आया है. लेकिन वार्ता में बुलाने पर संघ वार्ता पर जरूरी जायेगी और अपनी मांगों को रखेंगी.

यूनियन के अध्यक्ष के मुताबिक प्रबंधन द्वारा लगातार पदाधिकारियों को प्रोन्नति दी जा रही है. जबकि कर्मचारियों को आज तक कोई प्रोन्नति नहीं दी गयी. Designation mapping  के नाम पर प्रबंधन ने तृतीय संवर्ग के तकनीकी कर्मी को चतुर्थवर्गीय कर्मचारी बना दिया. प्रबंधन का आदेश के कारण सभी कर्मियों का प्रोन्नति कहीं-कहीं तो वार्षिक वेतन वृद्धि तक रोक दी गयी है. प्रबंधन का आदेश दो सितंबर को जारी किया गया. तब से कर्मियों में असंतोष है. इस संदर्भ में कई बार अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक से वार्ता की गयी, लेकिन न्याय नहीं मिला. उन्होंने बताया कि कुछ अधिकारी यूनियन से सहमत भी हुए लेकिन अपने गलत आदेश को वापस नहीं लिया. जिससे सभी कर्मियों में भारी असंतोष हैं. ऐसे मे अब आंदोलन ही एक मात्र विकल्प है.  की इस दौरान बिजली व्यवस्था चरमराने पर पूरी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी.

ऊर्जा विकास निगम की अनुषंगी कंपनियां तीन है. जिसमें ऊर्जा संचरण निगम, बिजली वितरण निगम, ऊर्जा उत्पादन निगम है. बिजली बोर्ड के विखंडन के साथ ही ये कंपनियां बनी. इसके बाद साल 2018 मे निगम ने Designation mapping  लागू किया. जिसके बाद थर्ड और फोर्थ ग्रेड के कर्मचारियों ने प्रमोशन की मांग की. जिसके बाद निगम ने थर्ड ग्रेड के कर्मचारियों को फोर्थ ग्रेड मे बदलने का आदेश जारी किया.

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